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बालोद।अधिकारी आम आदमी की नहीं सुनते… शिकायत कर-कर के थक गया हूं. अब मुझे इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दीजिए’. एक किसान ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर इच्छा मृत्यु की इजाजत मांगी है।
दरअसल पूरा मामला बालोद जिले के डौंडीलोहारा ब्लाक के ग्राम झिटिया का है जहां के एक किसान जीवन लाल की कृषि भूमि का बंदोबस्त त्रुटि सुधार में जमीन की रकबा कम कर दिया गया है। जिसके बाद इस त्रुटि को सुधरवाने के लिए तहसीलदार,आर आई,पटवारी और जनसमस्या निवारण शिविरो में कई बार आवेदन भी दिया गया लेकिन किसान के आवेदन को प्रशासन में बैठे अधिकारियो द्वारा कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिससे किसान मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान होकर मंगलवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर जन चौपाल में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर अपने ज्ञापन सौंपकर कहा कि हमारे समस्या का समाधान प्रशासन के पास नही है और हम भी अब परेशान हो चुके है इसलिए मुझे मेरे परिवार सहित हम सभी को एक साथ प्रभु ईशा मसीह की तरह जनदर्शन कार्यक्रम की दीवार में खीला ठोकवाकर लटका दिया जावे ताकि डोडी लोहारा के अधिकारियों को भारत रत्न से नवाजे जाने की मांग किया है।
डौंडी लोहारा ब्लाक के ग्रामीण कृषक जीवन लाल पिता सुन्हेर, जाति गोड़ ने बताया कि मेरी कृषि भूमि पुराना खसरा नंबर 649 रकबा 1.74 हे. था, जो बंदोबस्त पश्चात नया खसरा नंबर 267 रकबा 1.35 हे. हुआ है, जिसके रकबा में 0.39 हे. कम दर्ज हो गया है। हल्का पटवारी, प.ह.नं. 22, रा.नि.मं. खेरथा, तहसील डौंडीलोहारा, जिला बालोद (छ.ग.) के द्वारा बिना मौका देखे मेरे उक्त भूमि का बटवारा किया है। बंदोबस्त में 0.39 हे. भूमि काटकर हल्का पटवारी ने पूरे आधा प्लाट काट दिया। मेरे कोई संतान नहीं होने के कारण मैं अपने भांजियों का नाम खाता में शामिल किये जाने हेतु आवेदन दिया था, जिसे तहसीलदार के (क्लर्क) ने वापस कर दिया। बंदोबस्त त्रुटि सुधार के लिए आवेदन दिया, जिसे तहसीलदार मार्रीबंगला देवरी ने खारीज कर दिया। तहसीलदार ने मेरा खेत कितना है यह भी नहीं बताया और बोले “आर.आई. बतायेगा”, मैं 07 बार तहसीलदार और 04 बार एस.डी.एम के क्लर्क को आवेदन दिया था।लेकिन आज इन अधिकारियों द्वारा कोई मदद नहीं किया गया। मैं मरने से पहले बंदोबस्त नंबर 153 ग्राम झिटिया, प.ह.नं. 16, तहसील/संजारी 1959-60 स्केल 16″=1 मील खसरा नंबर 649 है, जिसे एस.डी.एम और आर.आई. द्वारा मौका में जाकर नाम के बताये तत्पश्चात मेरे 55 आर 1.37 डिसमिल और 45 X 85 फीट मेरे घर क जमीन को कटवा दीजिए, क्योंकि ईमानदार कृषक के लिए तो कानून नहीं मेरा कोई अधिकार नहीं है और मुझे मेरे पत्नी केजिया बाई पति जीवन लाल, जाति गोड़ मेरे बड़े भांजी के पुत्र टामेश्वर कुमार पुत्री कुमारी मनीषा जो कि, फरदफोड हाई स्कूल दसवीं की छात्र-छात्रा है। हम सभी को एक साथ प्रभु ईशा मसीह की तरह ईस जनदर्शन कार्यक्रम की दीवार में खीला ठोकवाकर लटका दिया जावे ताकि लोहाराडौंडी के आप के अधिकारियों को भारत रत्न से नवाजा सके। बहरहाल किसान के इस पत्र में उसके दर्द साफ झलक रहा है और जनदर्शन के माध्यम से उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया गया की आज गरीब किसान किस तरह सिस्टम के उदासीनता का शिकार हो रहा है। लगातार आवेदन के बाद भी उनके आवेदनों की कोई सुनवाई नहीं हो रही जिसके चलते अब लाचार होकर इच्छामृत्यु की मांग करनी पड़ रही है देखना होगा इस पत्र का जिले के राजस्व विभाग के अधिकारियो पर क्या असर होता है। और मामले पर किसान को कब तक न्याय मिल पाता है।