नयापारा रोड में स्थित खेतों में आग की लपटें से आस पास इलाके में धुंआ ही धुआं
जानकारी के अनुसार जिले के अंतर्गत ऐसे गांवों के किसान ने खरीफ फसल ज्यादा रूप में लेते है वे उन खेतों के फसल कटाई के बाद बचे अवशेष को जलाकर खेत की सफाई करने में लगे है। नयापारा मुख्य मार्ग में स्थित खेतों में शनिवार को आग की लपटें के साथ ही आस पास इलाके में धुंआ ही धुंआ ही दिख रहा हैं।सड़क में चलने वाले राहगीरों को धुंए से परेशानी का सामना करना पड़ा। इससे खेतीहर जमीन पर कड़ापन होने के साथ उसकी उर्वरा शक्ति कम हो जाती है। कृषि विशेषज्ञों की माने तो खेत में पैरा, नरई के अवशेष को जलाने से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटास व सल्फर जैसे जरुरी पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते है। इस वजह से धान फसल की उत्पादन में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इसके बाद भी न किसानों को कोई फर्क पड़ रहा है और न ही प्रशासन कोई एतिहायत कदम उठा रही है। हालांकि कुछे गांव के किसान अभी भी मवेशियों के लिए चारा के लिए पैरा ढुलाई कर अवशेष नहीं जला रहे है, लेकिन अगल बगल के खेतों में सिर्फ जलने के निशान दिख रहे है। फिलहाल किसान की प्रकृति से खिलवाड़ कर खेतों में आग लगाने का काम कर रहे हैं।
मिट्टी को होता है नुकसान
किसानों द्वारा खेत में रखे पैरा और नराई जलाने का सिलसिला नहीं थम रहा है। इसके बाद भी प्रशासन इस तरफ अनदेखी कर रहा है। जबकि खेतों की नरवाई जलाने से खेतों की उर्वरक शक्ति नष्ट हो जाती है। इसके बाद भी अन्नदाता किसान भाई अपने खेतों में लगाई धान की फसल की नरवाई जलाने से बाज नहीं आ रहे। कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि नरवाई जलाने से भूमि की नमी तथा उर्वरा शक्ति नष्ट हो जाती है। इससे खेती की पैदावार कम हो जाती है। इससे कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ती है।