बालोद-जिला मुख्यालय सहित जिलेभर में दीपों का पर्व दीपावली धूमधाम से मनाया गया। माता लक्ष्मी की पूजा कर परिवार में सुख-समृद्धि की कामना की। इसके बाद देर रात तक पटाखे फोड़े गए। जिलेभर में पांच दिनों तक दिवाली की रौनक देखने को मिली।सबसे ज्यादा उत्साह दीपावली पूजा और गोवर्धन पूजा के दिन रहा। शहर में लक्ष्मी पूजा धूमधाम से मनाई गई तो ग्रामीण इलाके में गोवर्धन पूजा। लक्ष्मी पूजा के तीसरे दिन शहर के साथ ग्रामीण इलाके में गौरा-गौरी का विसर्जन और गोवर्धन पूजा की धूम रही। कुबेर के साथ माता लक्ष्मी की पूजा शुभ मुहूर्त में की गई। धनतेरस को खरीदे गए सोने-चादी के सिक्के, बर्तनों की पूजा की गई। पूजा में मिठाई के साथ बतासा, लाई का भोग लगाया गया। इसके बाद परिवार के साथ बच्चों ने जमकर आतिशबाजी जलाई। तेज आवाज के पटाखे के साथ रोशनी वाले पटाखे जलाए गए। घरों को रंगीन बिजली के झालरों के साथ दीये और मोमबत्ती से रोशन किया गया। युवतियों और महिलाओं ने घर के दरवाजे पर मनमोहक रंगोली सजाई।
पांच दिनों तक दीपों से जगमगाता रहा बालोद जिला
धनतेरस, नरक चौदस, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज इन पांच दिनों तक दीपों से बालोद जिला जगमगाता रहा लोगों ने एक दूसरे को दीपदान कर तो कहीं दिवाली की बधाई देकर शुभकामनाएं दी। लोगों ने एक दूसरे के साथ जमकर खुशियां बांटी । लक्ष्मी पूजन के दिन बाजारों में जमकर भीड़ उमड़ी वहीं लोगों ने पटाखों पूजन सामग्री मिठाई कपड़े सहित अन्य चीजों की जमकर खरीदारी भी की शाम होते ही शुभ मुहूर्त में परिवार सहित लोगों ने लक्ष्मी पूजा की। अपने-अपने प्रतिष्ठानों में पूजा का दौर देर शाम रात तक चलता रहा। लोगों ने पूजा करने के बाद एक दूसरे के घर जाकर प्रसाद का भी वितरण किया और आत्मीयता से संबंध स्थापित करने की ओर कदम बढ़ाया लोगों ने भगवान लक्ष्मी से सुख-समृद्घि और इसी तरह धन संपदा की प्राप्ति की कामना की और लक्ष्मी का वास हमेशा अपने घर में रखने की कामना परिवार वालों ने की।
लक्ष्मी की पूजा कर रात में परघाये करसा, पूजे गौरा गौरी
दीपावली की रात को लक्ष्मी पूजा के बाद गौरा-गौरी की मूर्ति बनाई गई। इसे कुंवारी लड़कियां सिर पर कलश सहित रखकर मोहल्ले गांव का भ्रमण किया गया । टोकरीनुमा कलश में दूध में उबाले गए चावल के आटा से बना प्रसाद रखा गया। जिसे दूधफरा कहा जाता है। यही पकवान गौरा-गौरी को भोग लगाया गया। जिसे दूसरे दिन सभी लोग ग्रहण किए। सबसे खास बात यह है कि लक्ष्मी पूजा के दिन गांव के तलाब से मिट्टी लाया जाता हैं, उक्त मिट्टी से अलग अलग स्थानों में गौरा गौरी की मूर्ति बनाई गई, जिसके बाद विवाह किया गया। गौरा की और से ग्रामीण गौवरी के धर बरात लेकर आए, वहीं गौवरी के तरफ से ग्रामीण बरात का स्वागत करते हैं जिसके बाद शादी की पूरी रस्में इसी रात में पूरी की गई और गौवरा गौवरी को गौवरा चौरा में रखा गया। जिसका गोवर्धन पूजा के दिन सुबह विधि विधान के साथ तलाब में विसर्जित किया गया। यह छत्तीसगढ़ के बैगा आदिवासी जनजातियों गोड़ जाति के लिए सबसे प्रमुख है।
गोबर का तिलक लगाकर दीपावली की दी शुभकामनाएं
दिवाली के चौथे दिन शनिवार को गोवर्धन पूजा में भी गांव सहित शहरी क्षेत्र में जमकर माहौल रहा रावत और ठेठवार समाज के लोग डांग डोरी लेकर गली में दोहा पारते नाचते गाते निकले पूरे गांव वाले इस आयोजन के सह भागी बने और गौठान पहुंचकर गोवर्धन पूजा की गई लोगों ने एक दूसरे को शाम को गोवर्धन पूजा के बाद गोबर का तिलक लगाकर दीपावली की शुभकामनाएं दी। एक दूसरे से बच्चों ,बड़े बुजुर्गों ने आशीर्वाद लिया। बच्चों को प्यार दिया।
रविवार को मनाई जाएगी भाई दूज
फिर देर रात तक जमकर आतिशबाजी का दौर चलता रहा। लोगों ने फुलझड़ी जलाई, पटाखे फोड़े जश्न मनाया। कहीं-कहीं विशेष आतिशबाजी का भी प्रबंध किया गया था। जो आकर्षण का केंद्र रहा। रविवार को मातर उत्सव भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। एक तरफ जहां शहरी क्षेत्रों में भाई दूज के दिन भाइयों को बहनों ने तिलक आरती करके उनके लंबी उम्र की कामना करेगे। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में मातर उत्सव की धूम रहेगी कुमड़ा यानी कद्दू ढुलाने की परंपरा का निर्वहन करके ठेठवार और यादव परिवार ने मातर उत्सव मनाया जाएगा । मातर के बाद शाम को खिचड़ी खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा