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रचना साहित्य समिति की गोष्ठी में शामिल हुए अंचल के जाने माने कवि..अलग विषयों पर हुए अपने कविता पाठ से लोग हुए ओतप्रोत

बालोद जिले की चर्चित साहित्यिक संगठन रचना साहित्य समिति गुरुर के तत्वावधान में पूरन लाल माली निवास कन्नेवाड़ा में साहित्यिक संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन का आयोजन दिनॉंक २८ सितंबर की दोपहर से किया गया । कार्यक्रम के मुख्यअतिथि छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक डॉ.अशोक आकाश रहे, अध्यक्षता दयाल राम गजेन्द्र पूर्व विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी एवं अध्यक्ष रचना की साहित्य समिति गुरुर ने किया। गालव कुमार साहू पेंशनर समाज जिला अध्यक्ष, सतवन लाल सोनबोईर पूर्व विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, सेवाराम तेजस्वी एवं वरिष्ठ साहित्यकार एस.आर.नेले कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रहे। कार्यक्रम का स्वर्णिम संचालन कवि भरत बुलंदी ने किया।
साईं बाबा एवं दुर्गा मैया की पूजा अर्चना पश्चात् सुप्रसिद्ध कवि लालेश्वर अरुणाभ द्वारा सरस्वती वन्दना की मौलिक कृति से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। अतिथि स्वागत पश्चात् विचार गोष्ठी का शुभारंभ हुआ जिसमें रचना साहित्य समिति को परिपुष्ट करने साहित्यिक गतिविधियों के निरन्तर संचालन पर सहमति बनी। मासिक गोष्ठी में अन्य साहित्यिक संस्थाओं के साहित्यकारों को आमंत्रित कर साहित्यिक आदान प्रदान एवं रचना साहित्य समिति गुरुर के संस्थापक दिवंगत तुलसीराम महमल्ला की स्मृति में दो खण्ड में स्मारिका प्रकाशित किया जाएगा, इसके प्रथम खंड में महमल्ला जी की रचनाएँ एवं द्वितीय खंड में जिले भर के रचनाकारों के साहित्य प्रकाशित किए जाएंगे । इस हेतु आगामी बैठक हिरवानी निवास सोहपुर में साहित्यकारों की कविताएं आमंत्रित किए गए हैं ।

साहित्यकारों को संबोधित करते कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.अशोक आकाश जिला समन्वय छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग ने कहा कि मासिक गोष्ठी से साहित्यकार की रचनाएं परिपक्व होती है और परिपक्व रचनाओं से समाज को परिपुष्ट संदेश मिलता है। गोष्ठी में प्रस्तुत किये गए साहित्य से सामाजिक एवं राजनीतिक विकृतियों पर सुधार का संदेश रहता है। उन्होंने कहा नवोदित साहित्यकारों द्वारा रचित कृतियों की समीक्षा से लेखक की सूजनशीलता विकसित होती है । अपनी कविता सुनाकर घर चले जाने वाला साहित्यकार घर तक की सिमट कर रह जाता है, जो दूसरों की सुनता है उसे सारी दुनिया सुनती है । लेखकीय क्षमता विकसित करने हमें दूसरों को सुनना और पढ़ना आवश्यक है ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं रचना साहित्य समिति अध्यक्ष पूर्व विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी दयाल राम गजेन्द्र ने कहा समिति की संगठनात्मक गतिविधि निरंतर संचालित करते रहने की जरूरत है। सभी साहित्यकार सक्रियता पूर्वक सभी गोष्ठी में भाग लें, इससे नवोदय कवियों की नियमित उपस्थिति होनी चाहिए । उन्होंने दिवंगत साहित्यकार तुलसीराम महमल्ला की स्मृति में पुस्तक प्रकाशन एवं तुलसीराम महमल्ला स्मृति सम्मान आगामी तुलसी जयंती पर प्रदान करने का ऐलान किया। रचना साहित्य समिति के कोषाध्यक्ष एच. डी. महमल्ला ने अपने अग्रज तुलसी राम महमल्ला को भावपूर्ण काव्याञ्जलि अर्पित करती पंक्तियां पढ़ी।

विशिष्ट अतिथि गावल कुमार साहू जिला अध्यक्ष पेंशनर समाज ने दिवंगत तुलसीराम महमल्ला को श्रद्धांजलि देती पंक्तियाँ प्रस्तुत करते कहा

सुमन वाटिका के माली,
तुम छोड़ हमें अब किधर चले ।
अब कौन पिलायेगा पानी,
यह सोच कली का मन मचल उठा।।

कार्यक्रम के विशेष स्थिति रचना साहित्य समिति के संस्थापक एवं पूर्व विकासखंड शिक्षा अधिकारी  सोनबोईर जी ने पंक्तियां प्रस्तुत करते कहा— छत्तीसगढ़ के माटी पुत्रोंसे कहा–
कुछ ऐसा काम हम कर जाएँ,
संकल्प हाथ में माटी सुमन धरा पर खिल जाए ।
संचालन कर रहे हैं कवि भरत बुलंदी की कविताएं जनमानस को जागरूकता का संदेश देती है –
छू लेने दो आज उनके पाँव को,
लगा लो एक बरगद छाँव को।
सुकून और नसीहत के वास्ते होंगे, वरना कौन जानता है मेरे गाँव को।।
युवा कलमकार सत्य प्रकाश महमल्ला ने जिंदगी की परिभाषा व्यक्त करती पंक्तियाें पर एक नजर —
कइसे करेस गम्मतिहा,
जिनगी में गम्मत होगे।
कॉंव-कॉंव रिहीस घर मा,
बढ़िया सुम्मत होगे।।

धरती मैया को श्रृंगारित करने का संदेश देती पंक्तियों के साथ पूर्णोतम साहू ने काव्य पाठ किया

हरियर हरियर पोलखा मैया के तना-बना हे ।
इही दाई के सेवा करत बन, ईंकरे गोठ गोठियाना हे।
वरिष्ठ साहित्य का सेवाराम तेजस्वी ने जीवन में कर्म की महत्ता को परिभाषित करती पंक्तियां पढ़ी-
गहरे पानी में मिलते हैं मोती के दाने
समाज को नहीं दिशा देने वाले होते हैं सयाने।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.अशोक आकाश ने प्रति वर्ष दशहरा पर रावण का पुतलादहन की अशिष्ट परम्परा पर निशाना साधते पंक्तियों से सार्थक संदेश दिया –

भगवान राम की मिथ्या भक्ति की,
शेखी झाड़ना बन्द करो ।
राम अगर तुम बन न सके तो,
रावण मारना बन्द करो।।

इस दौरान कवि पूरन लाल माली, भारत सिन्हा, पी आर हिरवानी, पुनूराम गुरूपञ्च, थानू राम सिन्हा, ताम्रध्वज उमरे,  एम.के.सोनवानी पूसन कुमार साहू एवं लालेश्वर अरुणाभ  काव्य पाठ किया । रचना साहित्य समिति के सचिव भारत बुलंदी के आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई है।

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