बालोद। जिला मुख्यालय से 19 किलोमीटर दूर सियादेवी मंदिर नारागांव में सुरक्षा की दृष्टि से पर्यटकों के लिए कोई इंतजाम नहीं है। इन इलाकों में लगातार बारिश होने से झरना अपने पूरे शबाब में है। जिसे देखने के लिए प्रतिदिन दूर दराज से सैकडो लोग पहुंच रहे है।इस झरने में दर्जनों लोगो ने गिर कर अपनी जान गवा चुके हैं लेकिन अब जिला पुलिस द्वारा सुरक्षा के दृष्टि से कोई इंतजाम नही किया गया हैं।जिसके कारण छग के कोने कोने से आने वाले पर्यटक मौज मस्ती करते हैं और दुर्धटना का शिकार हो रहे हैं ।यहाँ पर एक भी पुलिस वाले की तैनाती नही की गई हैं जिससे कारण पर्यटक बेधड़क होकर मौज मस्ती करते हैं और दुर्धटना का शिकार हो रहे हैं। यहां के झरने में गिरने से कुछ साल पहले बिलासपुर के युवक की मौत भी हो चुकी है। इसके बाद भी मंदिर समिति द्वारा पर्यटकों को आगाह करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
सियादेवी में युवा जहां चाहे वहां घूमते देखे जा रहे हैं।
जिस जगह हादसा हुआ वहां पर भी लोग सेल्फी लेने से परहेज नहीं कर रहे है। घनघोर जंगल में बसा सियोदेवी मंदिर, शक्ति सौंदर्य का अनोखा संगम अपने अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य से पर्यटकों का मन मोह रही है। जिले के प्राकृतिक जलप्रपात एवं गुफाओं के कारण नारागांव के यह देव स्थल आध्यात्म एवं पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्घ है।वनों से आच्छादित यह पहाड़ी स्थल प्राकृतिक जल स्त्रोतों के कारण और भी मनोहारी दिखाई पड़ता है।
इस पहाड़ी पर दो जगहों से जलस्रोतों का उदगम
पूर्व दक्षिण से आने वाला झोलबाहरा और दक्षिण पश्चिम से आने वाला तुमनाला का संगम देखते ही बनता है। इसी स्थल पर महादेव का पवित्र स्थल शोभायमान है। संगम स्थल से मधुर आवाज करती जलधारा मात्र 100 मीटर की दूर पर प्राकृतिक झरने में परिवर्तित हो जाती है।
सियोदेही में 2012 में हो चुकी है घटना
सियादेही में दो जिंदगी डूब चुकी है। जिनकी यादें आज भी ताजा है। 8 अगस्त 2012 को सियादेही मंदिर के पास कुंड में डूबने से बिलासपुर के सुनील सागर मोहंती और अग्निवेश प्रकाश शर्मा की मौत हो गई थी। दोनों अपने दोस्त विशाल प्रताप शर्मा, लव सिंह ठाकुर, विनी शुक्ला, रोशनी शर्मा और सना मेरिया, सुलेखा राबर्टसन के साथ सियादेही के खूबसूरत नजारे को देखने पहुंचे थे।मोबाइल पर सेल्फी के लिए जान जोखिम में डालकर गिरते झरने के पास पहुंचे और अचानक यह दर्दनाक हादसा हो गया था। इस हादसे के बाद भी प्रशासन ने यहां किसी तरह के सुरक्षा इंतजाम नहीं किए। आज भी यह झरना अपनी मोहक सुंदरता के चलते लोगों को अपनी ओर खींचता है,जिसके कारण पर्यटक खूबसूरत वादियो में अपने आप को रोक नही पाते और सेल्फ़ी लेने के चक्कर में फिसलकर कर गिर जाते हैं और दुर्धटना का शिकार हो जाते हैं ।झरने में कई दुर्धटनाए हो चुकी हैं लेकिन पुलिस द्वारा सुरक्षा के तहत कोई इतजाम नही किया गया । पर्यटको ने कहा की इस मनोरम द्रश्य को देखने के लिए हर सियादेवी मंदिर पहुचते हैं ।इसे देखकर ही मन प्रफुल्लित हो जाता हैं ।लेकिन यहां पर सुरक्षा के तहत कोई इंतजाम नही हैं।जिसके कारण लोग दुर्धटना का शिकार हो रहे हैं।बालोद पुलिस को सुरक्षा व्यवस्था के लिए ध्यान देना चाहिए।
सौंदर्य का अनोखा संगम हैं सियादेवी
सौन्दर्य का अनोखा संगम अपने अप्रतिम प्राक्रतिक सौन्दर्य से पर्यटकों का मन मोह लेती हैं, दंडकारण्य पर्वत से प्रारंभ होकर गंगा मैया झलमला से बड़-भूम वन मार्ग में 17 कि.मी.पर हैं, बालोद जिले के एक मात्र प्राक्रतिक जल प्रपात एवं गुफ़ाओ के कारण नारागांव स्थित सियादेवी स्थल आध्यत्म एवं पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध हैं !वनाच्छादित यह पहाड़ी स्थल प्राक्रतिक जल स्त्रोतो के कारण और भी मनोहारी दिखाई पड़ता हैं ! इस पहाड़ी पर दो स्थानों से जल स्त्रोतों का उद्गम हुआ है।
भगवान राम,सीता,लक्ष्मण वनवास,काल के दौरान पहुचे थे सियादेवी
पूर्व दक्षिण से आने वाला झोलबाहरा और दक्षिण पश्चिम से आने वाला तुमनाला का संगम देखते ही बनता हैं, इसी स्थल पर देवादिदेव महादेव का पवित्र देव स्थल शोभायमान हैं, संगम स्थल से कल कल करती जालधारा मात्र 100 मी. कि दूरी पर एक प्राक्रतिक झरने के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं इस झरने कि उचाई 50 फीट हैं इतनी ऊँचाई से पानी का चट्टानों पर गिरकर कोहरे के रूप में परिवर्तित हो जाना इसके प्राक्रतिक सौंदर्य को परिलाझित करती हैं ! पास ही स्थित वाल्मीकि आश्रम से वाल्मीकि जी इस द्रश्य को निहारते प्रतीत होते है
पहाड़ी पर स्थित सियादेवी मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से शोभायमान है जो धार्मिक पर्यटन स्थल कहा जाता है। यहां पहुंचने पर झरना, जंगल व पहाडो से प्रकृति की खूबसूरती का अहसास होता है। इसके अलावा रामसीता लक्ष्मण, शिव पार्वती, हनुमान, राधा कृष्ण, सियादेवी, भगवान बुद्ध, बुढादेव की प्रतिमाएं है। यह स्थल पूर्णत: रामायण की कथा से जुडा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में भगवान् रामसीता माता और लक्षमण वनवास काल में इस जगह पर आये थे|यहाँ सीता माता के चरण के निशान भी चिन्हित किये गए हैं। बारिस में यह जगह खूबसूरत झरने की वजह से अत्यंत मनोरम हो जाती है। झरने को वाल्मीकि झरने के नाम से जाना जाता है। परिवार के साथ जाने के लिए यह बहुत बेहतरीन पिकनिक स्पाट है।