बालोद – लकड़ी तस्करों का प्रमुख क्षेत्र डोंडीलोहारा बनता जा रहा है। जहां बड़ी आसानी से दिनदहाड़े ही लकड़ी तस्कर जंगलों के पेड़ को काटकर पास के आरा मिलो में खाफ़ा रहे तो समीपस्थ राजनांदगांव जिला मोहला मानपुर और अन्य राज्य महाराष्ट्र में भी तस्करी की जा रही है लकड़ी तस्करी और जंगल की तरफ कटाई का छेत्र तस्करों के लिए डोंडीलोहरा से जुन्नापानी तक फैले छेत्र में है यही से अंदर के रास्ते राजनांदगांव और मोहला मानपुर अम्बागढ़ चौकी जिला में आसानी से लकड़ी तस्करी कर रहे है इतना ही नही सौगंन और कई कीमती लकड़िया इन्ही जिले के बॉर्डर क्रॉस कर अंदर ही अंदर मानपुर या फिर चौकी के रास्ते महाराष्ट्र राज्य तक पहुच जा रही है। इन सब के बाद भी
डोंडीलोहरा वन विभाग सोया हुआ है पता नही इनकी नींद कब खुलेगी या फिर सब जानने के बाद भी इन्होंने अपनी आंख बंद कर ली है या फिर ये कहे तस्करों को मौन सहमति दे दी गई है। इस छेत्र में लकड़ी तस्करी बड़ी आसानी से इसी लिए हो जाता है कि अगर लकड़ी तस्करी की सूचना वन विभाग को दे तो वो कहते है राजस्व की जमीन का मामला है और राजस्व को बोले तो उनका कहना है कि वन विभाग वाले कार्यवाही में साथ नही देते आखिर कर लकड़ियों की पहचान तो वन अमले को करनी है ।
ऐसा ही ताजा मामला तब सामने आया जब पता चला कि डोंडीलोहारा से जुन्नापानी के बीच ग्राम गुरामी से कुछ ही दूरी पर रोड़ के साइड में काफी सारी लकड़िया काटी गई है जब मौके पर जा के देखा गया था दर्जनों कटे हुए पेड़ो की ठुट मिली तो कई पेड़ कटे हुए मिले अब मामले को लेकर जब लोहरा वन विभाग के एसडीओ से बात की गई तो उनका कहना था कि ये नीलगिरी के पेड़ है इसको काटने की परमिशन है वैसे भी ये राजस्व विभाग की जमीन है फिर जब मामले में लोहरा एसडीएम से बात की गई तो उनका कहना जस्ट उल्टा था उन्होनो तो नियम बताया कि अगर पेड़ लगाना है नर्सरी बनाना है तो इसके लिए भी परमिशन चाहिए और पेड़ कटाना है तो भी परमिशन चाहिए एसडीएम ने ये तक कहा कई बार वन विभाग को कार्यवाही के लिए बुलाते है मगर उनका साथ नही।मिलता । ऐसे में तो स्पष्ट है कि इन सब का फायदा लकड़ी तस्कर उठा रहे है ।
*आखिर पेड़ काटा किसने क्या था परमिशन*
ग्राम गुरामी डोंडीलोहरा छेत्र में आखिर इतने पेड़ किसने काटे इसका जवाब नही मिल पाया वनविभाग और राजस्व विभाग दोनो मामले को एक दूसरे पर डाल रहे है। वही ये मामला सड़क किनारे होने के कारण सामने तो आ गया लेकिन अब सोचनेवाली बात ये है कि जंगल अंदर के हालात क्या हो सकते है। बताया जाता है कि डोंडीलोहरा वन परिछेत्र में काफी ज्यादा सौगोंन और कीमती लकड़िया है जो भारी तादात में तस्करी होती रही है। मगर इसको रोकने के बजाए मौन सहमती दी जा रही है।
क्या कहते है जिम्मेदार
आप ने जो तस्वीर भेजी है वो मुझे नीलगिरी के पेड़ जैसी दिख रही है इसको किसान काट सकते है वैसे भी ये राजस्व की जमीन लगता है फिर भी मैं मामले को दिखवाता हु तस्करी जैसी कोई बात नही है :- जेएल सिन्हा एसडीओ वन विभाग
आप को बता दु काटने और लगाने दोनो के लिए परमिशन चाहिए ,,वन विभाग कार्यवाही में साथ नही देता कई बार बोला हु,,,अब ज्यादा मत पूछो कुछ नही बता पाउँगा :- एसडीएम डोंडीलोहरा