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*कांकेर दौरे पर पहुंचे प्रियंका गांधी और कुमारी शैलजा का संजारी बालोद विधायक ने इस खास प्राचीन पुतरी माला से किए स्वागत…क्या हैं पुत्री माला..पढ़े ये खबर*

बालोद -दो दिन पहले राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव प्रियंका गांधी और छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में आयोजित पंचायतीराज महासम्मेलन में शामिल हुए थे ..जहां पर कांग्रेसियों ने दोनो का जमकर स्वागत किए वही इस दौरान संजारो बालोद विधायक संगीता सिन्हा ने राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव प्रियंका गांधी और छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहना पुतरी पहनाकर स्वागत प सम्मान किए । वही दोनो दिग्गज नेताओं को जब विधायक संगीता सिन्हा ने इस पारंपरिक हार पहनाए तो वे इस माला के बारे में भी पूछे । जिस पर विधायक संगीता सिन्हा ने इस हार के बारे तथा छत्तीसगढ़ के पारंपरिक माला के बारे में संक्षिप्त में जानकारी भी दिए । तथा अपने पूरे कार्यक्रम के दौरान प्रियंका गांधी और कुमारी शैलजा इस हार को पहने रहे।

क्या है पुतरी माला

हमारे छत्तीसगढ़ के इस पारंपरिक हार का समूचे छत्तीसगढ़ के अलावा बस्तर में सबसे ज्यादा पहने जाते थे तथा यह माला अब धीरे धीरे प्रचलन से बाहर भी हो रही है । पुतरी का अर्थ होता है गुड़िया यानी की पुतरी (हार) पहनकर महिलाएं गुड़िया के समान दर्शनीय होती हैं पुराने जमाने में 1 रुपए के सिक्के के कुछ बड़े आकार के होते थे । 10- 12 सिक्कों को एक मोटे धागे में खास तरीके से गुत्थी किया जाता है।

यह सिक्के प्राचीन समय में चांदी से बनाए जाते थे लेकिन बदलते समय के साथ साथ इनमे चांदी का स्थान अन्य धातुओं ने ले लिया । इन सिक्कों पर विशेष प्रकार के चिन्ह अंकित होते हैं जिन्हें ठप्प कहा जाता है । यह माला प्राचीन समय महिलाएं अधिकतर पहने हुए दिखाई देते थे जिसके पीछे यह भी माना जाता है कि जिस तरह भाषा किसी क्षेत्र की पहचान होती है गहने भी उस क्षेत्र की पहचान कराती हैं एक जमाना था जब छत्तीसगढ़ी महिलाएं तोड़ा, सुर्रा, पुतरी, करधन बनाती थी। सच में देखा जाए तो छत्तीसगढ़िया समाज में महिलाओं के कुछ ऐसे परंपरागत गहने हैं जो उनके छत्तीसगढ़िया होने की पहचान या बोध कराते हैं यह गहने छत्तीसगढ़ के अलावा देश के दूसरे भू-भाग तथा अन्य राज्यों में दिखाई नहीं देती ।

 

 

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