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जिले के सभी न्यायालयों में नेशनल लोक अदालत का हुआ आयोजन,नेशनल लोक अदालत में पति-पत्नि के बीच हुआ राजीनामा

 

बालोद- राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार बालोद जिले के सभीन्यायालयो मे नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिनमें राजीनामा योग्य प्रकरणो में पक्षकारो की आपसी सहमति व सुलह समझौता से
निराकृत किये गये है। प्रकरणो के पक्षकारो की भौतिक तथा वर्चुअल दोनो ही माध्यमो से उनकी उपस्थिति मे निराकृत किये जाने के अतिरिक्त स्पेशल सिटिंग के माध्यम से भी पेटी अफेस के प्रकरणो को निराकृत किया गया। इस सिलसिले मे माननीय न्यायमूर्ति श्री गौतम भादुड़ी कार्यपालक अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस सम्पूर्ण लोक अदालत को सफल बनाये जाने हेतु निरंतर प्रयास करते हुए वीडियो काॅन्फ्रेसिग के माध्यम से भी लगातार अधिक से अधिक मामलो को निराकृत किये जाने हेतु प्रेरित किया। इसी तारतम्य मे जिला व सत्र न्यायालय बालोद एवं व्यवहार न्यायालय स्तर पर डौण्डीलोहारा, दल्लीराजहरा, गुण्डरदेही मे और राजस्व न्यायालयो मे भी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश बालोद के निर्देशानुसार इस लोक अदालत के लिए न्यायलयो मे कुल 08 खण्डपीठ का गठन किया गया, जिसमें कुल लंबित प्रकरण लगभग 1800 रखे गये थे, जिसमे कुल लगभग 1550 लबित प्रकरणो का निराकरण नेशनल लोक अदालत के माध्यम से किया गया। इस लोक अदालत मे प्री-लिटिगेशन के बैक, विद्युत, जलकर, बीएसएनएल के तथा
राजस्व न्यायालयो की खंडपीठ के समक्ष कुल 57107 प्रकरण रखा गया, जिसमे 53253 प्रकरणो का निराकरण नेशनल लोक अदालत के माध्यम से किया गया। इस लोक अदालत मे कुल 65,38,815/- रूपये राशि का अवार्ड पारित किया गया है। इस नेशनल लोक अदालत मे आपसी सहमति व सुलह समझौता करने वालो पक्षकारो को प्रोत्साहन स्वरूप पौधा वितरण भी किया गया। नेशनल लोक अदालत मे जिला न्यायालय परिसर मे आये पक्षकारो का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया।इस लोक अदालत मे मोबाईल वेन के माध्यम से पक्षकारो के गांवो मे जाकर हाईब्रिड मोड से किया गया राजीनामा। मोबाईल वेन का गांव मे पहुँचने पर हर्षित हुये राजीनामा करने वाले पक्षकार। उक्त कार्यवाही से पक्षकारो ने
जताया कि उनका समय एवं व्यय का संचय हुआ। कुटुंब न्यायालय बालोद मे धारा 125 द0प्र0सं0 भरण पोषण का मामला पत्नी के द्वारा अपने पति के विरूद्ध प्रस्तुत किया गया था, जो कि विगत एक वर्ष से चल रहा था। पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन से दो पुत्रियो का जन्म हुआ। लेकिन पुत्रियो के जन्म के बाद तुम बेटा क्यो जन्म नही देती कहते हुये अनावेदक/पति का व्यवहार आवेदिका/पत्नि के प्रति बदल गया तथा वह शराब पीकर आवेदिका/पत्नि
के साथ दुरूव्यवहार कर उसे घर से बाहर निकल दिया। आवेदिका/पत्नि अपना व अपने पुत्रियो का भरण-पोषण करने मे असमर्थ होने पर धारा 125 द0प्र0सं0 के तहत
भरण-पोषण राशि दिलाये जाने बाबत् माननीय कुटुंब न्यायालय मे आवेदन प्रस्तुत किया था। उक्त प्रकरण को इस नेशनल लोक अदालत शनिवार को
माननीय कुटुंब न्यायालय प्रधान न्यायाधीश की खंडपीठ पीठासीन अधिकारी श्रीमती गिरिजा देवी मेरावी एवं सुलहकर्ता सदस्यगण द्वारा उभय पक्षो को न्यायालय द्वारा
समझाईश दिये जाने पर उभय पक्ष आपसी वैचारिक मतभेद भुला कर एक साथ रहकर दामपत्य जीवन निर्वाहन करने के लिये सहमत हो गये। उन्हे परिवार न्यायाधीश द्वारा
सुखमय दाम्पत्य जीवन के लिये शुभकामनाएं दी गई।

नेशनल लोक अदालत मे जुडा परिवार

माननीय कुटुंब न्यायालय बालोद मे धारा 125 द0प्र0सं0 भरण पोषण का मामला लगभग 01 वर्ष से चला आ रहा था जिसका न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय बालोद श्रीमती गिरिजादेवी मरावी द्वारा सलाह व समझाईश देकर दोनो पक्षो के बीच समझौता कराया गया। आज नेशनल लोक अदालत के माध्यम से प्रार्थिया अपनी पुत्री के साथ पति के यहा रहने को तैयार हुई तथा कुटुंब न्यायालय बालोद के न्यायाधीश श्रीमती गिरिजादेवी मेरावी द्वारा प्रकरण को समाप्त कर दोनो को आपसी मतभेद को छोड़कर एक साथ रहने की समझाईश दी गई।

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