बालोद -छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्वों में से एक पर्व कमरछठ आज मनाया जाएगा।इस पर्व को देशभर में हलषष्ठी के रूप में भी मनाया जाता है और इस पर्व को लेकर अलग अलग जगहों में अलग मान्यताएं है कहीं पर इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि के लिए हलषष्ठी माता की पूजा-अर्चना करेंगी तो कहीं पर षष्ठी तिथि को भगवान बलराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। बलराम जी का प्रधान शस्त्र और मूसल है इसलिए इस दिन को हलषष्ठी, हरछठ या ललही छठ के रूप में जाना जाता है। बता दें कि श्री बलराम को हलधर के नाम से भी जाना जाता है। हल षष्ठी के दिन व्रत करने का भी विधान है। आज के दिन व्रत करने से श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होती है और जिनकी पहले से संतान है, उनकी संतान की आयु, आरोग्य और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। हल षष्ठी के दिन श्री बलराम के साथ-साथ भगवान शिव, पार्वती जी, श्री गणेश, कार्तिकेय जी, नंदी और सिंह आदि की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
छग में इस विधि से होगी पूजा
हलषष्ठी छठ माता की पूजा-अर्चना में पसहर चावल और छह प्रकार की भाजियों का भोग लगाया जाता है। पूजन के लिए महत्वपूर्ण पसहर चावल बाजार में 100 से 120 रुपये प्रति किलो बिक रहा है । माताएं व्रत की रस्म पूरा करने से सामग्री जुटाने में लगी हुई हैं।इन दिनों शहर के चौक-चौराहों में पसहर चावल की बिक्री हो रही है। पिछले साल की तुलना में इसमें 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। संतानों की दीर्घायु की कामना को लेकर माताएं कमरछठ पर्व पर कठिन व्रत रखकर पूजा- अर्चना करेंगी। इस पर्व पर उपवास तोड़कर खास अन्न ‘पसहर चावल’ का सेवन करेंगी। यह चावल सप्ताहभर पहले बाजार में पहुंच गया है। शहर के अलग-अलग स्थानों और दुकानों में यह चावल बिक रहा है। इस चावल की खास बात यह है कि यह बिना हल के ही खेतों में पैदा होता है। हलषष्ठी के पर्व पर इस चावल की मांग अधिक होती है। माना जाता है कि इस चावल से ही व्रत तोड़ने का सदियों पुराना रिवाज है। कमरछठ पर्व को महिलाएं पूरे उत्साह के साथ मनाती है। हलषष्ठी पर्व पर माताएं पूजा करने के स्थान पर सगरी खोदकर भगवान शंकर एवं गौरी, गणेश को पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ती, कांशी, खमार, बांटी, भौरा सहित अन्य सामग्रियां अर्पित करती हैं। पूजन पश्चात माताएं घर पर बिना हल के जुते हुए अनाज पसहर चावल, छह प्रकार की भाजी को पकाकर प्रसाद के रूप में वितरण कर अपना उपवास तोड़ेंगी।
100 से 120 रुपये किलो में बिक रही है पसहर चावल
शहर व गांव के बाजार में इन दिनों पसहर चावल 100 से 120 रुपये किलो में बिक रहा है। बताया जाता है कि इसमें भी अलग-अलग किस्म के पसहर चावल है। मोटा और साफ चावल के भाव तय कर दिए गए हैं। माताएं कठिन व्रत रखकर संतानों की लंबी आयु की कामना करेंगी।
बिना हल चले सामग्रियों की उपयोग करती है महिलाएं
हलषष्ठी देवी को धरती का स्वरूप माना जाता है। इसलिए इस दिन हल चले जमीन पर माताएं नहीं चलतीं और हल से जोते हुए जमीन से उपार्जित अन्न का उपयोग नहीं करती हैं। इसलिए ऐसी सामग्री जो स्वमेव ही पैदा हुई होती हैं उनकी डिमांड इस दिन बढ़ जाती है। जिसमें पसहर चावल खास होता है। क्योंकि यह बाजार में काफी कीमत पर मिल पाता है। व्रत व पूजा के लिए एक व्रती को 6 नग दोना, 2 पत्तल, 2 दातुन, 6 खुला पत्ता, 1 कासी फूल होता है। वहीं भैंस का दूध, दही, घी, लाई व 6 प्रकार की भाजी की जरूरत होती है। इन सामग्रियों के साथ व्रतियों का समूह (सगरी) खोदकर जल अर्पण कर वरूण देव की पूजा करते है। मान्यता अनुसार पसहर चावल का उपयोग कमरछठ में होता है पर देखा जाए तो यह धान का ही रूप है। इसे सहेजकर रखने के लिए ही संभवतः इस व्रत की शुरुआत हुई होगी।
हल षष्ठी का शुभ मुहूर्त
- भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि आरंभ- 4 सितंबर 2023 को शाम 04 बजकर 41 मिनट पर
- षष्ठी तिथि आरंभ समापन- 5 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर
- हल षष्ठी तिथि- 5 सितंबर 2023