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*Video:- गिल्ली डंडा, पिट्टूल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, खेलकर याद आई बचपन के दिन… 15-20 सालो बाद अपने पारंपरिक खेल खेलकर क्या बोले ये खिलाड़ी..*

बालोद.छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलो को बढ़ावा देने प्रदेश स्तर पर लगातार प्रयास किये जा रहे है…औऱ इन्ही प्रयासों का असर अब ग्रामीण इलाकों में भी इसका असर देखा जा रहा है ..वही जिले में ब्लाक स्तर पर आयोजित छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में न केवल बच्चे युवा बल्कि घरों की महिलाएं और बुजुर्ग भी बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे है।

 

.बालोद जिले के पांचों विकासखंड में आयोजित ब्लाक स्तरीय छत्तीसगढ़िया ओलिम्पिक का आयोजन किया जा रहा है….इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल जिसमें गिल्ली डंडा, पिट्टूल, संखली, लंगड़ी दौड़, कबड्डी, खो-खो, रस्साकसी और बांटी यानी ( कंचा)के अलावा,बिल्लस, फुगड़ी, गेड़ी दौड़, भंवरा,100 मीटर दौड़, लम्बी कूद, रस्सी कूद एवं कुश्ती सहित 22 प्रकार के खेलों का आयोजन किया गया है…इस खेलो में शामिल बच्चे महिलाएं सहित सभी वर्गों के खिलाड़ी शामिल हुए है तथा खिलाड़ी इस खेल को लेकर काफी उत्साहित नजर आए ।

*Video:- 15-20 सालो बाद अपने पारंपरिक खेल खेलकर क्या बोले ये खिलाड़ी..देखे ये वीडियो और हमारेचैनल को करे सब्सक्राइब

बालोद जिले के हथौद मैदान में ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचे राकेश्वरी, संगीता, पूनम सहित अन्य महिलाओं ने कहा बताया कि ज्यादातर खेलो को वे लोग बचपन में अपने गांव के गलीयो में खेलते थे लेकिन धीरे धीरे यह खेल समय और नए पीढ़ियों के आने के बाद विलुप्त सी हो रही थी आज इस मोबाइल युग में तो मानो ऐसे खेल पूरी तरह विलुप्त हो चुका था और आज के नए पीढ़ी की बचपना मोबाइल में गुम हो रही थी लेकिन वर्तमान सरकार द्वारा अचानक ऐसे खेलो को छत्तीसगढ़िया ओलंपिक के माध्यम से सामने लाये जिससे हम लोगो मे भी इस खेल को खेलने के लिए एक इच्छा जागृत हुआ और आज इस खेल को खेलते वक्त हमे अपने बचपन के दिनों का ख्याल आता है ।

वही युवा वर्ग के युवक युवतियों कि माने तो इस ओलंपिक में कई ऐसे खेल है जिसका नाम कभी सुने भी नही थे लेकिन इस आयोजन में अपने वरिष्ठों को खेलते देख उनके मन मे भी इस खेल को खेलने की इच्छा जागृत हुई और इन खेलों के माध्यम से अब आगे प्रदेश स्तर तक पहुंचने की इच्छा जताई है।


आपको बतादे बालोद जिले के ग्रामीण इलाकों में आयोजित छत्तीगढ़िया ओलंपिक को लेकर एक सकारात्मक माहौल देखा जा रहा है तथा ग्रामीण इलाकों में आयोजित इन खेलों को खेलने वाले खिलाड़ियों के अलावा इसे देखने के लिए लोगों की भीड़ लगातार उमड़ रही है वही इस खेल के आयोजन से गांवो में एक पर्व जैसा माहौल भी बन रहा है।

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