बालोद-जिले में कानून व्यवस्था के साथ साथ आम लोगो को सुरक्षित बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस पर है। खुद की जान जोखिम में डाल कर दूसरों को सुरक्षा देने वाले इन पुलिस कर्मियों की जान जर्जर आवास के बीच असुरक्षित है। कहीं जर्जर आवास के प्लास्टर टूटकर गिर रहे हैं, तो कहीं बारिश होते ही आवास का छत टपकने लगती है। दिन में तो किसी तरह सतर्क पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर लेते हैं।वही लगभग 4 वर्ष पूर्व दल्लीराजहरा मार्ग में नवीन पुलिस थाना के समीप गुणवत्ताहीन निर्माण सामाग्रियों से भ्रष्टाचार की नींव पर तैयार समय से पहले जर्जरता की ओर अग्रसर पुलिस कालोनी में पुलिसकर्मियों को विभिन्न समस्याओं के मध्य गुजर बसर करना पड़ रहा है।
समय से पहले जर्जरता की ओर अग्रसर पुलिस कालोनी
एक ओर जहां जिला मुख्यालय के पुराना बस स्टैण्ड के समीप लगभग 120 वर्ष पूर्व निर्मित पुलिस लाईन के खपरैल युक्त आवासीय मकान जो हद से ज्यादा जर्जर हो चुके हैं वहां लगभग 2 दर्जन पुलिस कर्मचारियों को अपने परिवार सहित जिंदगी गुजारना पड़ रहा है वहीं लगभग 4 वर्ष पूर्व दल्लीराजहरा मार्ग में नवीन पुलिस थाना के समीप गुणवत्ताहीन निर्माण सामाग्रियों से भ्रष्टाचार की नींव पर तैयार समय से पहले जर्जरता की ओर अग्रसर पुलिस कालोनी में पुलिसकर्मियों को विभिन्न समस्याओं के मध्य गुजर बसर करना पड़ रहा है।
अपने स्वयं के खर्च पर जर्जर आवासों में तिरपाल लगाकर और स्वयं मरम्मत कर निवास करने को मजबूर हैं पुलिसकर्मी
बता दे कि नगर के पुराना बस स्टैण्ड समीप वर्ष 1903 में थाना भवन के साथ ही पुलिसकर्मियों के निवास के लिए 26 खपरैल युक्त आवासीय मकान का निर्माण किया गया था। वर्तमान में नवीन थाना भवन का निर्माण तो किया गया लेकिन 120 वर्ष पूर्व निर्मित जर्जर आवास को तोड़ कर नवीन आवास निर्माण की दिशा में विभाग द्वारा अब तक कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अब भी पुलिसकर्मी अपने स्वयं के खर्च पर जर्जर आवासों में तिरपाल लगाकर अथवा स्वयं मरम्मत कर निवास करने को मजबूर हैं।
पुलिस आवासीय कालोनी के दीवार में उखड़ने लगी है सीमेंट की परतें
नवीन थाना भवन के समीप पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा पुलिसकर्मियों एवं उनके परिवार के लिए लगभग 4 से 5 वर्ष पूर्व निर्मित पुलिस आवासीय कॉलोनी गुणवत्ताहीन निर्माण के चलते महज कुछ वर्षों में ही जर्जरता की ओर अग्रसर हो चला है। कॉलम की नींव से लगे दीवाल में सीमेंट की परते उखड़ने लगी है वहीं उपरी मंजिल के लगभग सभी कमरों में बरसाती पानी सिपेज होने की समस्या उत्पन्न हो गई है। उल्लेखनीय है कि पुलिस निर्माण विभाग द्वारा पुलिस कर्मियों के लिए 120 आवासीय मकान का निर्माण किया गया है जहां कालोनी निर्माण के अधिकांश नियम कानून की धज्जियां उड़ाई गई है। कालोनी में कही ंभी वाहन पार्किग की कोई व्यवस्था नहीं है। मकानों से निकलने वाले निस्तारी तथा गंदा पानी निकासी की भी समुचित व्यवस्था नहीं किया गया है।
चार मंजिला कालोनी में चार से पांच वर्षों के बाद भी नही किया है लिफ्ट निर्माण
जानकारी के अनुसार गर्मी से पेयजल समस्या वहीं चार मंजिल कालोनी निर्माण के दौरान लिफ्ट निर्माण के लिए स्थान छोड़ने के पश्चात् भी विगत् 4-5 वर्षों में अब तक लिफ्ट निर्माण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है जो कि पुलिसकर्मियों के लिए जी का जंजाल बन गया है। लिफ्ट निर्माण के लिए छोड़े गए स्थानों में कभी कभी घर परिवार के बड़े बुजुर्ग एवं बच्चों के गिर जाने की आशंका बनी हुई है। आमलोगों की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को अपने ही परिवार की असुरक्षा की भावना के साथ कार्य करना पड़ रहा है। अपने ही विभाग की अनदेखी के कारण पुलिसकर्मियों को विभिन्न समस्याओं के साथ ही जर्जर हो चुके छतों में तिरपाल लगाकर अपने परिवार के साथ गुजर बसर करना पड़ रहा है।
कोतवाली थाने में स्थित पुलिस आवास को दिखवा लेता हूं फिर बताऊंगा :- शुशील नायक अतरिक्त पुलिस अधीक्षक बालोद