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छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लगाए गये एस्मा का विरोध ….संविदा कर्मचारियों द्वारा दिया गया सामूहिक इस्तीफा

 

बालोद – बालोद जिले में सभी विभागों के संविदा कर्मचारी 3 जुलाई से अनिश्चित कालीन आंदोलन पर है संविदा कर्मचारियों के आंदोलन से शासकीय विभागों के कार्य भी लगातार प्रभावित हो रही है। इस बीच राज्य शासन द्वारा एस्मा लगाए जाने से हड़ताली संविदा कर्मचारी और भी ज्यादा आक्रोशित हो चुके हैं। इसके चलते शुक्रवार को हड़ताली संविदा कर्मियों ने कलेक्टर को अपना सामूहिक इस्तीफा दे दिया।

कर्मचारियों का कहना है कि सरकार एस्मा लगाकर हम पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन हम किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आने वाले है। हमारी मांगे जायज है और इसे हम पूर्ण करवा कर ही दम लेंगे।शुक्रवार को कलेक्टर को सामूहिक इस्तीफा देने से पूर्व हड़ताली संविदा कर्मियों ने सीएमएचओ को भी पत्र सौपा है। इसके बाद सभी कलेक्ट्रेट पहुंचे।

प्रदर्शन के दौरान हड़ताली संविदा कर्मियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के समस्त संविदा कर्मचारी निरंतर 15-20 वर्षों से कार्य करने के उपरांत अचानक नौकरी से निकाले जाने का भय एवं पारिवारिक सुरक्षा नहीं मिलने के कारण नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं, जिससे स्थायीकरण, वरिष्ठता का लाभ, वेतन, गेच्युटी, क्रमोन्नति, पदोन्नति, सामाजिक सुरक्षा, अनुकम्पा नियुक्ति एवं बुढ़ापे का साहारा पेंशन, अवकाश जैसे आदि अनिवार्य रूप से मूलभूत सुविधाएँ नही मिल पा रही है। विषम परिस्थितियों एवं कोरोना काल में भी बिना किसी ठोस बीमा सुरक्षा, अनुकम्पा नियुक्ति, अल्प वेतन एवं भत्ते में अपनी सेवाएँ देते आ रहें हैं।

बहुत से संविदा कर्मचारी कालकलवीत होने के उपरांत सेवा के प्रतिफल में उनके परिजनों को कुछ भी नहीं मिला। उक्त उपेक्षा पूर्ण व्यवहार से समस्त विभाग के संविदा कर्मचारी भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपनी रोजी-रोटी को बचाने के लिए विवश होकर 03 जुलाई 2023 से मजबूरीवश अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है।जन घोषणा पत्र 2018 में नियमितीकरण किए जाने का उल्लेख लिखित में होने के साथ-साथ आपके द्वारा 14 फरवरी 2019 को मंच से घोषणा भी की गई तथा नियमितीकरण हेतु समिति गठन के उपरांत भी साढ़े चार वर्ष पश्चात नियमितीकरण नही किए जाने के विरोध में तथा एस्ना का हवाला देकर दमन पूर्वक नियमितीकरण के वादे को दबाया जा रहा है। जिससे छत्तीसगढ़ के समस्त संविदा कर्मचारी निराश एवं से छुब्ध होकर सामूहिक (इस्तीफा ) त्याग पत्र देने को मजबूर हैं। इस दौरान बड़ी सँख्या में सविदा कर्मचारी शामिल रहे।

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