नई दिल्ली/मुम्बई । सच्ची घटनाओं पर आधारित ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द केरला स्टोरी’ फिल्म की सफलता के बाद ‘अजमेर 92 (Ajmer 92)’ फिल्म 14 जुलाई, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। लेकिन इस फ़िल्म के पर्दे पर आने से पहले ही फ़िल्म को लेकर विवाद गहराना शुरू हो गया है । फ़िल्म को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-i-Hind) ने ‘अजमेर 92’ फिल्म पर बैन लगाने की माँग की है।
जमीयत के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने कहा, “आपराधिक घटनाओं को मजहब से जोड़ने की बजाए इसके खिलाफ एकजुट कार्रवाई करने की जरूरत है। वर्तमान समय में समाज को विभाजित के बहाने खोजे जा रहे हैं। यह फिल्म समाज में दरार पैदा करेगी।”
‘72 HOORAIN’ FIRST LOOK OUT NOW… 7 JULY RELEASE… #FirstLook of two-time #NationalAward winner #SanjayPuranSinghChauhan’s #72Hoorain… In *cinemas* 7 July 2023.#72Hoorain is produced by #GulabSinghTanwar, #KiranDagar and #AnirudhTanwar… Co-produced by #AshokePandit.… pic.twitter.com/fkCqvqNTkp
— taran adarsh (@taran_adarsh) June 4, 2023
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे। लोगों के दिलों पर राज करने वाले ‘सच्चे सुल्तान’ थे। हजार सालों से देश की पहचान है। उनका व्यक्तित्व शांति दूत के रूप में जाना जाता है। उनके व्यक्तित्व का अपमान करने वाले स्वयं अपमानित हुए हैं।मदनी कहा, अभिव्यक्ति को आजादी का मूल अधिकार जरूर मिला है, और लोकतंत्र की मूल शक्ति भी। लेकिन इसकी आड़ में प्रोपेगैंडा चलाया जा रहा है। लेकिन देश को तोड़ने वाली धारणाओं को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। देश के लिए हानिकारक है और यह देश की एकता-अखंडता के लिए गंभीर खतरा और हमारी प्राचीन संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने कहा, वर्तमान समय में जिस तरह से विभिन्न धर्मो के अनुयायियों को निशाना बनाने के लिए फिल्मों, सोशल मीडिया आदि का सहारा लिया जा रहा है, वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिल्कुल अलग है और एक स्थिर राज्य के संकल्प को कमजोर करने वाला है।मदनी ने कहा, समाज को विभाजित करने के लिए नए तरीके खोजे जा रहे हैं। आपराधिक घटनाओं को धर्म से जोड़ने को फिल्मों और सोशल मीडिया का सहारा लिया जा रहा है। जो हमारी और आनी वाली विरासत के लिए हानिकारक है।उन्होंने कहा, अजमेर की घटना को जिस रूप में पेश किया जा रहा है, वह पूरे समाज के लिए दुखद और निराशाजनक है। जिसके लिए धर्म और सामूहिक संघर्ष की जरूरत है। उन्होंने केंद्र सरकार से समाज को बांटने की कोशिश करने वाली फिल्म को प्रतिबंधित करने की मांग की है।