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आज सर्वसिद्ध मुहूर्त ..किसी भी कार्य को बिना मुहूर्त कर सकते है प्रारंभ.. अक्ति में पितरों को जल तर्पण से लेकर विवाह का सबसे अच्छा मुहूर्त क्यों माना जाता है…

बालोद,आज देशभर के कई इलाकों अक्षय तृतीया यानि अक्ती का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस त्योहार को सबसे अच्छा मुहूर्त वाला त्योहार माना जाता है ।आज के इस दिन को विप्र समाज परशुराम जयंती के रूप में भी मनाती है। इस त्योहार का छत्तीसगढ़ में भी खास महत्व है । आज के दिन ग्रामीण अंचल में ठाकुर देव की पूजा अर्चना कर अच्छी फसल होने की कामना की जाएगी। गांवों में कामकाज बंद रहेगा। किसान ठाकुर देव स्थल पर एकत्रित होकर दोने में धान अर्पित करेंगे। इस दिन ठाकुर देव की पूजा के बाद ही लाल मटके में पानी भरने का नियम होता है।इस दौरान बच्चे पुतरा-पुतरी का ब्याह रचाएंगे। अक्ति पर्व को देखते हुए शहर में गुड्डा गुड्डी की दुकाने सज गई हैं ।लोग अपने अपने बच्चों के लिए गुड्डा गुड्डी खरीद रहे हैं। बाजार में गुड्डा गुड्डी 70 से 80 रुपये तक बेचीं जा रही हैं।

अक्ति पर पितरों को देते हैं भोजन

अक्ति के ही दिन अपने पूर्वजों को पानी देने का काम शुरू हो जाता है। गांवों में नदी, तालाबों में जाकर घर के बड़े बुजुर्गों ने अपने पूर्वजों के लिए पलाश के पत्ते में उड़द दाल व चांवल डालकर घास में रख पानी दिया जाएगा ताकि पूर्वजों को शांति मिल सके। अक्ती पर ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि सहित अन्य कार्य बंद रहेंगा। महिलाओं ने आंगन की लिपाई-पोताई करेगी। घरों में पकवान बनाया जाएगा। जिसे परिवार के सदस्यों घर में पूजा-अर्चना के बाद ग्रहण करेगे।

ठाकुदेव की पूजा अर्चना कर अच्छी फसल के लिए कामना करेगे ग्रामीण

जिला मुख्यालय सहित अन्य गांवों में ठाकुर देव प्रतिमा स्थल पर जाकर ग्रामीण पूजा अर्चना करेगे। गांवों के सभी किसान अपने घर से पलाश के पत्तों से बने दोने में धान लेकर पहुचेंगे। जहां गांव के बैगा ने विधि विधान से मंत्रोच्चारण के साथ दो-तीन घंटे तक पूजा अर्चना करेगे। इसके बाद किसानों ने दोने में लाए धान को ठाकुर देव को अर्पित किया जाएगा। किसानों ने अच्छी बारिश व फसल की कामना करेगे। इसके बाद से ही किसान नई फसल की तैयारी शुरू हो जाएगी।

अक्ति में गांव गांव में गूँजेगी सहनाई

हर बार की तरह इस बार भी अक्षय तृतीया (अक्ती) पर गांव-गांव में मंडप सजेंगे। एक ही गांव में 4 से 5 शादियां होगी। अक्ती के दिन कृषि व अन्य कामकाज बंद रखकर त्योहार मनाया जाता है। इसी त्योहार के साथ शादी का मजा ही कुछ और होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्ती पर बिना मुहूर्त, लग्न देखे शादियां रचाई जाती है। गांव के जितने पंडित है। वे पहले से ही बुक हो गए है। कई आयोजकों को मजबूरन दूसरे गांव या बाहर से पंडित बुलाकर शादी की रस्में संपन्न कराना पड़ रहा है। शादी के सामान की खरीददारी जोरशोर से की जा रही है। कड़ी धूप में भी वे दूर-दूर से बालोद आकर कपड़ा, बर्तन, आदि के सामान खरीद रहे है। शादी संपन्न कराने आस पड़ोस का भी सहयोग ले रहे है।लक्ष्मी ने बताया कि अक्षय तृतीया पर शादी होना शुभ कार्य है। यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है। इसे कोई बदल नहीं सकता। इस दिन गुड्डा-गुड्डी की भी शादी की जाती है।

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