बालोद,भाजपा जिला उपाध्यक्ष राकेश यादव ने कहा है कि बेरोजगारी भत्ते के लिए प्रदेश सरकार द्वारा जारी नियम व शर्तें बेरोजगार युवकों के साथ छल का एक और दांव है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी भत्ता के लिए जिस तरह से मापदंड प्रदेश सरकार ने तय किए हैं, उससे यह स्पष्ट प्रतीत हो रहा है कि प्रदेश सरकार युवाओं को न तो रोजगार के अवसर देने की मंशा रखती है और न ही बेरोजगारी भत्ता देने का उसका कोई इरादा है। उन्होंने सवाल किया कि बेरोजगारी भत्ता देने का नाटक करने वाली प्रदेश सरकार ने पंजीयन के लिए पात्रता सूची निकाली है या अपात्रता सूची?
भाजपा युवा नेता राजीव शर्मा ने कहा कि इंजीनियर्स, एडवोकेट्स, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, आर्किटेक्ट ऐसे सारे विषयों में पंजीकृत लोगों के परिवारों के युवा, पिछले वित्तीय वर्ष में आयकर जमाकर्ता परिवार के युवा, 10 हजार रुपए से अधिक पेंशन प्राप्त करने वाले परिवार के युवा, बेरोजगारी भत्ता लेने वाले युवा को स्वरोजगार या निजी/सरकारी क्षेत्र में रोजगार का ऑफर आता है और उसे किन्हीं कारणों से अस्वीकार करने वाले युवा, केन्द्र या राज्य के तृतीय या इससे ऊपर की श्रेणी में नौकरी करने वाले परिवार के युवा बेरोजगारी भत्ता लेने के लिए अपात्र बनाए गए हैं। इसी प्रकार परिवार में यदि किसी एक युवा को भी बेरोजगारी भत्ता मिल रहा है तो उस परिवार के अन्य युवा भी बेरोजगारी के लिए अपात्र होंगे। परिवार की वार्षिक आय ढाई लाख रुपए या इससे अधिक है तो उस परिवार के युवा भी इस भत्ता योजना के लिए अपात्र होंगे। दो वर्ष पुराना पंजीयन नहीं हो तो भी वह युवा बेरोजगारी भत्ता के लिए अपात्र होगा ।भाजयुमो शहर अघ्यक्ष रौनक कत्याल, ग्रामीण अध्यक्ष पार्थ पार्थ साहू ने कहा कि बेरोजगारी भत्ता के लिए रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन ही होगा, अब प्रदेश सरकार बताए कि जिन दूरस्थ इलाकों में मोबाइल और कम्प्यूटर कनेक्टिविटी नहीं है तब उन युवकों का रजिस्ट्रेशन कैसे होगा? प्रदेश सरकार कौशल विकास केन्द्र में प्रशिक्षण लेने पर बेरोजगारी भत्ता देने की बात कह रही है, जबकि प्रदेश में कौशल उन्नयन केन्द्र और लाइवलीहुड कॉलेज लभगभग बंद पड़े है। युवकों के लिए रोजगार के प्रशिक्षण के अवसर ही प्रदेश सरकार ने छीन रखे हैं तो बेरोजगारी भत्ता देने का आधार क्या होगा? कौशल उन्नयन और मुद्रा लोन के जरिये रोजगार मुहैया कराने की योजना केन्द्र सरकार की है। प्रदेश सरकार ने कौशल विकास के अवसर छीनकर अब उसी आधार पर बेरोजगारी भत्ता देने की शर्त रखी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की घोषणा के मुताबिक इसके लिए 12वीं (हायर सेकेंडरी) उत्तीर्ण होना आवेदक के लिए अनिवार्य किया गया है। तो क्या प्रदेश सरकार यह मानती है कि 12वीं से कम शैक्षणिक योग्यता रखने वाले युवकों को रोजगार या परिवार के भरण-पोषण का अधिकार नहीं है? क्या हायर सेकेंडरी से कम शैक्षणिक योग्यता वाले युवक बेरोजगारी की श्रेणी में नहीं आते? उन्होंने कहा कि बेरोजगारी भत्ता की यह शर्त भी छलावा ही है कि कौशल विकास प्रशिक्षण के बाद यदि आवेदक को स्वरोजगार या शासकीय या निजी क्षेत्र में किसी नौकरी का ऑफर दिया जाता है और आवेदक ऑफर स्वीकार नहीं करता तो वह बेरोजगारी भत्ता के लिए अपात्र होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि आवेदक को किसी स्वरोजगार या किसी तरह की नौकरी का ऑफर मिला या नहीं, यह कौन तय करेगा? क्या ऐसा मापदंड तय करके प्रदेश की बघेल सरकार भ्रष्टाचार का विस्तार करने पर आमादा है?