बालोद-इस बार होली हर्बल गुलाल से गुलजार होगी. होली के रंग जब लोगों के चेहरे पर रंगेंगे तो उनकी खुशी दोगुनी हो जाएगी, क्योंकि ये हर्बल गुलाल त्वचा को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाएंगी. कुछ ऐसी ही खूबियों से भरी हर्बल गुलाल के निर्माण में जुटी है बालोद जिले की घरेलू महिलाएं. बिहान समूह से जुड़ी महिलाओं होली के लिए बड़ी मात्रा में फूलों की पंखुडियों और साग, भाजी और पत्तियों से कई तरह के हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. जो बाजार में हाथों हाथ बिक जाती है. रोजी-मजदूरी करने वाली महिलाएं अब घर बैठे हर्बल गुलाल बनाकर हजारों रुपए भी कमा रही है.
बालोद जिले में विगत तीन वर्षों से विभिन्न गौठानो में 22 बिहान समूहों के सदस्यों की महिलाओं द्वारा हर्बल गुलाल बनाया जा रहा हैं। जिले की महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही हैं। इस बार के होली पर जिलेवासियों को रासायनिक नहीं हर्बल गुलाल सस्ते दर पर मिलेगा। जिसमें सभी विकासखंडों के गुलाल बना रहे समूहों को हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण वन विभाग के आदिवासी समूह की महिला श्रीमती रामेश्वरी एवं श्रीमती सतरूपा ग्राम मंगचुवा द्वारा दिया गया जिसमें वनस्पतियों यथा- नीम, पालक एवं फूल यथा-गेन्दा, कनेर पलास एवं चुकन्दर जैसे फलो के रसो का प्रयोग कर यह हर्बल गुलाल तैयार किया गया हर्बल गुलाल के प्रयोग से पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण को कम करने एवं साथ ही साथ स्व-सहायता समूहों की ग्रामीण महिलाओं के स्वरोजगार को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। इस वर्ष भी जिले के 22 बिहान समूह के सदस्यों द्वारा पालक पत्ते के रस,चुकुन्दर रस,पलाश फूल से हर्बल गुलाल का निर्माण किया जा रहा अभी तक लगभग 6000 किलो का निर्माण कर 120 रु से 150 रु प्रति किलो की दर से सी मार्ट,स्थानीय बाजार एवं स्टाल लगाकर विक्रय किया जा रहा है
रंग बनाने में सब्जियों का हो रहा प्रयोग
पालक की भाजी से हरा, लाल भाजी से गुलाबी व चुकंदर से लाल रंग हल्दी से पीला रंग दिया जा रहा है। गुलाब, गेंदा, टेसू जैसे फूलों की पंखुड़ियों से भी यह महिलाएं प्रीमियम क्वालिटी का हर्बल गुलाल बना रहीं हैं। महिलाओं ने आगामी होली के त्योहार तक अलग-अलग रंग के लगभग 50 क्विंटल हर्बल गुलाल बनाने का लक्ष्य तय किया है। प्रशासन की मदद से इस गुलाल की बिक्री के लिए समूहों को स्थानीय बाजार उपलब्ध कराने की तैयारी की गई है । महिलाओं ने बताया कि उन्हें और उनके जैसी लगभग 60 महिलाओं को दो चरणों में आजीविका मिशन के तहत हर्बल गुलाल बनाने का प्रशिक्षण मिला है। इसमें किसी भी तरह के रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं किया गया है। इसमें चेहरे में निखार के लिए हल्दी, चंदन, गुलाब जल आदि मिलाया जा रहा है। रासायनिक पदार्थों का उपयोग नहीं होने से यह गुलाल त्वचा, आंख, बाल आदि के लिए हानिकारक नहीं होगा और इसे बिना किसी चिंता के लोग होली में उपयोग कर सकेंगे।
स्वसहायता की महिलाओं ने लाल भांजी हल्दी गेंदा फूल बेसन जैसे चीजो के साथ तैयार कर रहे है केमिकल युक्त होली का रंग
केमिकल रंगों का आंतरिक प्रभाव किस तरह से होली में पड़ता इसे आप सभी जानते ही है. इसलिए इस बार आपके लिए कुछ खास तरीके से रंगों को तैयार किया है महिलाओं. स्वसहायता समूह की महिलओं ने प्राकृतिक तरीके से होली का ऐसा रंग तैयार किया है, जो हर लिहाज से बढ़िया है. समूह की महिलाओं ने रंगों का हर्बल प्रोडेक्ट तैयार किया है स्व-सहायता समूह की इन महिलाओं ने लाल भाजी, चुकंदर, हल्दी, गेंदा फूल, बेसन जैसे चीजों के साथ केमिकल मुक्त होली के रंग तैयार किए हैं. इसमें हरा, नीला, नारंगी, लाल जैसे कई रंग और गुलाल शामिल है ।