बालोद जिले के राजाराव पठार में आयोजित वीर मेला व आदिवासी महासम्मेलन में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके शामिल हुई..इस कार्यक्रम में मंचीय उद्बोधन तथा मीडिया से रूबरू होते हुए राज्यपाल ने आरक्षण के मुद्दे पर राज्यसरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया…. मंच के माध्यम से राज्यपाल ने खुद के द्वारा छग सरकार को लिखे पत्र को मंच से पढ़कर सुनाए….इस दौरान राज्यपाल में लंबित आदिवासी आरक्षण पर बताये कि आरक्षण पर छत्तीसगढ़ में चल रहे आंदोलन व बवाल उनके द्वारा ही पत्र लिखकर इस मसले को सुलझाने विशेष सत्र बुलाने सरकार को पत्र लिखे थे… जिसमे उच्चन्यायालय द्वारा अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को 32 प्रतिशत से घटाकर16 प्रतिशत कर दिया जिसे सुधारने विधयेक पारित कर बिल पेश करने को कहा गया था..लेकिन राज्यसरकार ने छत्तीसगढ़ में पूर्व से तय आरक्षण जो 58 प्रतिशत था उसे बढ़ाकर 76 प्रतिशत कर दिया…जबकि उच्चन्यायालय ने पहले ही 58 प्रतिशत आरक्षण पर सवाल खड़े करते हुए उस आरक्षण पर रोक लगा दी है ..ऐसे में राज्यसरकार द्वारा बिल को सुधारने की जगह और बढ़ाकर भेजने के कारण यह बिल आज उनके पास लंबित है.
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राज्यपाल के भाषण से पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने अपने भाषण में मंच से राज्य सरकार को साधते हूए कहा बस्तर में 11 जगह आंदोलन चल रहा है ,,सरकार को मतलब नही ,,,,,,सारा कार्य सविधान के खिलाफ कर रहे है राज्य सरकार,,,,बस्तर के जितने जेल है बड़ा गन्दा है ,,,,2 साल पहले दंतेवाड़ा में आदिवासी इक्कठा हुए वहां पुलिस वालों ने मारा और जंगल में भगाया गया,,,बस्तर के जेल को देखे जिनका बुरा हॉल है,,,पेशा कानून को लेकर खेल रही राज्य सरकार,,,,आदिवासी समाज का 56 विषय है ,,,,,जो महा पंचायत आदिवासी समाज के बीच रखा गया,जिसमे आरक्षण बड़ा मुद्दा है ,,,,,कोल ब्लॉक के लिए जमीन देना असवैधानिक है ,,,चिंता जाहिर किया कि समाज को अभी उप चुनाव में लड़ना पड़ा ,,,,जबकि समाज का ये काम नही की चुनाव लड़े,,, मगर कहि न कही सरकार के द्वारा समाज की उपेछा की जा रही है ,,,मंच से राज्यपाल से कहा कि जल्द आरक्षण के मामले को सुलझाया जाए ,,,,बस्तर के जो आदिवासी तेलांगना में जा के बस गए है उनको वापस बस्तर लाकर बसाया जाए ,,,,,,जिसके बाद राज्यपाल से मंच में आमंत्रित करते हुए आदिवासियों की समस्याओं का समाधान के लिए आग्रह किये ।