बालोद- धान से लदे ओवरलोड ट्रक इन दिनों बालोद की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इन पर संबंधित विभाग की नजर पड़ती भी है, लेकिन सरकारी है कहकर चलता कर दिया जाता है। ऐसे ओवरलोड वाहनों से हमेशा खतरा बना रहता है। मार्कफेड धान की खरीदी कर रही है। ये धान जिले के खरीदी केंद्रों से राइसमिल और संग्रहण केंद्र पहुंचाए जा रहे हैं। ट्रांसपोर्टर नियम कानून की परवाह किए बगैर ट्रकों में क्षमता से अधिक धान भर कर ले जा रहे हैं।
ट्रांसपोर्टर ट्रकों में ओवरलोड धान भरकर कर रहे परिवहन
जानकारी के अनुसार 10 चक्कावाले ट्रक में 20 टन, वहीं 12 पहिया वाले ट्रक में 25 टन, 14 चक्का वाले 30 टन माल परिवहन करने का नियम है, लेकिन ट्रांसपोर्टरों द्वारा सारे नियमों को दरकिनारे करते हुए प्रत्येक ट्रकों में लगभग 7 से 10 टन अधिक माल भरकर धान का परिवहन किया जा रहा है। इन ट्रकों में ओवरलोड माल भरे होने की जानकारी विभाग को होती है, लेकिन कार्रवाई नहीं होती। उठाव की रफ्तार पहले धीमी थी, तब ऐसा नजारा कम देखने को मिलता था, लेकिन जब से खरीदी केंद्रों में धान की आवक बढ़ी तब से ट्रांसपोर्टर ट्रकों में ओवरलोड धान भरकर परिवहन कर रहे हैं।
ओवरलोड चलने वाले वाहनों के खिलाफ यातायात पुलिस नही करती कार्यवाही
सरकारी काम के नाम पर बालोद जिले में बड़े पैमाने पर 14 चक्का से भी अधिक बड़े वाहनों में ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित धान खरीदी केंद्रों से संग्रहण केंद्र में धान का परिवहन कराया जा रहा था। ओवरलोड चलने वाले निजी वाहनों के खिलाफ ट्रैफिक पुलिस कड़ी कार्रवाई करती थी। यही नहीं जिला परिवहन विभाग द्वारा भी अभी तक एक भी बार ऐसे वाहनों के विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीण क्षेत्र होने के बावजूद इनके लिए बनाई गई सड़कों पर 50 टन से भी अधिक भार क्षमता वाले वाहन बेखौफ होकर सरकारी धान का संग्रहण केंद्र तक परिवहन कर रहे थे। इन्हीं सवालों के कारण गारंटीशुदा सड़कें बदहाल होने लगी हैं। समय से पूर्व खराब होने वाली ऐसे सड़कों को लेकर गांव-गांव के स्थानीय जनप्रतिनिधि लगातार विभाग में शिकायत भी कर रहे हैं, लेकिन यातायात विभाग द्वारा ओवरलोड वाहनो पर कोई कार्यवाही नही की जा रही है।
सड़कों की बिगड़ी हालत
ओवरलोड धान से भरे ट्रक इन दिनों जिला मुख्यालय सहित गुडरदेही, गुरुर,अर्जुन्दा,दल्लीराजहरा,डोंडी,डोंडीलोहारा से इस कदर फर्राटे मार रहे हैं कि सड़कों की हालत बदतर होती जा रही है। एनएच सड़कों की हालत तो खराब हो ही रही है। वहीं गांव-गांव से धान का उठाव होने से ग्रामीण क्षेत्र के सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है। पीएमजीएसवाय की सड़कें पहले से ही कम मोटाई की बनी होती है। ऐसे में भारी वाहन गुजरते ही सड़क के परखच्चे उड़ रहे हैं।