बालोद- धरती को हरा भरा करने व मौसम दूषित न हो इसके लिए सरकार जगह-जगह पौधारोपण कराती हैं जिससे वातावरण सही बना रहे लेकिन बालोद क्षेत्र में धरातल पर असलियत कुछ और ही दिख रही है। यहां हरे पेड़ों पर बेरोकटोक आरी चल रही है।ग्राम जुगेरा में कोयला भट्टी के बाहर लगे लकड़ी के जमावड़े को देखकर हकीकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। जुगेरा में संचालित कोयले की भट्टी बिना लाईसेंस के संचालित हो रही हैं। इसके बाद भी जिम्मेदारों के कदम जांच की दिशा में बढ़ते नहीं दिख रहे हैं।जुगेरा में कोयला बनाने के लिए भट्टी संचालित हो रही हैं। आसपास के गांव से कम दामों में हरे पेड़ों को खरीदकर भट्टी में खपाया जा रहा हैं। स्थानीय लोगो के अनुसार सैकड़ों क्विटल लकड़ी भट्टी में प्रयोग की जाती है फिर उसी लकड़ी को जलाकर कोयला बनाकर ऊंचे दामों में बाहर ले जाकर बेंचा जाता है।।भट्टी के बाहर हरी लकड़ी का स्टॉक नजर आता है।
जुगेरा में संचालित है अवैध कोयला भट्टी
जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से 3 किमी दूरी पर स्थित ग्राम जुगेरा में कोयले का पिछले लंबे समय से काला कारोबार धड़ल्ले से हो रहा है। बंजारी मन्दिर के पीछे खेतों में कोयले की अवैध भट्टी चल रही है। यहां रोजाना भारी तादात में बबूल व अन्य हरे वृक्षों की लकड़ियाें को भट्टियों में डाल कर भारी मात्रा में कोयला निकाला जा रहा है। कोयला माफियाओं के खिलाफ पंचायत, पुलिस व प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की है। यहां अवैध भट्टी बिना रोक-टोक के चल रही है। ग्राम जुगेरा के एक व्यक्ति द्वारा पिछले लंबे समय से कोयला का कारोबार कर रहे हैं।बजारी मंदिर के पीछे खेत में भट्टियां बना कर कोयले की फैक्ट्री खोली। कुछ ही दिन में उसका यह काला कारोबार फलने-फूलने लगा। कोयले की भट्टियां लगा दी और कोयले का अवैध धंधा शुरू कर दिया। ग्राम जुगेरा में अवैध फैक्ट्री में सैकड़ो किलो कोयला निकाला जा रहा हैं। वही इस मामले पर कोयला फ़ैक्ट्री के संचालक ने वन विभाग बालोद में अनुमति के लिए आवेदन लगाने की बाते कही हैं।कोयला बनाने के लिए लकड़ी का कोयला बनाने के लिए गीली लकड़ी सबसे बेहतर होती है। ऐसे में हरे-भरे पेड़ों से लकड़ियां काटकर उपयोग करते हैं।