बालोद-जिले के स्कूलों में रसोईया संघ ने सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दिया है। रसोइयों के हड़ताल पर जाने से स्कूलों में मध्यान्ह भोजन प्रभावित हो रहा। हड़ताल का असर यह रहा कि स्कूली बच्चे अपने धंर से टिफिन में खाना लाकर स्कूलों में भोजन कर रहे है।प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनाने वाले जिले के 2553 रसोइया नियमितीकरण व वेतनवृद्धि की मांग को लेकर सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रायपुर चले गए हैं। मध्याह्न भोजन व्यवस्था चरमरा गई है। वहीं मध्याह्न भोजन विभाग ने कई स्कूलों में तीन माह से मध्याह्न भोजन संचालिकाओं को राशि का भुगतान नहीं किया है, जिससे महिलाएं नाराज हैं। मध्याह्न भोजन बनाने से मना कर दिया। इस कारण कई स्कूलों में मध्याह्न भोजन नहीं बना। बच्चे भूखे रहे। कई स्कूलों में महिला समूहों ने भोजन बनाया। वहीं शिक्षा विभाग के निर्देश के बाद भी संचालनकर्ता महिला समूह ने भोजन बनाने से मना करते हुए मध्याह्न भोजन का संचालन करना छोड़ दिया।
मानदेय नहीं दे रहे तो भोजन कैसे बनाएं
बालोद मरार पारा स्थित शासकीय आत्मानंद पूर्व माध्यमिक शाला में मध्याह्न भोजन संचालिका संतोषी ने बताया कि तीन माह से जिला शिक्षा विभाग के मध्याह्न भोजन शाखा ने मानदेय का भुगतान नहीं किया है। इस कारण यहां एक सितंबर से मध्याह्न भोजन बंद है। जब तक पूरी राशि नहीं आती, तब तक हम भोजन भी नहीं बना सकते। यही स्थिति प्राथमिक शाला हीरापुर, प्राथमिक शाला कुंदरूपारा, प्राथमिक शाला गंजपारा की भी है। यहां जून, जुलाई व अगस्त तक मध्याह्न भोजन बनाने दी जाने वाली राशि का भुगतान नहीं किया है।बच्चे घर गए तो लटका था ताला रसोइयों की हड़ताल से कई स्कूलों में चूल्हा तक नहीं जला। कई स्कूलों में बच्चों को भोजन के लिए घर भेजा गया, लेकिन कई स्कूली बच्चों के घर उनके पालक खेत व अन्य जगह चले गए थे। घर में ताला लटका देख बच्चे वापस घर आए। इस तरह की स्थिति कई स्कूलों में देखने को मिला।
कैसे करें 40 रुपए रोजी में कार्य
शिक्षा विभाग के मध्याह्न भोजन शाखा के मुताबिक जिलेभर में कुल 2553 रसोइया हैं। रसोइया संघ ने कहा कि हमारी मांग जायज है, जिसे सरकार अनिवार्य रूप से पूरा करे। संघ के अध्यक्ष पंचू राम ने कहा कि इतने वर्षों से हम ईमानदारी से मध्याह्न भोजन बना रहे हैं। बच्चों को परेशानी नहीं हुई। हमने पूरा समय दिया। हमारी मांगों को पूरा कराने की बारी आई तो सिर्फ आश्वासन मिला। रसोइयों को सिर्फ 40 रुपए प्रतिदिन रोजी दी जा रही है। जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।