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आवास योजना का हाल बेहाल ..ग्रामीणो के खातों में नही पहुँच रही आवास योजना की क़िस्त…मकान निर्माण अधूरा

बालोद -जिले के शहरी और ग्रामीण अंचलों में प्रधानमंत्री आवास निर्माण का बुरा हाल है। स्थिति यह है कि हितग्राहियों को नियमित किश्त ही नहीं मिल पा रही है। जिसके कारण वे आवास निर्माण का कार्य तो शुरू कर चुके हैं लेकिन नियमित किश्त नहीं मिलने से वे अपना मकान निर्माण का कार्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हितग्राहियों को अब रहने के लिए आसियाना नही है,धास पुश का झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर है, ग्राम मेढ़की के फुलेशर बाई के नाम से पीएम आवास बन रहा है लेकिन और दो किश्त नही मिलने के कारण मकान का कार्य अधूरा ही पड़ा है, रहने के लिए धास पूस का झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं ।

भरी गर्मी में झोपड़ी में रहने को मजबूर है पीएम आवास के हितग्राही

जिलेभर के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कराए जा रहे आवास निर्माण का कार्य अधूरा पड़ा है। कई लोग किराए के मकान में रहने मजबूर हैं तो कई गरीब परिवार भरी गर्मी में झोपड़ी में रहने मजबूर हैं। मकान बनाने के लिए अपने धर को तोड़ने के बाद हितग्राही किराए के मकान में करीब दो सालों से रह रहे हैं। कईयों ने तो अपने झोपड़ी में पैरा छा कर रह रहे हैं ।
गर्मी के दिन में तो जैसे तैसे पेड़ो के छांव में दिन काट रहे है। लेकिन बरसात में सिर छुपाने के लिए जगह नहीं है। हितग्राहियों को किस्त की राशि के लिए जनपद पंचायत व अन्य दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। वही ग्रामीण अंचलों में पीएम आवास योजना के तहत बनाए जा रहे घरों को जाकर देखा तो योजना के अंतर्गत बने घर आधा अधूरा पढ़ा हुआ हैं।आपकों बता दे कि जिला मुख्यालय समीपस्थ ग्राम पंचायत मटिया के ग्रामीण मुकेश कुमार साहू जो अपने घर में चार परिवार है। योजना के तहत दूसरी किस्त नहीं मिलने से मकान अधूरा पड़ा है। जिसके चलते दो सालों से किराए के मकान में रहकर गुजर बसर करने को मजबूर है। जैसे ही पीएम आवास योजना के तहत एक किस्त की राशि मिलने के बाद अपना आशियाना तोड़कर दुकानों से उधारी में छड़ सीमेंट लेकर छत लेबल तक बना डाला। जिसके बाद दूसरी किस्त के इंतजार में दो साल बीत गए और यहा रह रहे है। मकान मालिक उनकों घर से निकलने को कह रहे है।

आर्थिक व मानसिक रूप से परेशान है हितग्राही

मुकेश ने बताया कि किस्त नहीं मिलने से वे अपना मकान निर्माण का कार्य पूरा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि जिससे मकान बनाने के लिए कर्ज लिया हूं वे लोग प्रतिदिन आ कर पैसा वापस करने की मांग कर रहे है। जिसके चलते मानसिक रूप से परेशान हो गया हूं। मकान अधूरा होने के कारण दूसरे के मकान में किराए से रहना पड़ रहा है। रोजी मजदूरी कर जीवन यापन कर रहा हू। उसी में हर माह मकान मालिक को भी पैसा देना पड़ता है। परिवार चलाने व किराए का पैसा देने में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पीएम आवास में मकान बनने की हुई थी खुशी, अब अपने धरो से हो गए बेधर

ग्रामीण अंचल में अन्य आवासीय परिवारों से चर्चा की तो ग्राम मे़ड़की के फुलेशर बाई ने अपना दुखड़ा बताया कि पीएम आवास के नाम पर आई इस योजना से हमारा मकान बनने की खुशी थी। लेकिन हम अपने घरों से भी बेघर हो गए हैं। जबकि, जिले के अंतर्गत वर्ष 2016-17 से 2020-21 तक 16657 हितग्राहियों के मकान इस योजना के तहत बनाए जा चुके हैं। इसे ध्यान में रखते हुए अन्य हितग्राही भी योजना का लाभ लेने आगे आए और स्वीकृति उपरांत इन लोगों ने अपने पुराने घरों को तोड़कर नया मकान बनाना शुरू कर दिया था। अगली किस्त के इंतजार में वे अपने पुराने घर भी तोड़ चुके हैं। ठीक इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में भी यही हाल है, जहां स्वीकृत हितग्राहियों के मकान में तीसरी किस्त नहीं आने से अधूरे पड़े हैं। बरसात के चलते झोपड़ी में रहने से हमेशा कीड़े मकोड़े का भय रहता है।

छोटे से कमरे में परिवार सहित कर रहे गुजारा

ग्राम मे़ड़की के दुलार ठाकुर ने बताया कि एक छोटे से कमरे में हम परिवार सहित गुजारा कर रहे हैं। तीसरी किश्त की राशि कब मिलेगी कोई बताने को तैयार नहीं है। बारिश में कच्चे मकान की दीवार ढह गई थी, जिसकी सूचना पटवारी को दी थी, लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। दुलार सिंह ने बताया कि अभी तक दो किस्त के रूप में 65 हजार रुपये मिले है। तीसरी किस्त नहीं मिलने से छड़, सीमेंट, ईंट व रेत का पैसा नहीं दिया है। दुकानदारों द्वारा पैसा देने का दबाव बनाया जा रहा है। इसके चलते मानसिक व आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पीएम आवास के हितग्राहियों ने पीएम आवास की तीसरी किस्त जल्द से जल्द देने की मांग शासन-प्रशासन से की है।

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