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*ये कैसा टीकाकरण… वैक्सीन लगवाया ही नही और पहला डोज पूरा..टीका लगा ही नही और मोबाइल पर आया मेसेज…सर्टिफिकेट भी हुआ डाऊनलोड और मिला बधाई…जिले में।टीकाकरण किये बिना ही चल रही टारगेट पूरा करने की जुगत*

बालोद- टीका लेने के लिए एक ओर जहां लोगों को जागरूक कर टीका लगाया जा रहा है। वहीं जनवरी माह से 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चो को वेक्सीनेशन करने का भी अभियान चलाया जा रहा जिसमे वेक्सीनेशन करने वालो की टीम स्कूलों में जाकर बच्चो को टीका लगा रहे जिसमे महज एक माह में ही तकरीबन 95 % बच्चो को टीका का पहला डोज भी लगाने के दावे किए जा रहे है..लेकिन यह दावा फर्जी तो नही …ऐसा हम नही बल्कि जिले के कननेवाड़ा शासकीय स्कूल में आये एक मामले के बाद शत प्रतिशत वेक्सीनेशन के दावे पर सवाल उठने लगे है

पूरे मामले में बालोद स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई जिसमे बिना कोविड वेक्सीनेशन (टीका) लगाए ही टीका लगने का मैसेज छात्रा के मोबाइल में पहुंच गया है तथा वेक्सीनेटर द्वारा भी वेक्सिनेशन पूर्ण होने की जानकारी दे दिया गया। इस अजीबोगरीब मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के कारनामा पर हर कोई अचंभित है।कही आंकड़े बढ़ाने के चक्कर मे स्वास्थय अमला द्वारा ऐसी लापरवाही तो नही बरत रहा है। ये पूरा मामला बालोद ब्लाक के कन्नेवाड़ा शासकीय उच्च्तर माध्यमिक विद्यायल की है जहां कक्षा 11 वी छात्रा को बिना टीका लिए ही मोबाइल में वैक्सीन ले लेने का मैसेज आ गया और वेक्सीनेटर द्वारा लापरवाही पूर्वक बयान दिया गया कि आपका तो वेक्सिनेशन हो गया है। इससे पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा होना लाज़मी है। उक्त मामले को लेकर कन्नेवाड़ा विद्यालय के कक्षा शिक्षक ने विद्यालय में एक छात्रा को फर्जी वेक्सीन लगाने की लिखित शिकायत कलेक्टर ,जिला शिक्षा अधिकारी व स्वास्थ्य अधिकारी को सौपा है। वही इस मामले पर जिला टीकाकरण अधिकारी एसके सोनी ने स्थानीय इंचार्ज पीएससी सुपरवाइजर डाटा ऑपरेटर की कमेटी बनाकर जांच करने की बाते कही।जिसमे टीम द्वारा 3 दिनों के भीतर मामले की जांच रिपोर्ट सौंपने की बात कही गई

31 जनवरी को विद्यालय में नही आई थी छात्रा,आपका वेक्सिनेशन हो गया.वेक्सीनेटर

 

बड़ा सवाल यह भी है कि क्या कागज कलम पर ही बालोद स्वास्थ्य विभाग कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रही है। तथा देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। पूरे मामले में स्कूली शिक्षक के अनुसार छात्रा कुमारी लीसा 31 जनवरी को विद्यालय नही आई थी। वही दूसरे दिन ही एक फरवरी को कक्षा 11 वी की छात्रा लीशा टीका लेने के लिए कन्नेवाड़ा के विद्यालय पहुँची थी लेकिन वेक्सीनेटर द्वारा 31 जनवरी को उक्त छात्रा से आपका वेक्सीन होने की बाते कही गई थी जिस पर छात्रा ने वेक्सीनेटर को वेक्सीन नही लगाने की जानकारी दिया गया जिससे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई। मामले की जानकारी प्राचार्य व कन्नेवाडा शाला प्रबंधन समिति के सज्ञान में आने के बाद विवाद की स्थिति भी निर्मित हुई और पूरे मामले को लेकर स्कुल में लगे सीसीटीवी कैमरे भी खंगाले गए जिसमे प्रमाणित हो गया कि छात्रा को जिस दिन टीका लगने का पंजीयन बताया जा रहा था उस दिन छात्रा स्कूल ही नही आई थी लेकिन जब शासकीय रिकॉर्ड में छात्रा को टीका लगाने की पंजीयन के बाद दोबारा टीका कैसे लगेगा इसको लेकर स्वास्थ्य अमला और स्कूल प्रशासन आमने सामने हो गए जिसके बाद 7 जनवरी को छात्रा के परिजनो व छात्रा से एक लिखित आवेदन लेकर उस छात्रा को फिर से टीका लगाया गया लेकिन इस टीका का न ही कही कोई उल्लेख किया गया न शासकीय रिकॉर्ड में दर्शाया गया । वही अब देखना होगा पूरे मामले में प्रशासन आगे क्या रुख अख्तियार करती है क्या इस मामले में प्रशासन आगे वेक्सीनेशन महत्वपूर्ण अभियान में लापरवाही बरतने वालो पर कार्यवाही करेगी या जांच के बाद महज खानापूर्ति कर मामले को ठंडे बस्ते डाल दिया जाएगा

 

 

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