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छत्तीसगढ़ एनएचएम कर्मचारी संघ आंदोलन की राह पर..सुशासन दिवस को ऐसे सौंपेंगे ज्ञापन..मांगे पूरी नहीं हुई तो होगा आंदोलन…पढ़े पूरी खबर

बालोद।छत्तीसगढ़ प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत संविदा आधार पर 16 हज़ार कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। इन कर्मचारियों के माध्यम से प्रदेश के शहरी क्षेत्रों के स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ-साथ सुदूर ग्रामीण क्षेत्र, वनांचल क्षेत्र में भी स्वास्थ्य सेवाएं छत्तीसगढ़ प्रदेश की आम जनता को प्रदान की जाती हैं ।नियमितीकरण तथा डेढ़ वर्ष से लंबित 27% वेतन वृद्धि की मांग को लेकर किसी बड़े आंदोलन किया जाएगा। इस बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष डॉ अमित मिरी के अनुसार नई सरकार के गठन के पश्चात से ही अब तक जिलों तथा प्रदेश स्तर पर 50 से अधिक बार मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, वित्त मंत्री, सांसद एवं विधायकों सहित प्रशासनिक अधिकारियों सांसद को नियमितीकरण तथा लंबे समय से लंबित 27% वेतन वृद्धि के संबंध में भेंट मुलाकात कर ज्ञापन दिया जा चुका है परंतु आज तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। डॉ मिरी ने कहा ऐसा नही है कि वित्त मंत्री ओपी चौधरी जी को अवगत नहीं कराया गया है। संघ का प्रतिनिधि मंडल 8 से 10 बार वित्त मंत्री ओपी चौधरी जी से मिल चुका है तथा इस संबंध में निवेदन कर चुका है। परंतु वित्त विभाग से इस बाबत कुछ भी ठोस पहल नहीं हो रही है। अल्प वेतन में गुजारा करने वाले संविदा कर्मचारियों के वेतन वृद्धि पर ऐसी दृष्टि रखना और उसे रोकना यह किसी भी चुनी हुई सरकार की गरिमा के खिलाफ है । छत्तीसगढ़ के एन एच एम कर्मचारियों की हमेशा से मांग रही है कि, उनका संविलियन किया जाए। ऐसा भी नहीं है कि, भारत में कहीं भी नियमितीकरण नहीं किया गया है। देश में मणिपुर, महाराष्ट्र, राजस्थान ऐसे ही राज्य हैं। कुछ राज्य ऐसे हैं जहाँ नियमितकरण जैसी सुविधाएं प्रदान की गईं जैसे-समान काम समान वेतन, 62 वर्ष जॉब सुरक्षा, अनुकंपा नियुक्ति, सी आर प्रथा में सुधार, मेडिकल अवकाश एन पी एस आदि। पर दुःखद स्थिति है कि 20 वर्षों के बाद भी छग में हालात जस के तस हैं। किसी प्रकार की कोई राहत नहीं दी गई।उन्होंने कहा कि उपरोक्त बहुत सारी सुविधाओं के अभाव में कोरोना काल में काल कलवित हुए बहुत सारे संविदा एनएचएम कर्मचारियों का परिवार आज बेहाल है तथा उनकी कोई पूछ परख करने वाला नहीं है। बहुत से एन एच एम कर्मचारी जो जमीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं और जिन पर टीकाकरण प्रसव, डाटा संबंधी कार्य करने वाले लोगों सहित चिकित्सा के विभिन्न विधाओं में वर्षों से कार्य कर रहे लोगों का वेतन श्रम विभाग से जारी कुशल श्रमिकों के निर्धारित मानदेय से भी कम है।उन्होंने कहा कि अल्प वेतन पाने वाले इन कर्मचारियों के बच्चे क्या बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य पाने के हकदार नहीं हैं ? क्या शासन की जवाबदारी नहीं हैं कि वर्षों से कार्यरत, अनुभवी लोगों के लिए तय समय सीमा में क्रमशः नियमितीकरण किया जाए, जिस ऊर्जा, उत्साह, विश्वास दिलाकर आंदोलन के दौरान मंचों में आकर वादा पूरा करने का दावा करने वाले लोग जो आज सरकार के जिम्मेदार पदों पर हैं वो खामोश हैं, जबकि दर दर भटक कर हमारे साथी हर जिलों, ब्लॉकों में लगातार अनुनय, विनय कर रहे हैं कि कोई तो उनकी मदद करें ।

वही अपने इस प्रेस रिलीज के माध्यम से एनएचएम संविदा कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने कहा की उनकी मांगी पर जल्द ही विचार नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में चरण बद्ध आंदोलन करेंगे जिसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं होने की स्थिति में आगे उग्र आंदोलन की चेतावनी देते नजर आए।

 

 

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