बालोद-मृत्यु के बाद हमारे शरीर के अंगों से बहुत से लोगों का कल्याण हो सकता है, लिहाजा अंगदान अब महादान कहा जाता है. हमारे देश में मृत्यु के उपरांत देहदान बहुत कम किया जाता है, लेकिन यह समय की जरूरत है. आज भी कुछ ऐसे लोग हैं जो मृत्यु उपरांत अपने शरीर के अंगों को दानकर दूसरों को नया जीवन देने का जज्बा रखते हैं। असिस्टेंट मेडिकल आफिसर और बालोद निवासी लोकेश कुमार पारकर अपनी धर्मपत्नी कादम्बिनी यादव व्याख्याता के साथ जीते जी अपने निधन के बाद अपने शरीर को दान में दे दिया, जिससे ना केवल जरूरतमंदों को उनके अंग लगाए जा सकें, बल्कि यह मेडिकल रिसर्च में भी काम आ सकेगा। बालोद निवासी लोकेश कुमार पारकर अपनी धर्मपत्नी कादम्बिनी यादव के साथ बुधवार को मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव पहुंचकर शपथ पत्र भरकर देहदान किया। पति पत्नी के इस जुनून और समाजसेवा के कार्य की नागरिक सराहना कर रहे हैं। वहीं कलेक्टर इंद्रजीत चंद्रवाल ने लोकेश कुमार पारकर और कादम्बिनी यादव का शाल और श्रीफल से सम्मानित कर बधाई दी है।लोकेश कुमार पारकर और कादम्बिनी यादव का मानना है कि मृत्यु के बाद शरीर को जला दिया जाता है। उस मृत शरीर से प्रैक्टिकल कर मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी दूसरों की जिंदगी बचाना सिख सकते हैं। इसी सोच के साथ उन्होंने देहदान करने का संकल्प लिया और मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव में अपना देहदान कर दिया। कादम्बिनी यादव ने बताया कि स्वर्गीय लोकेंद्र यादव पूर्व विधायक रिश्ते में बड़े भाई थे।लोकेंद्र यादव ने भी देहदान किया था वही से मन मे देहदान करने का सपना था। शादी के बाद पति खुद स्वास्थ्य विभाग में है इसलिए उनका भी इंटरेस्ट बना रहता है और उनके सहयोग से देहदान किए है। लोकेश कुमार पारकर असिस्टेंट मेडिकल आफिसर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोबरा नवापारा में पदस्थ है।वही कादम्बिनी यादव बड़गाँव में व्याख्याता पद पदस्थ है।