बालोद- जिले के तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू और तत्कालीन आदिवासी विभाग सहायक आयुक्त माया वारियर का कोरबा में खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) घोटाले में नाम आने और गिरफ्तारी के बाद अब बालोद जिले में भी डीएमएफ में हुए करोड़ो रुपये के घोटाले व बंदरबाट के मामले भी सामने आने लगे है। डीएमएफ की राशि की मनमाने तरीक़े से अनाप शनाप खर्च किया गया है। कई जगह तो बिना कार्य के ही राशि हड़प ली गई है, तो कही एक ही कार्य को एक ही स्थान पर 2 से 3 बार कराया गया है, तो वही करोड़ो रूपये की अनाप शनाप खरीदी की गई है, जो आज कबाड़ का रूप ले रहे है। कई कार्य तो बिना टेंडर हो गए है। जिले के तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू और तत्कालीन आदिवासी विभाग की सहायक आयुक्त माया वारियर का डीएमएफ घोटाले में गिरफ्तारी के बाद जिले में भी हुए डीएमएफ की राशि के दुरुप्रयोग व बंदरबाट को लेकर अब भ्रष्ट अधिकारियों मे हड़कम्प मचा हुआ है। ऐसा ही एक मामला डीएमएफ राशि में बंदरबाट का सामने आया है। जिसका खुलासा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त जानकारियों से हुआ है। भंडारण क्रय नियम की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। नियम कायदों को ताक पर रख लाखो रुपये की हेराफेरी की गई है। आज सांसद भोजराज नाग दिशा समिति की बैठक लेने वाले है, उक्त मामले को आज बैठक में गंभीरता से उठाते हुए जांच के आदेश दिए जा सकते है।
भंडारण क्रय नियम की उड़ाई गई धज्जियां–
दरअसल 8 फरवरी 2017 को जिला खनिज संस्थान न्यास द्वारा वर्ष 2016-17 अंतर्गत बालोद जिला खनिज संस्थान न्यास की शासी परिषद की बैठक 7 नवंबर 2016 द्वारा डीएमएफ के अंतर्गत अनुमोदित 486 कार्यों में से सरल क्रमांक-124 में दर्शित कार्य प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला में किचन गार्डन निर्माण हेतु अनुमोदित राशि 25 लाख मद अंतर्गत जिला मिशन समन्वयक रा.गां.शि.मि.स.शि.अभि. द्वारा प्रस्तुत कार्ययोजना के आधार पर क्रियावन्यन एजेंसी नियुक्त करते हुए 156 प्राथमिक शालाओं में किचन गार्डन (पोषण वाटिका) निर्माण एवं किचन गार्डन सेवा दूत मानदेय हेतु प्रति संस्था 16 हजार रुपये यानि कुल राशि 24 लाख 96 हजार राशि स्वीकृति हुई थी। तब तत्कालीन डीएमसी पीसी मरकले थे, जो अभी जिले के जिला शिक्षा अधिकारी है। उक्त किचन गार्डन निर्माण कार्य में लाखों रुपये का बंदरबाट किया गया है। 7 से 8 लाख रुपये का घोटाला हुआ है। उक्त योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समिति का भी गठन किया गया था, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर हरेश मंडावी को नोडल और जिला शिक्षा अधिकारी को सदस्य बनाया गया था। लेकिन तत्कालीन जिला मिशन समन्वयक और वर्तमान जिला शिक्षा अधिकारी पीसी मरकले के द्वारा किचन गार्डन कार्य में राशि का जमकर दुरुप्रयोग कर अनियमितता बरती गई है। समिति का कार्यवाही विवरण नही किया गया है, कार्य का टेंडर नही निकाला गया है, बिना टेंडर निकाले एजेंसी की नियुक्ति की गई है, भंडारण क्रय नियम की धज्जियां उड़ाई गई है, इतना ही नही कलेक्टर के द्वारा जो समिति बनाई गई थी, उस समिति का कार्यवाही विवरण में कही हस्ताक्षर भी नही है। ये तमाम बिंदु जांच के विषय है। बताया जा रहा है कि ऑडिट में भी आपत्ति लगी हुई है।
फर्म की आज भी देनदारी बाकि–
प्राप्त जानकारी अनुसार कोटेशन के अनुसार सबसे कम दर पर योजना का क्रियान्वयन हेतु दुर्ग के सुंदर नगर वार्ड-51 बोरसी के आंनद एग्रो एंड कंस्ट्रक्शन को कार्यादेश देने की अनुशंसा की गई थी। लेकिन इस कार्यवाही विवरण में भी नोडल एवं समिति के सदस्यों के हस्ताक्षर नही है। वही फर्म के संचालक लल्लन प्रसाद चौहान पिता द्वारिका प्रसाद चौहान से फोन के माध्यम से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि उन्हें आज तलक 8 लाख रुपये का भुगतान नही हुआ है। तत्कालीन जिला मिशन समन्वयक पीसी मरकले द्वारा फोन करने पर उठाया ही नही जाता है। उनके द्वारा भौतिक सत्यापन भी कराया गया है, बावजूद आज तक उन्हें 8 लाख राशि नही मिली है।
बंजर हुए किचन गार्डन, पौधे गायब–
156 स्कूलो में किचन गार्डन (पोषण वाटिका) अंतर्गत फलदार पौधे में केला, नींबू, मुनगा, अमरूद, पपीता, साथ ही आवश्यकतानुसार सब्जी बीज एवं प्लांटिंग मटेरियल, मिट्टी (5ट्राली), वर्मीकंपोस्ट या गोबर खाद, मजदूरी भूमि की तैयारी निदाई, गुडाई एवं अन्य कार्य तथा फफूंदीनाशक एवं कीटनाशक व्यय का कोटेशन आनंद एग्रो एंड कंस्ट्रक्शन के द्वारा दिया गया। बता दे कि प्रत्येक स्कूल में 16 हजार का किचन गार्डन बनाया गया, लेकिन जिस उद्देश्य से पोषण वाटिका का निर्माण किया गया था, वह फेल हो गया है, क्योकि किचन गार्डन में सभी फलदार पौधे गायब हो गए है, तो कही सुख गए है, तो कही गार्डन बंजर में तब्दील हो गया है। तत्कालीन जिला मिशन समन्वयक पीसी मरकले के कार्यकाल 2016 से 2021 तक डीएमएफ से किये गए सारे कार्यों की जांच कराई जाए तो रुपये के घोटाले सामने नज़र आएंगे।
क्या कहते है अधिकारी
‘मेरे जिला मिशन समन्वयक कार्यकाल का है, लेकिन पुराना है, इतना याद कहा रहता है, फर्म का भुगतान बकाया नही है, सभी क्लियर है, ऑडिट में आपत्ति की मुझे जानकारी नही।’पीसी मरकले, जिला शिक्षा अधिकारी एवं तत्कालीन जिला मिशन समन्वयक