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शिक्षक दिवस विशेष- एक शिक्षक ऐसा भी जो पिछले 32 वर्षो से सैनिक सहायता कोष में कर रहें राशि..राष्ट्रभक्ति का अलग मिशाल पेश कर रहा ये शिक्षक

बालोद- आज शिक्षक दिवस पर आपको ऐसे शिक्षक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो राष्ट्रभक्ति के अनुकरणीय उदाहरण है। हालांकि ये अभी रिटायर्ड हो चुके है। इनका बचपन से मन था सैनिक बन देश की सेवा करना, लेकिन शारीरिक मापदंड नियमो के अनुरूप नही होने से ये शिक्षक बन गए। कहा गया है कि अथर्ववेद के बारहवें कांड में भूमिसूक्त है, उसमें कहा गया है “माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः” अर्थात ये भूमि हमारी माँ है, और मैं इसका पुत्र हूं। इसी पुण्य भावना से लबरेज बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक अंतर्गत ग्राम खर्रा निवासी 75 वर्षीय सेवानिवृत शिक्षक शिवकुमार शर्मा बताते है कि बचपन से ही उनके मन में सैनिक बनकर देश की सेवा करने की प्रबल इच्छा थी। लेकिन शारीरिक मापदंड सेना भर्ती नियमों के अनुरूप न होने और पारिवारिक आर्थिक परिस्थितियों को देखते जब 1972 में शिक्षा विभाग की भर्ती निकली तो प्रथम प्रयास में ही शिक्षक नियुक्त हो गए। लेकिन देश के प्रति समर्पण की भावना में कोई कमी नही आई। उन्होंने बताया को नौकरी में पहले पांच वर्ष 169 रुपये 30 पैसे वेतन मिलते थे, समय के साथ उसमें वृद्धि हुई और 1992 में 600 रुपये वेतन मिलना प्रारम्भ हुआ। उसी दौरान उन्हें सैनिक सहायता कोष जो प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा संचालित होता था, की जानकारी हुई। फिर 15 अगस्त 1992 को प्रथम बार इस किश्त की शुरुआत हुई और यह सिलसिला लगातार 32 वर्षों से प्रतिमाह अनवरत जारी है। शिवकुमार प्रत्येक माह गांव से 3किमी दूर गुंडरदेही पोस्टऑफिस स्वंय जाकर प्रधानमंत्री कार्यालय को सैनिक सहायता कोष की राशि मनीऑर्डर करते हैं।

पहले वेतन से अब पेंशन के करते है दान

1992 में 50 रुपये से शुरुआत करते हुए लगातार 60, 80, 100, 200 और 500 रुपये प्रतिमाह राशि वेतन से भेजते थे। अब 2013 से सेवानिवृत के पश्चात पेंशन की राशि से भी यह दान का सिलसिला अनवरत जारी है। बता दे कि शिव कुमार शर्मा 13 सितंबर 1972 को कवर्धा जिले के सहसपुर लोहारा में शासकीय प्राथमिक शाला जरहाटोला में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ हुए थे, और 12 फरवरी 2012 को बालोद जिले के गुंडरदेही मुख्यालय के चाय शासकीय प्राथमिक शाला चैनगंज में बतौर प्रधानपाठक सेवानिवृत हुए। इनका कुल सेवा काल 39 साल 7 माह और 17 दिन का रहा।

राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित है शिवकुमार

भारत की जनगणना 1991 के दौरान असाधारण उत्साह और उच्चकोटि की सेवा के लिए शिवकुमार शर्मा को राष्ट्रपति के द्वारा कांस्य पदक से सम्मानीत किया गया।

बच्चों के लिए जायदाद नही, संकल्प और विचार की संपत्ति छोड़कर जाऊंगा

शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए शिवकुमार शर्मा ने प्रदेशरूचि से चर्चा में कहा कि वे जीवन के अंतिम क्षणों में अपने बच्चों को देश के प्रति समर्पण और संकल्प की संपत्ति, जो उन्होंने देश सेवा के लिए ली है, उसे देने की चाहत हैं। उन्होंने बताया कि मेरे बाद मेरे बच्चे और उनके बाद आने वाले पीढ़ी इसे जारी रखेंगे। वर्तमान में दो बहुएं और एक बेटा शिक्षक है, वो ये जिम्मेदारी निभाएंगे। शिवकुमार का बड़ा बेटा अजीत तिवारी ग्राम खलारी में हायर सेकेंडरी स्कूल में सहायक शिक्षक, बड़ी बहू प्रतिभा तिवारी ग्राम गुजरा के हायर सेकेंडरी स्कूल में संस्कृत विषय की लेक्चरर और छोटी बहू ममता तिवारी ग्राम लासाटोला के शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ है।

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