
बालोद कहते हैं जज्बे और जुनून से हर जंग जीती जाती हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, दसवीं की छात्रा पद्मनी शांडिल्य ने। जिसे घरवाले प्यार से प्रीति कहते कहते है। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय फागुनदाह की पद्मनी ने दसवीं बोर्ड परीक्षा में 98 प्रतिशत अंक हासिल कर टॉप टेन में जगह बनाते हुए पांचवा स्थान हासिल किया हैं। जिससे पद्मिनी के परिवार में साथ ही उनके गुरुजनो में खुशी व्याप्त हैं। पद्मनी बताती है कि 2 साल पहले ही उनके पिता का साया उनके सिर से उठ गया। उनके पिता स्व. भूपेंद्र शांडिल्य एक ठेकेदार थे, घरो में पेंट का काम किया करते थे, और मजदूरी भी किया करते थे। 2 साल पहले उनकी अचानक मृत्यु हो गई। जिसके बाद से उनकी माँ प्रतिभा शांडिल्य ने उनको पाला है। पद्मिनी दो बहनें है, बड़ी बहन गीतांजलि अपने नाना नानी के यहां धमतरी जिले के सेमरा/बी में रहती है। और 12वीं कक्षा में अध्यनरत है, गीतांजलि ने भी 12वीं में 72 प्रतिशत अंक हासिल किया है। माँ प्रतिभा शांडिल्य ग्राम उसरवारा के मिडिल स्कूल में मध्यान भोजन बनाती है। और बाहर मजदूरी भी करती हैं। पद्मनी बताती है कि घर की स्तिथि देखते हुए उनके पास गाइड लेने तक के पैसे नही रहते थे। थोड़ा बहुत मदद नाना-नानी के यहां से हो जाता है, स्कूल के शिक्षक बहुत सपोर्टिव थे, तो उनकी मदद से आज उन्होने ये मुकाम हासिल किया है। पद्मनी ने बताया कि वह 11वीं में मैथ्स सब्जेक्ट लेना चाहती है और सिविल सर्विसेज में जाना चाहती हैं। पापा की निधन के बाद परिवार कई कठिनाइयों के दौर से गुजर रहा है तथा कई बार स्थिति ऐसी आती है की दैनिक उपयोग के समान के लिए भी पैसे नही हो पाते बावजूद इसके मम्मी किसी तरह पैसे की व्यवस्था करके उनका ध्यान रखती है ।वही बड़ी बहन गीतांजलि नीट की तैयारी कर रही है। और हाल ही में आयोजित नीट की परीक्षा में शामिल भी हुई थी।बता दे कि पद्मनी ग्राम उसरवारा की रहने वाली है, और 2किमी साइकिल में चलकर फागुनदाह स्कूल आती हैं।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी बताया पद्मनी के पारिवारिक स्थिति आर्थिक रूप से काफी कमजोर है जिस मकान में रहते है वो भी उनके चाचा लोगो का है उनको आबंटित आवास योजना के तहत मकान कार्य भी अधूरा है विकट परिस्थितियों के बावजूद इस छात्रा का प्रदर्शन अन्य। छात्राओं के लिए एक मिशाल है।