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कुंवारे लड़को ने सिर पर रखे 51 ज्योति कलश… जोत जवारा विसर्जन के दृश्य को देख लोगो के आंखो से टपकने लगे आंसू…

बालोद- जिले का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल गंगा मैया मंदिर में चैत्र नवरात्र की नवमी पर बुधवार को गाजे बाजे व् माता सेवा गीत के साथ जोत ज्वारा का विसर्जन शोभायात्रा निकाली गई। मंगलवार को महाष्टमी पर्व पर गंगा मैया मंदिर में दोपहर में हवन पूजन कर पूर्णाहुति दी गई।वहीँ जिला मुख्यालय के देवी मंदिरो में सुबह हवन पूजन कर पूर्णाहुति दी गई। देवी मंदिरों में ज्योत जंवरा विसर्जन भी किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं की मंदिर में भारी भीड़ रही।


बड़ी संख्या में मौजूद रहे भक्त

मां गंगा मैया झलमला में ज्योत जंवारा विसर्जन किया गया। कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच मां गंगा मैया के गर्भ गृह से 51 ज्योत जंवारा को कुंवारे लड़के सिर पर धारण कर निकले, जिसे लेकर वे बांधा तालाब पहुंचे। जहां विसर्जन किया गया। इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में आसपास के गांवों के श्रद्धालु जुटे रहे।नौ दिनों तक माता की आराधना के बाद जब ज्योत जंवारा विसर्जन का समय आया तो माता के भक्तों की आंखों से आंसू निकल पड़े। माता की इस अदभुत विसर्जन यात्रा को देखने हजारों की संख्या में लोग आते है। ज्योत जवारा विसर्जन के दौरान लगभग आधे घंटे तक बालोद झलमला मार्ग बंद रहा।

गांजे बाजे के साथ निकाली गई विसर्जन शोभायात्रा

जिलेे के मंदिरों में मंगलवार को हवन-पूजन किया गया। वैदिक मंत्रों के साथ विशेष पूजा-अर्चना कर महाप्रसाद का वितरण किया गया। महाअष्टमी पर सुबह से ही मंदिरों में अच्छी भीड़ लगी रही। इस दौरान जगह-जगह भंडारा भी हुआ, जो देर शाम तक चलता रहा। साथ ही खीर-पूड़ी का भी वितरण किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों सहित नगर के विभिन्न देवी मंदिरों में ज्योत जंवारा का विसर्जन बुधवार को माता सेवा के साथ किया गया।

नौ कन्याओं को भोज कराया

 

मंदिरों में नौ कन्या भोज भी हुआ। कन्याओं के चरण धोकर उनके पैरों में माहुर लगाया गया। आरती उतारकर लाल चुनरी, लाल बिंदी, चूड़ी, फीता, दर्पण, काजल एवं धन अर्पण कर प्रणाम किया गया। जिसके बाद नौ कन्याओं के साथ लंगूरवा को खीर, हलवा, पूड़ी खिलाया गया और भोजन परोसा गया।

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