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बालोद जिले में ये है भाजपा का हाल..एक पहले पूर्व सांसद ने लोकसभा चुनाव कार्यालय का किया शुभारंभ… दूसरे दिन कार्यालय में ताला लटका मिला..जिले में गुटबाजी से नही उभर पा रही भाजपा

बालोद – लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में फिर से माहौल गरमाने लगा है । आगामी चुनाव को लेकर भाजपा इस बार 370 पार तथा एनडीए गठबंधन 400 पार का नारा दे रही है वही इस बीच बालोद जिले में भी लोकसभा चुनाव को लेकर सोमवार को लोस चुनाव कार्यालय का शुभारंभ कर दिया गया भाजपा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इस कार्यालय का शुभारंभ राजनांदगांव क्षेत्र के पूर्व सांसद अभिषेक सिंह द्वारा किया गया लेकिन सोशल मीडिया में इस शुभारंभ के बाद कई नेताओ के फोटो अपने बड़े नेता के साथ जिस उत्साह से खिंचवाते दिखे वह उत्साह कार्यालय में बैठने को लेकर नही दिखी जिसका नतीजा यह देखने को मिला उद्घाटन के दूसरे ही दिन कार्यालय में ताला लटका मिला । मतलब साफ है कार्यालय का उद्घाटन आनन फानन में कर दिया गया।लेकिन चुनावी कार्यालय में अब बैठने को लेकर न जिम्मेदारी तय की गई न ही बालोद के भाजपाई इस कार्यालय में बैठने के लिए रुचि दिखा रहे है जिसके चलते कार्यालय खुलते ही ताला लटका मिला।


कार्यालय शुभारंभ में भी दिखी गुटबाजी

कांकेर लोकसभा अंतर्गत बालोद जिला मुख्यालय में खोले गए चुनावी कार्यालय में भाजपा नेताओं की गुटबाजी साफ देखने को मिली लोकसभा चुनाव कार्यालय उद्घाटन के दौरान जिले के कई वरिष्ठ भाजपा नेता इस पूरे कार्यक्रम से दूरी बनाए दिखे हालांकि जिले में गुटबाजी कोई नई बात नही है और इसी गुटबाजी के चलते जिले में चाहे विधानसभा में हार की बात हो या हाल ही में दल्लीराजहरा में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का मामला हो भाजपा नेताओं की आपसी गुटबाजी की भेंट चढ़ गई।

       27 फरवरी 2024 दोपहर करीब 3 बजे की तस्वीर

 

 

जिम्मेदारी बदली लेकिन नही बदला हालात

बालोद जिले में भाजपा नेताओं की आपसी गुटबाजी के चर्चे के बीच पूर्व में जिलाध्यक्ष को बदलने की बातो पर भी लगातार आम चर्चे होते रहे और बीते दिनों प्रदेश संगठन द्वारा छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों सहित बालोद जिले के भी जिलाध्यक्ष के चेहरे को बदल दिया लेकिन इस बदलाव के बाद न भाजपा में गुटबाजी कम हुई न ही हालात सुधरे है

आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में भाजपा पूरी तरह सक्रिय हो चुकी है और राष्ट्रीय नेता भी अब देश के अलग अलग राज्यो में पहुंचकर पार्टी पदाधिकारियों की बैठक लेकर बूथ कार्यकर्ताओ को सक्रिय करने पर जोर दे रहे है लेकिन बालोद जिले में बूथ कार्यकर्ताओ की मजबूती की पोल पिछला विधानसभा चुनाव में देखने को मिल चुका है जब पूरे प्रदेश में भाजपा 55 सीटो पर ऐतिहासिक जीत दर्ज कर सत्ता में वापसी की है वही बालोद जिले की तीनो सीट भाजपा नेताओं की आपसी गुटबाजी की भेंट चढ़ गई और इस बात से प्रदेश संगठन भी अच्छी तरह वाकिफ है।

बहरहाल देखना होगा बालोद जिले में भाजपा नेताओ की गुटबाजी आगामी लोकसभा चुनाव में क्या इसी तरह बनी रहेगी या प्रदेश संगठन मामले पर आगे कोई रणनीति बनाकर नेताओ को एकजुट करने में सफल हो पाएगी…….?

 

 

 

 

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