बालोद।जिले के डोडीलोहारा ब्लॉक के बुंदेली गांव में चल रहे नौ दिवसीय श्री राम कथा के अंतिम दिन पूज्य राजन जी महाराज ने सुन्दर काण्ड और राम राज्याभिषेक की कथा का वर्णन किया।कथा के आयोजक भोपसिंह साहू, अनुसुईया देवी साहू ,डोमन साहू एवं समस्त ग्रामवासी बुंदेली के तत्वाधान में चल रहे थे रामकथा का शनिवार को विश्राम सत्र था। नौ दिवसीय कथा का भक्तों ने लगातार शाम को श्रवण लाभ लिया। शनिवार को राम भक्तों ने सुंदरकांड और राम राज्याभिषेक की कथा का श्रवण किया। इसमें बताया गया कि हनुमान जी कैसे लंका पहुंचे। इसके साथ ही पूज्य महाराज जी ने भगवान राम और रावण संग्राम की कथा भी विस्तार से बताई।संगीतमय रामकथा को सुनकर भक्त गण मंत्रमुग्ध हो गए श्री राम कथा के विश्राम दिवस में राजन जी महाराज ने भगवान श्री राम के जीवन सार के महत्व का वर्णन किया। जिसे सुनकर भक्तजन भाव विभोर होकर मस्ती मे झूमने लगे।
31 बाणों के प्रहार से रावण का हुआ वध
महाराज जी ने कहा कि रावण से प्रभु श्रीराम का 7 दिन तक युद्ध चला। अंतिम दिन प्रभु ने गुरु अगस्त्य के निर्देशनुसार रावण का वध करने के लिए 31 बाणों के प्रहार से रावण का वध हुआ। रावण के वध के पश्चात प्रभु माँ सीता व अन्य साथियों सुग्रीव, विभीषण, अंगद आदि को लेकर वापस चित्रकूट आते हैं।पूज्य महाराज ने आगे कहा कि युद्ध की इस अवधि में ही मेरे राम के वनवास की 14 वर्षों की अवधि भी पूरी हो अतः मेरे प्रभु लक्ष्मण और माँ सीता, हनुमान जी, अंगद, विभीषण सहित अपने सभी साथियों के साथ अयोध्या वापस लौटते है। पूरी आयोध्या प्रभु के आगमन की सूचना से हर्षित है। हर तरफ आनद और उमंग है। इस बीच प्रभु श्रीराम के के राज्यभिषेक की तैयारी होती है। प्रभु को प्रथम तिलक उनके गुरु वशिष्ठ लगाते है तत्पश्चात प्रभु की कि माताओं ने तिलक लगाकर प्रभु का राज्यभिषेक सम्पन्न किया। प्रभु के राज्यभिषेक से पूरी अयोध्या हर्षित हो गयी। अयोध्या के घर घर मे मंगलगायन होने लगा।महाराज ने प्रभु राम के प्रति हनुमान जी भक्ति को वर्णित करते हुए कहा कि हनुमान जी ऐसे भक्त है जो भगवान से इस वात्सल्य से बात करते हों कि भगवान उनकी हर बात मानने को बाध्य हो जाते है। महाराज जी ने कहा कि वास्तव हनुमान जी मेरे राम की शरण मे है जब शरण मे होते तो उनकी कृपा आप पर हमेशा बनी रहती है।