बालोद-नवरात्रि की पंचमी के अवसर पर गुरुवार को देवी मंदिरों व् दुर्गा पंडालो में माता का विशेष श्रृंगार हुआ।इसके साथ ही देवी मंदिरो में ज्योति कलश में और कलश चढ़ाई गई। मंदिरों में इसकी तैयारी पहले से ही कर ली गई थी। झलमला स्थित गंगा मैया मंदिर के साथ ही जिला मुख्यालय के देवी मंदिरों व् दुर्गा पंडालो में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा आस्था के दीप ज्योति कलश पूरे विधि-विधान से प्रज्जवलित किए गए हैं। महिलाओं ने व्रत रखकर जहां अपने सुहाग व परिवार की सुख समृद्धि की कामना की वही देर रात तक मां के जयकारे गूंजते रहे। गंगा मैय्य मंदिर में छत्तीसगढ़ एवं अलग-अलग जिले से आकर दीप ज्योति कलश प्रज्जवलित किए गए है। कवार नवरात्र पर्व के पंचमी में माता की विशेष अराधना हुई देवी मंदिरों में माता का श्रृंगार किया गया। श्रद्धालु माता को चुनरी व श्रृंगार सामग्री भेंट किए। वहीं रात भर ढोल, मंजिरा व मृदंग के साथ-साथ देवी जसगीत गूंजते रहे। वही पंचमी में भक्तो के लिए विशेष भंडारा का भी आयोजन किया गया। पंचमी से पदयात्रियों की संख्या भी बढ़ गई है। अधिकांश श्रद्धालु पंचमी के दिन से पदयात्रा की शुरूआत करते है।
पुजारी ने बताया कि पंचमी को मां दुर्गा के पांचवे रूप स्कंदमाता की पूजा की गई। इस दिन स्कंदमाता की उपासना व पूजा-अर्चना के लिए देवी मंदिरों मे भक्तों की भीड़ उमड़ी। उन्होंने बताया कि मोक्ष का द्वार खोलने वाली स्कंदमाता परम सुखदायी है। यह माता अपने भक्तों की समस्त कामनाओं की पूर्ति करती है। माता के इस स्कंद कुमार को कार्तिकेय के रूप में भी जाना जाता है। इनका वाहन मयूर है। अत: इन्हे मयूर वाहन के नाम से भी जाना जाता है। इन्हीं भगवान स्कंद की माता होने के कारण दुर्गा के इस पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है। पुजारी का कहना है कि नवरात्रि में पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा अर्चना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
सिया देवी मंदिर में भी उमड़े श्रद्धालु
क्वार नवरात्री के पांचवे दिन देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। जिले के प्रसिद्ध पर्यटक एवं दार्शनिक स्थल मां सीयादेवी घने जंगल के बीच में पठार पर बसा है। जिसके दर्शन के लिए नवरात्रि में प्रदेशभर के श्रद्धालु पहुंचते है। यहां मेला लगा हुआ है। तथा श्रद्धालु को किसी भी प्रकार की तकलीफ न हो इसके लिए अनेक सुविधा मुहैया करायी गई है।