दल्लीराजहरा,,दल्लीराजहरा सहित क्षेत्र में रेलवे अंडर ब्रिज आम जनों के लिए परेशानी का कारण बनते जा रहा है लोग परेशान होते गए हैं रेलवे विभाग ने अंडर ब्रिज बनाकर यातायात को सुगम बनाने का प्रयास किया था परंतु यहां अंडर ब्रिज अब आम जनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा ,बालोद जिले के डौंडी, बालोद और गुण्डरदेही तहसीलों के अंतर्गत ज्यादातर रेलवे गेट हुआ करता था, लेकिन अब वहां रेलवे अंडर ब्रिज बन गया है लेकिन तब से ही यह रेलवे अंडर ब्रिज स्थानीय लोगों के लिए बहुत बड़ा सर दर्द बन चुका है। क्योंकि बारिश होने के बाद यहां अत्यधिक मात्रा में पानी भरा हुआ होता है और उसके साथ कीचड़ भी होता है जिससे ग्रामीणों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिले कई क्षेत्र के ही ज्यादातर गांव के समीप सभी रेलवे अंडर ब्रिज कुछ साल पहले बनाए गए है, जिसके ऊपर शेड लगा हुआ है किंतु और साल के 8 महीने पानी जमा रहता है। जिले के ज्यादातर रेलवे अंडरब्रिज में 3-4 फुट पानी भरा होता है। ब्रिज के प्रवेश द्वार पर गोबर और गंदगी पड़ी रहती है। ब्रिज के पास गड्ढे में कभी कभार मवेशी मरे हुए पाए जाते हैं जिसकी बदबू आने-जाने वालों को नाक बंद करने पर मजबूर करती है।
ग्रामीणों ने बताया कि अंडर ब्रिज बनने से हम लोगों को खतरा हो गया है। नीचे पानी के कारण रास्ता बंद होने के कारण मजबूरन पटरी के ऊपर से आना जाना पड़ता हैं बच्चों के ट्रेन की चपेट में आने का खतरा बना रहता है,,,
साल 2018 में तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल ने उच्चस्तरीय बैठक कर देशभर के रेल मंडलों से मानव रहित रेलवे क्रॉसिंगों को मिशन मोड में हटाने को कहा था। इस आदेश पर युद्ध स्तर पर काम हुआ और 2019 की मीडिया रपटों के मुताबिक, सिर्फ 2018 में सभी 3,478 मानव रहित फाटक हटा दिये गये। दावा तो यह भी है कि देश में अब कहीं भी मानव रहित फाटक नहीं है। वहां या तो अंडरपास बन गया है या मानव संचालित फाटक हैं। लेकिन, सवाल है कि फाटक की जगह अंडरपास से कितना फायदा हुआ? ‘
हमारे प्रतिनिधि’ ने कुछ अंडरपास का गहन जायजा लिया और पाया कि इससे लोगों को फायदा कम नुकसान ज्यादा हो रहा है।
डौडी ब्लॉक क्षेत्र में आवागमन को सामान्य बनाने के लिए पूर्व में रेलवे ने अंडरब्रिज का निर्माण कराया है। इससे होकर आधा दर्जन गांव के लोग दुर्घटना से भयमुक्त होकर आवागमन करते हैं। लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण इसे सुदृढ नहीं किया गया। नतीजतन अंडर ब्रिज के नीचे पानी भर जाता है, इससे ग्रामीणों का आवागमन बाधित हो जाता है।भैसबोड,सुवरबोड के स्थानीय लोगों की माने तो गांव के दोनों किनारे स्कूल है। यहां बच्चे पुल के नीचे से होकर विद्यालय में पठन-पाठन कार्य करने जाते थे। गांव के किसान अपने पशुओं को भी इसी रास्ते से पार करते थे। पानी भर जाने के कारण स्कूली बच्चे समेत पशुओं का ले जाना लाना काफी परेशानी का कारण बन जाता है। ऐसे में बड़ी दुर्घटना का डर भी उन्हें सदैव बना रहता है। लोगों ने बताया कि 10 वर्ष पूर्व बड़े वाहनों के परिचालन को लेकर गांव के मध्य रेलवे की ओर से गेट का निर्माण कराया गया था। विभाग ने यह निर्देश दिया था कि इस गेट से केवल बड़े वाहनों का ही परिचालन होगा। छोटी गाड़ियां पूर्ववत पुल के नीचे से ही होकर चलेगी, लेकिन लोगो की सुविधा के लिए बनाया गया अंडरब्रिज में अक्सर पानी भरे रहने के कारण सुविधा कम लोगो के लिए दुविधा वाली अंडरब्रिज साबित हो रही है
रेलवे प्रशासन ने अंडरब्रिज का निर्माण तो किया लेकिन आसपास से आने वाले पानी की निकासी को लेकर किसी तरह की ठोस योजना नही बनाई जिसके चलते इस अंडरब्रिज का ड्रेनेज सिस्टम भी पूरी तरह फैल है जिससे न केवल बारिस बल्कि अन्य सीजन में भी आसपास के खेतो के पानी यहां जमा हो जाता है जिसकी निकासी को लेकर रेलवे अब तक कोई ठोस कार्यवाही नही की और अंडरब्रिज आमलोगों के लिए मुसीबत की ब्रिज साबित हो रही है ।