आदिवासी बाहुल्य पिछड़े प्रदेश में आदिवासियों को आरक्षण से वंचित करना प्रशासन की विफलता
उमेदी राम गंगराले ने बताया कि छत्तीसगढ़ में 60% क्षेत्रफल पांचवी अनुसूची के तहत अधिसूचित है, जहां प्रशासन और नियंत्रण अलग होगा। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासियों की जनसंख्या 70% से लेकर 90% से ज्यादा है और बहुत ग्रामों में 100% आदिवासियों की जनसंख्या है। अनुसूचित क्षेत्रों में ही पूरी संपदा (वन, खनिज और बौद्धिक है। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से पिछड़ा हुआ है। संवैधानिक प्रावधान के बाद भी आदिवासी बाहुल्य पिछड़े प्रदेश में आदिवासियों को आरक्षण से वंचित करना प्रशासन की विफलता और षडयंत्र है। छत्तीसगढ़ में आरक्षण के लिए आवेदन के साथ लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने के लिए समाज बाध्य होगा।
आदिवासी समाज की आवश्यक मांगे
सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख मांगो में पेशा कानून नियम में ग्रामसभा का अधिकार कम न किया जावे।बस्तर एवं सरगुजा में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की स्थानीय भर्ती 100% किया 3. केंद्र द्वारा वन अधिकार संरक्षण अधिनियम 2022 को लागू न किया जावे। जावे।हसदेव अरण्य क्षेत्र में आदिवासी एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु कोल खनन बंद करें। प्रदेश के आदिवासी समाज के संरक्षक के रूप में आपसे आग्रह है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए अतिशीघ्र 32% आरक्षण लागू किया जाए ताकि आदिवासियों का शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक विकास हो सके।धरना प्रदर्शन में गोंडवाना समाज के जिलाध्यक्ष प्रेमलाल,गणेश ओटी,दिलीप नागवंशी, फिरता उइके,प्रेमलाल कोर्राम,बिरझुराम, गोपाल कतलाम,धनसिग नेताम,लखन नेताम,अमर सिंह, कामता प्रसाद सहित बड़ी सँख्या में महिलाए व पुरूष शामिल रहे।