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*आज से देशभर मे विराजेंग विघ्नहर्ता गणपति.. लेकिन बालोद जिले के स्वयं-भू गणेश मंदिर जहां पूरे साल भर होती है पूजा अर्चना…लेकिन इन दिनों मंदिर होता है दीपावली जैसे आयोजन..गणेशजी को लेकर कई तरह की किदवंतिया भी प्रचलित*

बालोद- जिला मुख्यालय के मरारपारा गणेश वार्ड में स्थित जमीन से निकले स्वयं भू गणपति जिसको लेकर दिन प्रतिदिन भक्तों की आस्था बढ़ती जा रही है। पहले दो लोगों ने मुर्ति को व्यवस्थित कर पूजा की शुरूआत की उसके बाद भक्तों की संख्या बढ़ती गई और अब बुधवार को गणेश चतुर्थी के ग्यारह दिनों तक शाम साढ़े 7 बजे महााआरती का आयोजन किया गया है।इसके साथ ही गणेश जी को 11 दिनों तक 11प्रकार का भोग लगाया जाएगा इसके अलावा 7 सितंबर बुधवार को गणेश जी को 56 प्रकार का भोग लगाया जाएगा। मोरिया मंडल के सदस्य संजय शर्मा ने बताया कि गणेश चतुर्थी पर आज गणेश जी, रिध्दी सिध्दि और कलश स्थापना कर विशेष मंत्रों उच्चारण के साथ विधि विधान से पूजा अर्चना किया गया।9 सितंबर को हवन पूजन किया जाएगा और शाम को गांजे बाजे के साथ विसर्जन शोभायात्रा निकाली जाएगी।

70 वर्ष पहले जमीन के अंदर से एक पत्थर निकला जिसका स्वरूप गणेश था

लगभग 70 वर्ष मरारापारा में जमीन के अंदर से एक पत्थर निकला जिसका आकार गणेश के स्वरूप का था। जिस पर नगर में निवास करने वाले स्व. सुल्तान मल बाफना और भोमराज श्रीश्रीमाल नजर पड़ी। बताया जाता है कि पहले बाफना परिवार के किसी सदस्य के स्वप्न में बप्पा आये थे। जिसके बाद दोनो व्यक्तियों ने स्वयं भू गणपति के चारो ओर टीन शेड लगाकर एक छोटा सा मंदिर बनाया। जिसकी पूजा लगातार 70 वर्षों से वह और उनके परिवार के सदस्य करते आ रहे हैं।

अभी भी श्रीगणेश का पैर जमीन पर

बता दें कि जमीन से निकले श्री गणेश के घुटने का कुछ हिस्सा अभी भी जमीन के अंदर है। लोग बताते हैं कि पहले गणेश जी का आकार काफी छोटा था लेकिन धीरे धीरे बढ़ता गया और आज बप्पा विशाल स्वरूप में हैं। लगातार गणपति का आकार बढ़ता देख गणेश भक्तों ने वहां पर मंदिर तैयार की और उस मंदिर में दूर दराज के लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।

2008 से बप्पा की सेवा में जुटा मोरिया मंडल परिवार

नगर के मरारपारा में बप्पा का छोटा सा मंदिर है लेकिन उसके प्रति लोगों की आस्था अटूट है। पहले तो केवल दो-चार लोग ही बप्पा की सेवा व पूजा अर्चना करते थे। लेकिन 2008 से नगर के महिला, पुरूष व युवक युवतियों की टोली बनी। जिसे मोरिया मंडल परिवार नाम दिया गया। जिसके बाद से लेकर अब तक मोरिया मंडल परिवार के सदस्यों के साथ नगर के लोग भी इस जमीन से निकले गणेश की सेवा व पूजन अर्चन करते हैं।

लोगों की मनोकामना होती है पूरी।

लोगों का मानना है कि मरारपारा स्थित भगवान गणेश के पास जो कोई भी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं और सच्ची श्रद्धा से पूजा करते हैं उसकी मनोकामना पूरी होती है। मंदिर में दूरदराज के लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस स्वयंभू गणेश की पूजा कर मनोकामना मांगते हैं, वह पूरी भी होती है।

गणेश चतुर्थी में दीपावली जैसा आयोजन

पूरे वर्ष भर इस मंदिर में भक्तों का आना जाना लगा रहता है। लेकिन वर्ष में ग्यारह दिनों तक चलने वाले गणेश चतुर्थी पर्व के दिन दिपावली जैसा माहौल रहता है। गणेश चतुर्थी के पखवाडे भर पहले तैयारी शुरू कर दी जाती है। इन ग्यारह दिनों तक शाम साढ़े 7 बजे गाजे-बाजे के साथ महाआरती की जाती है। जिसमें सैंकड़ों की संख्या में भक्त उपस्थित रहते हैं।सुनील जैन ने बताया कि 9 सितंबर को हवन पूजन के साथ ही इसी दिन शाम 6 बजे से विशाल शोभा यात्रा निकाली जायेगी।

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