छत्तीसगढ़ की राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने आज संसद में कोरबा स्थित बालको कंपनी द्वारा की जा रही अनियमितताओं और स्थानीय युवाओँ के साथ की जा रही उपेक्षा का महत्त्वपूर्ण विषय संसद पटल पर उठाया।
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संसद में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के कोरबा में स्थित भारत एल्यूमिनियम कंपनी, बालको को सन 2000 में भारत सरकार की विनिवेश नीति के तहत स्टरलाइट कंपनी को इसका 51% हिस्सा बेच दिया गया था। उस वक़्त इस कंपनी का सालाना उत्पादन लगभग एक लाख टन था जो वर्तमान में लगभग 5 लाख टन प्रतिवर्ष हो चुका है।
यह उपक्रम देश के सबसे महत्वपूर्ण और बड़े एल्यूमिनियम उत्पादकों में से एक है। लेकिन आज मैं सदन का ध्यान इस कंपनी में जारी अनियमितताओं की आकृष्ट करना चाहूंगी।
शुरआती उत्पादन प्रतिवर्ष 1लाख टन से बढ़ाकर वर्तमान में 5 लाख टन प्रतिवर्ष हो गया है, लेकिन अभी भी कंपनी ऑडिट रिपोर्ट में लगातार नुकसान होना दिखाया जा रहा है जिससे टैक्स देने से बच जा सके तथा अन्य सामाजिक दायित्व के कार्य न किये जा सकें। साथ ही, कंपनी रूल का पालन न करके अपने सभी वित्तीय दस्तावेजों को भी पब्लिक डोमेन में नही रखा जा रहा है।
कंपनी द्वारा क्षमता विस्तार की अनुमति में भी अनेक अनियमितताएं हैं। जिस जमीन पर नए प्लांट बने हैं उस जमीन का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिसे स्थानीय प्रशासन से छुपाया गया तथा अवैध रूप से अनुमति प्राप्त की गई। यह एक गंभीर विषय है और इसकी तुरंत जांच की जानी चाहिएI किसी भी उपक्रम की स्थापना इसीलिए की जाती है कि उस क्षेत्र का विकास हो जहां यह स्थापित किया गया है और वहां के स्थानीय निवासियों को रोज़गार मिल सके। लेकिन कंपनी द्वारा इन दोनों मूल नियमो का उल्लंघन किया जा रहा है। ना कंपनी ने स्थानीय मूलभूत सुविधाओं के लिए कोई कर किया न ही स्थानीय युवाओं को रोजगार प्रदान किया।
ITI के छात्रों को प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण देकर उन्हें एक समय बाद हटा दिया जाता है और उनके जगह नए लोगों को लेकर उनके साथ भी वही व्यवहार किया जाता है। उपक्रम के दैनिक कार्यों को निजी ठेकेदारों को ठेके पर दे दिया जाता है जो बाहर के कार्मिकों से कार्य करवाते हैं और स्थानीय युवक बेरोज़गार रह जाते हैं।
उपरोक्त सभी अनियमितताएं कंपनी द्वारा विगत कई वर्षों से किये जा रहे हैं। अपने उद्बोधन में सुश्री सरोज पांडेय ने माननीय मंत्री जी से अनुरोध किया कि बालको के विगत के कार्यों को जांच कराएं तथा अनियमितताओं को दूर करें ।
सुश्री पाण्डेय ने इस विषय पर और जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी बड़े उपक्रम का पहला दायित्व होता है कि जिस जगह पर यह स्थापित किया जाता है, वहां के मूल निवासियों और विशेषकर युवाओं को उसका लाभ मिले। कोई भी संसाधन केवल किसी कंपनी का नहीं बल्कि पूरे देश, प्रदेश और जनता का होता है जिनकी भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।