बालोद। पूरा देश जब कोरोना संकट से जूझ रहा था लोगो को आवश्यक दवाई व सेनेटाइजर जैसी चीजें आसानी से उपलब्ध नही हो पा रही थी ऐसे वक्त में भी बालोद जिले में ऐसी आवश्यक चीजों में जमकर धांधली के मामले सामने आ रहे है और बीते कोरोनाकाल में सैनिटाइजर खरीद को लेकर घोटाले की बात सामने आई है। मामले में बालोद जिले के एक शिकायतकर्ता ने खंड चिकित्सा अधिकारी बालोद के खिलाफ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से शिकायत की है। उन्होंने कोरोना काल में सैनिटाइजर खरीद को लेकर घोटाला किया है। शिकायत के बाद सैनिटाइजर क्रय, वितरण एवं भुगतान की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इसके लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है। यह समिति सात दिवस के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपेगी।
इस पूरे मामले में सीएमएचओ ने जांच समिति की जिम्मेदारी जिला स्टोर अधिकारी डा. पीएल मेरिया को सौंपा गया है। प्रभारी स्टोर कीपर सोमप्रकाश साहू और प्रभारी लेखापाल सुरेंद्र सोनकर को जांच समिति का सदस्य बनाया गया है। शिकायत के बाद जांच आदेश का पत्र वायरल होते ही जिले में हड़कंप मच गया है। मामले के संज्ञान में आने के बाद लोगों का कहना है कि कोरोना संकट के दौर में आपदा को ही अवसर बना बैठे अधिकारियों ने जमकर लूट की है।
सैनिटाइजर घोटाले को लेकर विपक्षी भाजपाइयों ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। कहा कि सैनिटाइजर खरीदी में घोटाला हुआ है। इस संबंध में जानकारी लेने के लिए जब एक अखबार के संवाददाता ने खंड चिकित्सा अधिकारी डा. एसके सोनी से उनका पक्ष जानने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने संवाददाता के नंबर को ब्लाक कर दिया है।
बड़े पैमाने पर चल रहा भ्रष्टाचार
कोरानाकाल के दौरान जिला खनिज संस्थान के न्यास निधि से क्रियान्वयन एजेंसी के तौर पर खंड चिकित्सा अधिकारी बालोद ने सेनिटाइजर खरीद वितरण में बड़े पैमाने पर धांधली एवं भ्रष्टाचार किया गया है। आरटीआइ के दस्तावेज इस बात की तस्दीक करते है कि सैनिटाइजर के नाम पर जो खरीद की गई है। उसमें लाखों रुपए का घोटाला एवं खरीद प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है। इस मामले से संबंधित नौ बिंदुओं पर निष्पक्षता से जांच कर आपदा में कमाई के अवसर तलाशने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है।
पहले दिया बिल, बाद में सैनिटाइजर की सप्लाई
प्रदायकर्ता द्वारा क्रयादेश के हिसाब से निर्धारित मात्रा में सैनिटाइजर सप्लाई के पहले ही 11 हजार 800 बाटल सैनिटाइजर का दो सौ पचास रुपये प्रति नग के हिसाब से 29 लाख 50 हजार रुपये का बिल दिया गया। जबकि 5900 बाटल सेनिटाइजर की सप्लाई बिल दिए जाने के बाद दूसरे दिन की गई। सप्लाई के बाद दिया गया। इसकी जानकारी डिलीवरी चालान से मिलती है। जिसमें कार्यालय के सील सहित प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर एवं दिनांक लिखा हुआ है।
स्वीकृति एवं क्रयादेश के पहले ही खरीदी और भुगतान
शिकायत में कहा गया है कि प्रशासकीय स्वीकृति एवं क्रयादेश के पहले ही प्रदायकर्ता इकोनेटिव वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड जशपुर से मैक्सिसाफ्ट हैंड सेनिटाइजर 500 एमएल के 5900 बाटल का क्रय किया गया है। खंड चिकित्सा अधिकारी को प्रदायकर्ता द्वारा दिए गए डिलीवरी चालान में सैनिटाइजर की मात्रा 5900 बॉटल बताया गया है। जिसे बीएमओ कार्यालय के किसी प्रकाश नाम के कर्मचारी द्वारा प्राप्त किया गया। लेकिन डिलीवरी चालान के निचले हिस्से में टोटल 94 बाक्स लिखा हुआ है। बता दे कि 500 एमएल के एक बाक्स में 36 सैनिटाइजर के बाटल ही होते है। इस हिसाब से 94 बाक्स में 3384 बाटल सैनिटाइजर ही प्राप्त किए गए। जिसकी कीमत प्रति बाटल 250 रेट के हिसाब से आठ लाख 46 हजार रुपये होते है। लेकिन बीएमओ द्वारा प्रदायकर्ता को 14 लाख 75 हजार का भुगतान किया गया।
बगैर ई-वे बिल के ही कर दी खरीदी
प्रशासकीय स्वीकृति एवं क्रयादेश के पहले ही प्रदायकर्ता इकोनेटिव वेंचर्स को खंड चिकित्सा अधिकारी बालोद द्वारा राशि 14 लाख 75 हजार का भुगतान किया गया। शिकायतकर्ता का कहना है कि ट्रांसपोर्ट से भेजे जाने वाले माल की कीमत 50 हजार रुपए से अधिक की स्थिति में जीएसटी कॉमन पोर्टल पर दर्ज करने के लिए ई-वे बिल बनाना अनिवार्य है। लेकिन लाखों रुपए के सैनिटाइजर खरीद में प्रदायकर्ता, क्रेता और न ही ट्रांसपोर्टर के द्वारा ई-वे बिल जारी किया गया।
सैनिटाइजर सप्लाई करने वाले के चयन पर भी उठ रहा सवाल
कार्यालय खंड चिकित्सा अधिकारी द्वारा सैनिटाइजर प्रदान करने के लिए कर्मचारी और कर्मियों की संख्या चार हजार 599 बताई गई। लेकिन खरीद, वितरण एवं भुगतान 11 हजार 800 बाटल का हुआ है। बताया जा रहा कि सैनिटाइजर सप्लाई करने इकोनेटिव वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड का चयन कैसे किया गया और निर्धारण का क्या पैमाना था इसका भी कहीं जिक्र नहीं है।
बाबू ने कहा दो-दो नग सैनिटाइजर का किया गया वितरण
खंड चिकित्सा अधिकारी बालोद के बाबू राजेश का कहना है कि एक हजार एमएल सेनिटाइजर का वितरण करना था। इसलिए 500-500 एमएल का दो-दो नग सेनिटाइजर स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका को दिया गया। जबकि महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी का कहना है कि कार्यकर्ता के लिए एक और सहायिका के लिए एक नग सैनिटाइजर स्वास्थ्य विभाग से मिला था। जिसका वितरण कराया गया। अन्य खंड चिकित्सा अधिकारियों का कहना है कि एक-एक नग सैनिटाइजर का वितरण किया गया। वहीं, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मितानिन, आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता और सहायिकाओ का भी कहना है कि 500 एमएल का एक नग सैनिटाइजर उन्हें मिला है।
क्या कहते है अधिकारी
मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति को सात दिवस के भीतर जांच कर प्रतिवेदन अभिमत सहित उपलब्ध कराने को कहा गया है। प्रतिवेदन आने के बाद देखेंगे आगे क्या करना है।- डा.शैलेन्द्र मंडल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बालोद