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आपदा में अवसर:- धारा 144 लागू होने के बाद गुटखा गुड़ाखु व अन्य व्यसन सामग्रियों की कालाबाजारी हुई प्रारंभ.. रेट फिर छूने लगा आसमान

बालोद- प्रदेश में बढ़ते कोरोना के मामले के बाद बालोद जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। इसके साथ ही गुडाखू, तंबाखू पान मसालों में रोक लगने की भी संभावना को देखते हुए जिला मुख्यालय में इसकी कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। विगत वर्ष अचानक प्रशासन ने इसके विक्रय और उपयोग पर रोक लगा दी थी, जिसके साथ ही इनकी कीमतों में भारी उछाल आ गया था और मुनाफाखोरों ने इसे बेच जमकर मुनाफा कमाया था। इस बार इसी संभावना के बीच बालोद जिला मुख्यालय में इसकी जमकर कालाबाजारी शुरू हो गई है। नगर के बड़े-बड़े दुकानदारों ने अभी से भारी मात्रा में स्टाक जमा कर लिया है। साथ ही इसके दामों में भी भारी उछाल आ गया है।

100 रुपये से अधिक दाम पर बेच रहे एक पैकेट गुड़ाखु

वर्तमान में एक पैकट गुडाखू 100 रुपये से अधिक दाम पर बिक रहा है और एक पेटी जो सामान्य दिनों में चार हजार में बिक रहा था उसका दाम बढ़कर सात हजार रुपये हो गया है।190 रुपये में मिलने वाली एक पैकेट गुड़ाखु को 290 रुपये में बेची जा रही है। वही गुटखा पाउच के प्रति पैकेट में 10 रुपये का इजाफा किया गया है।इसके साथ खाद्य तेल का भाव अचानक बड़ा दिया है जिसके कारण आम लोगो को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। विगत वर्ष लाकडाउन के दौरान इन सामानों के विक्रय और उपयोग दोनों पर रोक लगा दी गई थी, जिसके बाद एक गुटखा का पाउच दस रुपये तक में बिक रहा था। वहीं, गुडाखू का एक डिब्बा जो सामान्य दिनों में पांच से दस रुपये में बिका करता था वह 50 रुपये तक में बिकने लगा था। ऐसे में दुकानदारों ने जमकर मुनाफा कमाया था।

लांकडाउन की संभावना को देखते हुए अभी से प्रारभ हो गई कालाबजारी का खेल

इस बार भी दुकानदार इसी मुनाफाखारी में लगे हुए हैं और आगे की संभावना को देखते हुए अभी से दाम बढ़ा कालाबाजारी शुरू कर दिए हैं। लाकडाउन की संभावना को देखते हुए शुरू हुई कालाबाजारी पर स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन से इन दुकानदारों पर कार्रवाई कर रोक लगाने की मांग की है। लोगों ने अपील की है की विगत लाकडाउन के अनुभवों को देखते हुए प्रशासन पूर्व से ही इन दुकानदारों पर लगाम लगाएं ताकि कालाबाजारी न हो और आम लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े।

कालाबाजारी रोकने प्रशासन ने नहीं उठाया कोई कदम

कालाबाजारी रोकने शासन-प्रशासन के द्वारा अब तक किसी भी प्रकार का कोई कदम नही उठाया जा रहा है। अगर अधिकारी बड़े दुकान और गोदाम में छापामारी करे तो सब स्पष्ट हो जाएगा। लेकिन प्रशासन का हाथ इन बड़े रसूखदार दुकानदारों तक नही पहुच सकते केवल छोटे व्यपारियो के दुकानों में पहुँचकर चलानी कार्यवाही कर खानापूर्ति की जाती हैं। आज लोग गुड़ाखू के आदि हो गए है इसीलिए व्यापारी खुलेआम गुड़ाखू के नाम पर लूट मचा रखे है। छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा महिलाएं गुड़ाखू के लत में है ।वही ग्रामीण अंचलों की अधिकतर महिलाएं एवं पुरुष को गुड़ाखु की लत लगी है जिसके चलते लोगों द्वारा लगातार किराना दुकानों में जाकर गुड़ाखू का मांग किया जाता है जिसके कारण किराना व्यापारियों के द्वारा गुड़ाखू पहले 7 रुपए में बिकता था आज उसकी कीमत 10 रुपए मे धडल्ले से बेचा जा रहा हैं।

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