प्रदेश रूचि

कुसुमकसा समिति प्रबंधन ने निकाला था फरमान: 50% बारदाना किसानों को लाना होगा, विरोध में जनपद सदस्य संजय बैस आए सामने, प्रबंधन ने फैसला लिया वापसस्वच्छता दीदीयो द्वारा धरना प्रदर्शन कर अंतिम दिन रैली निकालकर मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को सौंपा गया ज्ञापनउप मुख्यमंत्री अरुण साव ने वृद्धाश्रम में बुजुर्गों के साथ केक काटकर अपने जन्मदिन की शुरुआत की..वही बालोद जिले के भाजपा नेताओ ने भी लोरमी पहुंचकर दिए बधाईपांच दिनों के शांतिपूर्ण आंदोलन के बाद ट्रांसपोर्टरों का बीएसपी प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन…… माइंस की गाड़ियों को रोक किया चक्काजाममुख्यमंत्री साय अब ट्रेन से भी करेंगे राज्य के विविध क्षेत्रों का दौरा….बिलासपुर में आयोजित कवि सम्मेलन सुनने अमरकंटक एक्सप्रेस से हुए रवाना…मुख्यमंत्री ने कहा – ट्रेन से यात्रा का आनंद ही अलग होता है


एक ऐसा रोग जिससे हर साल लगभग 14 लाख लोगों की होती है मौत..2030 तक इसे खत्म करने हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है ये दिवस..क्या है ये दिवस..इस दिवस को लेकर बालोद जिले के एक डॉक्टर का विशेष लेख

 

बालोद- वर्ष 2030 तक भारत से विषाणु जनित हेपेटाइटिस रोग की समाप्ति के लक्ष्य से 28 जुलाई 2018 से विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा मनाया जाता है जिसमें हेपेटाइटिस रोग के त्वरित पहचान बचाओ नियंत्रण उपचार के संबंध में विशेष प्रयास किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मामले में बालोद जिले के डॉ वीरेंद्र गंजीर ने बताया कि प्रत्येक वर्ष लगभग 14 लाख व्यक्तियों की मौत वायरल हेपेटाइटिस से संबंधित सिरोसिस और लिवर कैंसर से होती है।

लिवर में होने वाले संक्रमण अथवा अन्य कारणों से वायरल हेपिटाइटिस अर्थात लिवर में सूजन या यकृत शोथ की बीमारी होती है जिसे पीलिया रोग भी कहते है। अभी तक पांच प्रकार की हेपेटाइटिस की बीमारियां खोजी जा चुकी हैं जो ए बी सी डी और ई विषाणु के कारण होती हैं। हेपेटाइटिस ए और ई वायरस दूषित खाना और पानी से होती है। बी सी और डी संक्रमित रक्त और रक्त उत्पादों के के कारण होती है हेपेटाइटिस बी आर सी 90% मृत्यु का कारण है 10% मौतें अन्य वायरल हेपेटाइटिस के संक्रमण से होती है।
पीलिया के लक्षण- बुखार थकान भूख न लगना उल्टी पेट में दर्द मूत्र एवं मल में रंग परिवर्तन, जोड़ों में दर्द और शरीर, आंखो का पीलापन आदि पीलिया के लक्षण है।
शुद्ध और बिना तले हुए पदार्थों के सेवन, शुद्ध पेयजल से वायरल हेपिटाइटिस की और ए से बचा जा सकता है। वायरल हेपिटाइटिस ए और सी, डी से बचने के लिए सुरक्षित निखिल एवं सीरीज का उपयोग तथा सुरक्षित यौन संबंध के तरीके अपनाकर बचाव किया जा सकता है।
चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य कर रहे मेडिकल तथा पैरामेडिकल स्टाफ को वायरल हेपेटाइटिस बी से बचने हेतु प्रोफाइलेक्टिक टीकाकरण अवश्य कराना चाहिए जिसमें 0 दिवस 1 महीने पश्चात तथा 6 महीने के अंतराल में कुल 3 टीके लगा कर 20 से 25 साल तक के लिए सुरक्षा पाया जा सकता है। उसी प्रकार बच्चों को जन्म के समय लगने वाला हेपेटाइटिस बी टीकाकरण आजीवन सुरक्षा प्रदान करता है। सभी प्रकार के वायरल हेपेटाइटिस के रोकथाम बचाव व उपचार हेतु भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है जिसमें रोग के त्वरित पहचान उपचार बचाओ तथा नियंत्रण के प्रयास किए जा रहे हैं। शासकीय चिकित्सालयों में उक्त जांच हुआ उपचार निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। हमेशा नए निडिल व सीरीज के इस्तेमाल, सेविंग करते समय हमेशा हमेशा नए रेजर ब्लेड के उपयोग तथा संयमित जीवन, टीकाकरण अपना कर वायरल हेपिटाइटिस संक्रमण से बचाव किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!