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बालोद।रेल इलेक्ट्रिफिकेशन के सौ वर्ष पूर्ण होने पर रेल्वे के कर्षण वितरण बालोद स्टॉफ द्वारा रेल प्रभात फेरी निकाली गई।
भारतीय रेल इलेक्ट्रिफिकेशन के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में ओएचई (कर्षण वितरण) बालोद के द्वारा रेल गाथा मैराथन निकाला गया। इसमें सहायक डिविजन विद्युत अभियंता भरत बाबू कोटार्य एवं वरिष्ट अनुभाग अभियंता संजय कुमार जामनिक एवं समस्त ओएचई और पी एस आई के कर्मचारी शामिल हुए।भारतीय रेल इलेक्ट्रिफिकेशन का अर्थ रेल्वे नेटवर्क को डीजल इंजन के स्थान पर विद्युत इंजनों द्वारा संचालित करने की प्रक्रिया से है। यह भारतीय रेल्वे की एक पहल है जिसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना एवं परिचालन लागत को कम करना और पर्यावरण के प्रदूषण को कम करना है।बता दे कि पहली बार 3 फरवरी 1925 को मुम्बई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से कुर्ला तक रेल्वे लाइन का विद्युतीकरण हुआ था। सन 2000 के बाद भारतीय रेल्वे ने विद्युतीकरण की गति को तेज किया। 2014 के बाद रेल्वे ने नेट जीरो कार्बन एमिशन लक्ष्य के तहत विद्युतीकरण को प्राथमिकता दी। दिसम्बर 2023 तक भारतीय रेल्वे का 90 फीसदी से अधिक नेटवर्क विद्युतीकरण हो चुका है, इसके तहत मरौदा से बालोद 26 फरवरी 2021 और बालोद से दल्लीरा राजहरा 29 अक्टूबर 2021 तथा दल्लीराजरा से भानुप्रतापपुर 18 मार्च 2024 एवं भानुप्रतापपुर से अंतागढ़ 30 अगस्त 2204 (2X25kv) एवं अंतागढ़ से केवटी तक तय सीमा से पहले विद्युतीकरण किया जा चुका है जिसका शिला विन्यास प्रधान मुख्य विद्युत अभियंता एस.ई.सी. आर बिलासपुर रामेंद्र तिवारी के कर कमलों द्वारा किया गया। वर्ष 2030 तक पूरे भारतीय रेल्वे नेटवर्क को 100 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है।