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नगर में मवेशियों के लिए गौठान कि व्यवस्था नहीं….. आए दिन मवेशी हो रहे है दुर्घटना का शिकार

बालोद।बालोद शहर से होकर गुजरने वाली नेशनल हाईवे 930 में स्थानीय जनप्रतिनिधियों व जिला प्रशासन की निष्क्रियता और उदासीनता के चलते सड़क का चौड़ीकरण के साथ ही डिवाइडर नही बन पाया जिसके कारण लगातार बेजुबान मवेशियों की सड़क दुर्घटना में मौत हो रही है। शहर की सड़कों पर मवेशी भी गाडियो की चपेट में आने से लगातार मौत हो रही हैं। लेकिन नगर पालिका प्रशासन द्वारा आवारा मवेशियों को पकड़ने के लिए कोई भी अभियान नहीं चलाया गया है। नगर में मवेशियों के लिए कोई गोठान कि व्यवस्था नहीं है।जिसके कारण आए दिन मवेशी दुर्घटना का शिकार हो रहे है। वहीं घायल मवेशियों के इलाज के लिए शहर के गौ रक्षा अभियान बालोद के सदस्य 10 वर्षों से सड़क दुर्घटना में घायल मवेशियों का निःशुल्क इलाज करा रहे हैं। अभियान में जुड़े 30 लोगों ने मिलकर अब तक 300 से ज्यादा घायल मवेशियों की जान बचाई है।

 

दुर्घटना में घायल गौमाता की पेट का किया सफल ऑपरेशन

 

ग्राम जमहि में गौ माता दुर्घटना में घायल हो जाने से भोजन की थैली बाहर आ गई है।जिसकी सूचना मिलने पर तत्काल अजय यादव प्रमुख गौ रक्षा अभियान द्वारा वाहन की व्यवस्था किया गया रास्ते से गुजर रहे साथियों द्वारा वाहन में बिठाकर महावीर गौशाला बालोद में लाया गया तत्पश्चात गौ माता की गंभीर स्तिथि को देखते हुए पशु चिकित्सक विभाग से डॉ देवांगन , डॉ जी डी कौशल ,डॉ अभिषेक मिश्रा ,डॉ पी एल साहू, ऑपरेशन किया गया। बुधवार को झलमला चौक में नंदी के अज्ञात वाहन की ठोकर से दुर्घटना ग्रस्त हो जाने की सूचना पर गौ रक्षा अभियान समूह के सदस्यों ने मौके पर पहुंचकर गंभीर रूप से घायल नंदी का प्राथमिक उपचार के पश्चात नंदी को वाहन की व्यवस्था कर सुरक्षित गौ शाला पहुंचाया गया ।

 

 

दुर्घटनाग्रस्त गायों के उपचार में परिचारक की भूमिका निभाते हैं अजय यादव

 

इन सदस्यों ने नगर पालिका व पशु चिकित्सा विभाग पर लापरवाही का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है नगर पालिका व पशु चिकित्सा विभाग कोई सहयोग नहीं करते हैं। समिति के अजय यादव दुर्घटनाग्रस्त गायों के उपचार में परिचारक की भूमिका निभाते हैं। वे कहते हैं कि अक्सर सड़क दुर्घटना रात में होने के कारण डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते। ऐसे में कई बार गम्भीर गायों की मौत हो जाती है। हालांकि ज/सांकरा में पदस्थ पशुचिकित्सक डॉ. रजा और बालोद में पदस्थ डॉ. ठाकुर से सहयोग मिलता है। नगर पालिका प्रशासन भी मृत गायों के प्रबंधन पर ध्यान नहीं देता। शवों को दफनाने स्थान नहीं है। ना ही गाड़ी उपलब्ध कराई जाती है।मनीष साहू ने कहा कि इतने लंबे समय से सेवा में लगे रहने के बावजूद समूह आज भी आवश्यक सुविधाओं की कमियों से जूझ रहा है। महंगी दवाइयां और इंजेक्शन के साथ गोशाला छोड़ने के लिए किराए की गाड़ी के कारण कई बार गायों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। इनके समिति में मनीष साहू झलमला ,समीर पांडे ,ठाकुर राम सिन्हा,पप्पू साहू,अमित सार्वा,तरुण राठी (गट्टू भैया),आशु कौशिक,मोनूयादव,कुलदीप यादव,गोपाल यादव,शुभांजलि साहू,कल्पना बांबोड़े,मनीषा राणा सहित सभी सदस्यों का कहना है कि सभी को इस कार्य मे आगे रहना चाहिए। इन्हें तड़पते देख मुंह नहीं फेरना चाहिए। दुर्घटनाग्रस्त, नाली में फंसे, सड़कों पर बीमार गाय-बैलों का उपचार एवं संरक्षण करते आ रहे है। दस सालों में 300 से ज्यादा गायों का उपचार किया जा चुका है। प्राथमिक उपचार के बाद महावीर गौशाला को सुपुर्द कर दिया जाता है, जिससे मवेशियों के चारे- पानी की समस्या ना हो।सभी सदस्यों का एक ही उद्देश्य है कि सड़कों पर तड़पती गायों में भी जीवन होता है, उन्हें भी पीड़ा होती है। इसलिए युवा इनके दर्द को अपना मान अपने परिवार के सदस्यों की सेवा में लगे रहते हैं। लोगों से अपील करते है कि सड़कों पर गाड़ी धीरे और सावधानी से चलाएं, गायों को चावल या चावल से बने कोई भी पदार्थ ना खिलाएं जिससे उन्हें अनपचक जैसी समस्या होती है।

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