बालोद। जिला मुख्यालय में सत्तासीन सरकार समर्थित नगर पालिका अध्यक्ष होने के पश्चात भी विगत पांच वर्षों में नगरवासियों की उम्मीद के अनुरूप उपलब्धियों भरा कार्य नहीं हो पाया है। अब राज्य में सत्ता बदलने के पश्चात् जिला मुख्यालय की क्या स्थिति होगी यह भविष्य के गर्त में चला गया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों की लापरवाहियों के चलते कभी नगर सहित जिला को पूरे प्रदेश में गौरवान्वित करने वाला नगर का प्रमुख गंगा सागर तालाब वर्तमान में गंदा सागर तालाब के रूप में परिणित हो चुका है जिसे एक बार फिर से नगर पालिका अध्यक्ष द्वारा संवारने का कार्य प्रारंभ किया गया है। जानकारी अनुसार पालिका प्रशासन द्वारा राज्य सरकार से गंगा सागर तालाब के जीर्णोंद्धार के लिए राशि उपलब्ध कराने की मांग की है लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इसके लिए राशि उपलब्ध नहीं कराई है। पालिका अध्यक्ष एवं पार्षदों द्वारा अपने निधि से जीर्णोंद्धार कराया जा रहा है वहीं नवीन बस स्टैण्ड की वर्तमान दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है।
बस स्टैण्ड परिसर में फैला गंदगी, अवैध अतिक्रमण एवं असामाजिक तत्वों का बन गया पनाहगार
बस स्टैण्ड परिसर में फैला गंदगी, अवैध अतिक्रमण एवं असामाजिक तत्वों का सुरक्षित पनाहगार बन कर रह गया है। नगर के अधिकांश वार्डों की गलियां तथा नगर के प्रमुख मार्गों की दुर्दशा भी किसी से छिपी नहीं है। विगत लंबे समय से उबड़ खाबड़ जर्जर स्थिति में पहुंच चुके सड़कों को दुरुस्त करने पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिस पर आवागमन करना किसी सजा से कम नहीं है। नगर में चारों तरफ हो रहे अवैध अतिक्रमण के चलते मार्ग संकीर्ण होते जा रहे हैं जिस पर भी किसी का ध्यान नहीं है। जनप्रतिनिधियों की लापरवाही का खामियाजा नगरवासियों को भोगना पड़ रहा है। नगर के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रों में मुख्य मार्गों में ही अवैध कब्जा कर दुकानदारी करने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ते क्रम पर है साथ ही मार्गों की दशा किसी से छुपी नहीं है जिसके चलते आम जनता को आवागमन में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है।
गंगासागर तालाब की साफ सफाई के नाम पर किए जा चुके है लाखों रूपए खर्च
बता दे कि नगर का गंगासागर तालाब धार्मिक मान्यताओं से भरा पूरा है जहां नगर में स्थापित सभी देवी देवताओं तथा मंदिरों एवं घरों में स्थापित जोत जंवारा का भी विसर्जन किया जाता है। गंगासागर तालाब पार पर सदियों से विराजमान माता शीतला एवं अन्य मंदिर समूह के चलते पूरे नगर के साथ ही जिले के लिए श्रद्धा का केन्द्र है। समय के साथ धार्मिक संगठनों द्वारा गंगासागर तालाब परिसर में अन्य देवी देवताओं के मंदिर स्थापित किए गए लेकिन मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं एवं अन्य राहगीरों की सुविधा के लिए परिसर में कहीं भी शौचालय तथा शुद्ध पेयजल कक्ष की स्थापना पर किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया जिसके चलते गंगासागर तालाब के किनारे एवं तालाब में गंदगी का आलम पसरने लगा वहीं नगर के विभिन्न भागों से निकलने वाला दूषित पानी भी गंगासागर तालाब में ही समाहित होने से साफ सफाई होने के कुछ समय पश्चात् ही तालाब दूषित हो जाता है। विगत् कुछ वर्षों में ही तीन से चार बार गंगासागर तालाब की साफ सफाई के नाम पर लाखों रूपए खर्च किए जा चुके हैं।