बालोद-जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में मंगलवार को शाम 6 बजे से तेज आंधी तूफान व गरज-चमक के साथ झमाझम बारिश हुई हैं।वही बारिश होने से लोगो को उमेश भरी गर्मी से राहत मिली हैं। बालोद जिले में मंगलवार की शाम को आधे धंटे से अधिक समय तक बारिश होने से ग्रीष्मकालीन धान की फसल को नुकसान हुआ है।लगातार बारिश ने किसानों की चिंता बड़ा दी हैं।शाम को आए आंधी-तूफान ने जमकर कहर बरपाया। कई पेड़ उखड़ गए। आधा शहर अंधेरे में डूब गया। कच्ची झोपड़ियां के छप्पर उड़ गए। तो कई इमारतों के खिड़की, दरवाजे क्षतिग्रसत हो गए। मौसम विभाग की माने तो गर्मी की शुरूआत के बाद जिले में इस तरह पहली बार इतनी तेज आंधी तूफान आई है। जिसने सामान्य जनजीवन को प्रभावित किया। वही बालोद से लगे ग्राम मेढ़की के मुख्य मार्ग के बीचों बीच बाबुल का पेड़ गिर जाने से सड़क पूरी तरह से बंद हो गया था।जिससे आने जाने वाले दोपहिया और चार पहिया वाहनों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
सप्ताहभर से पल पल में बदल रहा हैं मौसम का मिजाज
जिले में लगातार बारिश होने से रबी फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। सप्ताहभर से मौसम का मिजाज पल-पल बदल रहा है। कभी तेज धूप के साथ गर्म हवा झुलसाने लगती है, तो कभी बदली छा जाती है। गरज-चमके साथ बौछार पडऩेे लगती है। बुधवार की शाम 6 बजे गरज चमक के साथ बारिश जारी रही। आधे धंटे की बारिश से जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया। धान व साग भाजी की फसलों को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा नगर की जाम नालियां से कई कॉलोनी में बारिश का पानी भर गया। जिससे नगर पालिका की नियमति सफाई की पोल खुल गई है।
तेज आंधी तूफान व बारिश से धान का पौधा जमीन में गिरा
जिले में लगातार तेज आंधी तुफान व बारिश से धान की खड़ी फसल जमीन पर गिर गई हैं।किसानो का कहना है कि भू-जल स्तर में भारी गिरावट और बिजली समस्या से उत्पन्न पानी की समस्या से फसल सूखने से बच गई थी, लेकिन तेज आंधी तूफान व बारिश से धान की फसल को नुकसान हुआ है ख। इससे पहले आंधी के कारण खड़ी फसल खेत में गिर गई। सब्जी फसल भी बर्बाद हो गई। रात में बारिश के बाद शहर में बिजली चली गई। हालांकि कई वार्डों में एक-आधे घंटे बाद ही बिजली बहाल हो गई। ग्रामीण इलाकों में भी बिजली बंद रही। हालांकि बिजली फॉल्ट की शिकायत पर विभाग की टीम लगातार सुधारने में लगी रही।
खलिहान में रखे धान बारिश में भीगा
ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर से किसानों का धान भींग गया जो धान की कटाई मिंजाई के बाद उपज को खलिहान कोठार या घर के आंगन में रखे हुए थे। देर रात को किसान हड़बड़ाहट में धान को भीगने से बचा न पाए और सुबह हाथ मलते रह गए। धूप खिलने का इंतजार होता रहा। दूसरे दिन गुरुवार को दोपहर 12 बजे जब धूप खिली तो किसान व उनके परिवार भीगे हुए धान को सूखाने की जुगत लगाते रहे। किसानों ने कहा कि इस बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया है। अगर समय रहते धान नहीं सूखा तो वह बदरंग हो जाएगा। धान की क्वालिटी खराब होगी, इससे उसका वजन भी कम होगा और रेट भी सही नहीं मिलेगा।