Editor-santosh sahu
आज देश का शायद ऐसा कोई राज्य नही जहां के लोग फर्जी काल या साइबर ठगी के शिकार नही होते। सिर्फ काल और लोगो को अपनी जाल में फंसाकर उनके खातों से पल भर में लाखों रुपये गायब हो जाता है। ये पूरा खेल देश के कोई बड़ा या हाईटेक शहर से नही बल्कि देश के एक छोटे से राज्य झारखंड के जामताड़ा जिले के ग्रामीण इलाकों में अलग अलग गिरोह सक्रिय है और इस कार्य मे जुटे है । लेकिन इस साइबर फ्राड जैसे मामलों को आखिर इस छोटे से जिले के ग्रामीण इलाकों से कैसे अंजाम देते है मामले की तफ्तीश के लिए प्रदेशरूचि की टीम खुद जामताड़ा पहुंची और वहां के हालात को जानने का प्रयास किया गया।
आपको बतादे झारखंड और बंगाल बॉर्डर पर स्थित जामताड़ा जो कि 1990 के दशक में रेलवे में वैगन ब्रेकिंग, पिल्फरेज मतलब चोरी और नशीले पदार्थ खिलाकर यात्रियों को लूटने के लिए बदनाम था. समय के साथ यहां पर अपराध का तरीका भी बदल गया और मोबाइल के आने के बाद यह साइबर अपराधियों का गढ़ बन गया. साइबर अपराधियों ने पहले ओटीपी मॉड्यूल और बाद में अलग अलग तरीके अपनाकर लोगों के साथ साइबर फ्रॉड करना शुरू कर दिया.
जामताड़ा के करमाटांड़ में साइबर क्राइम का सबसे पहला उस्ताद सिंदरजोरी गांव निवासी सीताराम मंडल रहा है. लगभग 15 साल पहले उसने मुंबई के एक मोबाइल रिचार्ज की दुकान में नौकरी करते हुए ठगी के कई तरीके आजमाये और छुटि्टयों में जब लौटा तो ठगी के इसी हथकंडे को आजमाया और अपने साथ युवाओ और कुछ महिलाओं को जोड़ लिया। जाली सिमकार्ड लगाकर, नकली बैंक मैनेजर बनकर ग्राहकों को फोन लगाता। कहता- आपका कार्ड ब्लॉक हो गया है। इस बहाने एटीएम नंबर, ओटीपी और सीवीवी नंबर जैसी जानकारियां मांग लेता। फोन कट होते-होते ग्राहक की जेब भी कट चुकी होती थी। इस पैसे को वह मोबाइल रिचार्ज रिटेलर की आईडी में ट्रांसफर करता। तीस फीसदी रखकर रिटेलर उसे बाकी 70 फीसदी कैश दे देता। सीताराम ने कमीशन का लालच देकर कई लोगों के बैंक खाते व चेकबुक हासिल कर ली। ठगी की रकम वह इन्हीं खातों में ट्रांसफर करता। सीताराम पकड़ा गया। डेढ़ साल की सजा हुई। जमानत पर छूटा ही था कि दूसरे केस में पुलिस ने उसे पकड़ लिया। लेकिन सीताराम के शार्गिदों ने गांव में कई गैंग बना रखे हैं, जो यहीं से देशभर में ठगी का खेल बदस्तूर कर रहे हैं। 2020 में सीताराम मंडल को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. कुछ महीनों बाद वह जमानत पर छूटा तो दूसरे केस में फिर गिरफ्तार हुआ.और सिलसिला चलता रहा।
ठगे जाने वालों में नेता-अभिनेता
कुछ साल पहले दिल्ली पुलिस ने जब सीताराम को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया था कि सीताराम ने एक बड़े अभिनेता के अकाउंट से 5 लाख रु. उड़ाए थे। नाम का खुलासा नहीं किया गया था।
इसी तरह जामताड़ा के अताउल अंसारी ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की पत्नी परणीत कौर से 23 लाख रुपए की ठगी की थी। उसने खुद को बैंक मैनेजर बता परणीत से फोन पर बात की थी।
अपराधियों ने केरल के एक सांसद से 1.60 लाख की ठगी की। मामला संसद भवन दिल्ली थाने में दर्ज कराया गया था। उस कांड में भी यहां से धनंजय व पप्पू मंडल की गिरफ्तारी हुई थी।
आपको बतादे कुछ साल पहले तक कच्चे मकान और सामान्य जीवन जीने वाले ऐसे कई लोग है जो इस धंधे में आने के बाद इनकी जीवन शैली बदल गई,इस क्षेत्र में पिछले आठ-दस सालों में एक से बढ़कर एक आलीशान मकान बने हैं. डेढ़ लाख की आबादी वाले इस इलाके में हर ब्रांड की हजारों कारें दौड़ती मिल जाएंगी. यह चमक-दमक और सारी समृद्धि साइबर ठगी की बदौलत है.
मामले पर हमने कुछ स्थानीय लोग जो सामान्य तरीके से और ईमानदारी से अपनी दुकान या अन्य साधनों से रोजगार से जुड़कर अपना काम कर रहे है ऐसे लोगो से चर्चा कर जामताड़ा के पूरे देश मे साइबर ठग के रूप अपनी पहचान बनाने के पीछे का कारण जानने का प्रयास किया हालांकि कि इस मामले पर स्थानीय लोगो ने बहुत ज्यादा कुछ बताते नही दिखे और बोले कि ये हमारे गांव का नही है ये उधर वाले ज्यादा करते है। जिसके बाद लोगो ने परत दर परत इस काम से जुड़े लोगों के बारे में बताए। और बोले कि इसकी शुरुआत एक व्यक्ति से हुई और आज इस राज्य के कई गांव बेरोजगार युवक इस रास्ते को अपना रोजगार का प्रमुख साधन समझकर इस काम मे जुटे है लेकिन अब इस काम मे खतरा भी पहले से ज्यादा बढ़ चुका है देशभर के ज्यादातर प्रदेश की पुलिस वालो का लगातार जिले में आवाजाही से स्थानीय सरकार और प्रशासन की भी बदनामी हुई जिससे स्थानीय स्तर पर अब पुलिस भी यहां थोड़ा सख्त हुई है। और अब ये लोग अपना नया ठिकाना दो राज्यो के सीमावर्ती क्षेत्रों को बना रही है जिससे पुलिस को भी चकमा देने में आसानी होती है।