बालोद-हाईकोर्ट ने 58% आरक्षण पर रोक लगाई थी। इसे सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। अब इस मामले को लेकर जिला भाजपा अध्यक्ष कृष्णकांत पवार ने मंगलवार को जिला भाजपा कार्यलय में प्रेसवार्ता कर आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया हैं। इस फ़ैसले से न केवल प्रदेश की तात्कालीन भाजपा सरकार का 58 प्रतिशत के आरक्षण का फ़ैसला सही साबित हुआ है, बल्कि कांग्रेस जिस तरह इस मामले में भी दोहरी राजनीति करती रही है। उसका भी पर्दाफ़ाश हुआ है। कृष्णकांत पवार ने कहा कि
भाजपा शासन काल में लागू आदिवासियों के 32% आरक्षण पर कांग्रेसियों द्वारा लगवायी गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है। यह भाजपा की वैचारिक जीत है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी यह समझ लेना चाहिए कि वे संविधान से ऊपर नहीं हैं।
समाज के बीच ज़हर फैला कर अपनी रोटी सेंकना कैसा होता है, आप कांग्रेस के कृत्यों से यह देख सकते हैं -पवार
जिला भाजपा अध्यक्ष कृष्णकांत पवार ने कहा कि किसी सही नीयत से कानून बनाने पर क्या होता है, वह सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से जाहिर हुआ है। अगर सच में आपकी नीति सस्ती राजनीति नहीं कर वास्तव में वंचितों को न्याय दिलाने की होती है, तो सारे संवैधानिक प्रावधानों पर विचार-विमर्श कर कानून बनाया जाता है, जैसा भाजपा सरकार ने बनाया था। इसके उलट केवल समाज में विभेद पैदा करने, ‘बांटो और राज करो की नीति के तहत समाज के बीच ज़हर फैला कर अपनी रोटी सेंकना कैसा होता है, आप कांग्रेस के कृत्यों से यह देख सकते हैं।
काग्रेस के नेताओ ने आरक्षण रुकवाया हैं उन नेताओं को बनाया राज्य मंत्री
कृष्णकांत पवार ने कहा कि जैसा कि हम सब जानते हैं कि कांग्रेस नेता पद्मा मनहर सारंगढ़ के कांग्रेस के पूर्व विधायक और के. पी. खांडे ने कोर्ट जा कर आदिवासियों का आरक्षण को रुकवाया था। इसी तरह पिछड़े वर्ग को दिए आरक्षण के विरुद्ध कांग्रेस सरकार में ही आज पीठ के अध्यक्ष बने कुणाल शुक्ला अपनी ही सरकार के खिलाफ कोर्ट गए थे। कांग्रेस सरकार ने आरक्षण की मुखालफत करने का पुरस्कार जहां श्री खांडे को अनुसूचित जाति आयोग के छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष बना कर दिया, वहीं कुणाल शुक्ला को छत्तीसगढ़ के कबीर शोध पीठ के अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है । ऐसा दोहरा चेहरा केवल कांग्रेस का ही हो सकता है।
कांग्रेस लगातार वंचित वर्गों से किया है छल
पवार ने कहा कि आरक्षण के मामले में जब हाईकोर्ट में मामला था, तब भी कांग्रेस ने जान बूझ कर केस को कमजोर किया।कोर्ट में अपना पक्ष सही से नहीं रखा, जिस कारण वह हाई कोर्ट में मुकदमा हार गयी। इस तरह कांग्रेस ने लगातार वंचित वर्गों से छल किया है। कांग्रेस हमेशा से न केवल आरक्षण के खिलाफ रही है, बल्कि वह इसपर केवल राजनीति करती रही है। केंद्र मैं गैर कांग्रेसी भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार ही पिछड़ों को नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान लेकर आयी थी। भाजपा के समर्थन से आयी संयुक्त मोर्चा की सरकार ने सबसे पहले शासकीय नौकरियों में पिछड़ों के आरक्षण का प्रावधान किया, उस समय कांग्रेस विपक्ष में थी। जाहिर है कांग्रेस तब भी आरक्षण को विरोधी ही थी।
आरक्षण का मुकदमा जानबूझकर हारना चाहती थी काग्रेस सरकार
उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मिले इस न्याय से स्पष्ट है कि हाईकोर्ट तक में शासन ने अपना पक्ष बेहतर नहीं रखा। कांग्रेस चाह रही थी कि सरकार किसी तरह हार जाए । इसी लिए उसने क्वांटिफायबल डेटा आयोग की रिपोर्ट को श सार्वजनिक नहीं किया है। ऐसे तमाम कृत्यों के कारण कांग्रेस की नीयत पर हमेशा सवाल उठता ही रहेगा।भाजपा का यह स्पष्ट मानना है कि जान बूझ कर कांग्रेस सरकार आरक्षण का मुकदमा हारना चाहती थी ताकि एक भी नौकरी नहीं दे पाने की अपनी विफलता पर वह पर्दा डाल सके इस फैसले से कांग्रेस का नकाब उत्तर गया है। उसका असली चेहरा एक बार और जनता के बीच आया है।प्रेसवार्ता के दौरान प्रेम साहू, नरेश साहू,शरद ठाकुर उपस्थित रहे।