रायपुर, हिंदू धर्म में रंग पंचमी का विशेष महत्व है. वैदिक पंचांग के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार चैत्र कृष्ण पक्ष पंचमी के दिन मनाया जाता है. यह पर्व होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है. 12 मार्च 2023 को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। आइए जानते हैं रंगपंचमी का शुभ मुहूर्त, महत्व और उपाय.
रंगपंचमी 2023 तिथि
1. चैत्र मास की रंगपंचमी तिथि का आरंभ 11 मार्च को रात 10 बजकर 06 मिनट पर.
2. चैत्र मास की रंगपंचमी तिथि समाप्त 12 मार्च की रात्रि10:02 मिनट पर.
3. उदयातिथि के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार 12 मार्च को मनाया जा रहा है ।
जानिए पूजा के उपाय
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1. रंग पंचमी के दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पूजा में देवी लक्ष्मी को लाल गुलाब, कमलगट्टा और कमल का फूल चढ़ाएं. साथ ही कनकधरा स्रोत का पाठ करें. ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि रहती है.
2. अगर वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ रही हों तो रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की पूजा करें, उनको गुलाल चढ़ाएं. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आने की मान्यता है.
3. इस दिन एक पीले कपड़े में एक सिक्का और हल्दी की 5 गांठें बांधकर पूजा स्थान पर रख दें. इसके बाद मां लक्ष्मी के चरणों में एक घी का दीपक जलाएं. साथ ही इसके बाद पोटली को बांधकर उस जगह रख दें, जहां आप अपना धन रखते हैं. ऐसा करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.
गुलाल से खेली जाती है होली
रंगपंचमी के दिन रंगों से नहीं बल्कि गुलाल से होली खेली जाती है. ऐस माना जाता है कि रंग पंचमी के दिन वातावरण में गुलाल उड़ाना शुभ होता है. धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि रंगपंचमी के दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आते हैं. ये भी कहा जाता है कि हवा में उड़ने वाली अबीर-गुलाल के संपर्क में जो व्यक्ति आ जाता है उसको हर पापों से छुटकारा मिल जाता है.
रंग पंचमी देवी-देवताओं की होली
रंग पंचमी के दिन भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु को पीला रंग अर्पित कर सकते हैं. ऐसे में उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और उनके चरणों में पीले रंग का अबीर अर्पित करें. मां लक्ष्मी, बजरंगबली और भैरव महाराज को लाल रंग अर्पित करें. मां बगलामुखी को पीले रंग का अबीर अर्पित करें. मां लक्ष्मी, बजरंगबली और भैरव महाराज को लाल रंग अर्पित करें. मां बगलामुखी को पीले रंग का अबीर अर्पित करें. सूर्यदेव को लाल रंग चढ़ाएं या या सिंदूर अर्पित करें. शनि देव को नीला रंग बेहद प्रिय होता है.
क्यों मनाई जाती है रंग पंचमी, क्या है
इससे जुड़ी पौराणिक कथा?
प्रचलित कथाओं के मुताबिक कहा जाता है कि होलाष्टक के दिन, भगवान शिव ने कामदेव को उनकी तपस्या भंग करने के लिए भस्म कर दिया था। इससे देवलोक के सभी देवता मायूस हो गए थे। लेकिन देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने कामदेव को एक बार फिर से जीवित कर दिया। इसके बाद सभी देवी-देवता प्रसन्न हुए और इस खुशी के मौके को मनाने के लिए रंगोत्सव मनाने लगे। तब से हर साल होली के बाद पंचमी तिथि को रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।