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जिले इस परिवार के लोग प्रेम दिवस को पाश्चात्य सभ्यता से नही बल्कि कुछ ऐसे मनाते है जिसे देख आप भी हो जाएंगे भावविभोर

बालोद- आज विदेशों के अलावा देश के कई कई जगहों पर नए पीढ़ी के युवा वेलेंटाइन डे मना रहे है और दुसरीं तरफ इसका विरोध भी जाता है लेकिन इस दिन को अलग पहचान देते हुए बालोद जिले के हरिओम साधक परिवार व पुरुषोत्तम राजपूत की ओर से प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी जिला मुख्यालय के संस्कार शाला के मैदान में सैकड़ो बच्चों ने मां-पिता की पूजा-अर्चना कर मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया। बच्चों ने पूजा की थाली में दीपक जलाकर अपने माता-पिता की पूजा की। आयोजन स्थल पर माता-पिता के प्रति बच्चों के इस प्रेम को देखकर उनकी खुशी आंसू बनकर छलक पड़े। जिले में इस तरह के अनूठे आयोजन का यह 6 वा साल है। इस दौरान सत्संग, भक्ति गीत और भजनों की प्रस्तुति दी गई। जिसमे बडी सख्या में महिलाएं, पुरुष व बच्चे शामिल को सत्संग का आनंद उठाया।

मां-पिता को प्रणाम कर लगाया गले

कार्यक्रम का शुभारंभ पूजा-अर्चना से हुआ इसके बाद धार्मिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। जिलाभर से आएं सैकड़ो बच्चों ने अपने माता-पिता को सबसे पहले आसन पर बिठाया। इसके बाद पूजा की थाली में अक्षत, रोली, गुलाल और फूल लेकर पूजन-अर्चन किया। सबसे पहले सिर पर पानी छिड़के फिर रोली लगाया। इसके बाद दीपक से आरती उतारी और उनके चरणों में गुलाब फूल अर्पण कर मुंह मीठा कराया। इसके बाद प्रणाम कर माता-पिता की परिक्रमा कर उन्हें गले लगाया। कार्यक्रम में तीन साल के बच्चे से लेकर युवक और युवतियां सहित माता-पिता शामिल थे।


संस्कार की शिक्षा देने हर साल यह पहल जारी रहेगी

कार्यक्रम के आयोजक पुरुषोत्तम राजपूत ने बताया कि मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम कराने का प्रमुख उद्देश्य बच्चे व युवाओं को संस्कारवान बनाना है, ताकि आगे सभी परिवार सुरक्षित रहें। 2017 से अब तक कार्यक्रम के जरिए हजारों बच्चे सामूहिक रूप से अपने माता-पिता का सम्मान कर चुके है। यह पहल आगे भी जारी रहेगी। सबसे पहले माता-पिता के सम्मान में थाली सजाते हैं।जिसके बाद गीता भागवत सत्संग सुनकर विधिवत मंत्रोच्चार के साथ माता-पिता का पूजन होता है। ताकि बच्चों के मन में दिव्य संस्कार की उत्पत्ति हो। जो बच्चे माता, पिता व गुरुजनों का सम्मान करते है, उसके अंदर एकाग्रता, संयम, उत्साह बढ़ता है। कार्यक्रम के दौरान पूरा माहौल धार्मिक था। अपने बच्चों से सम्मान पारकर कई माता-पिता भावुक हो गए। इसके अलावा विविध धार्मिक कार्यक्रम हुए। दोपहर में प्रवचन व भजन कीर्तन भी हुआ।

संस्कृति से आज की पीढ़ी को अवगत कराना उद्देश्य

आयोजक पुरुषोत्तम राजपूत ने बताया कि 14 फरवरी को पूरी दुनिया वैलेंटाइन-डे (प्रेम दिवस) के रूप में मनाया जाता है। यह संस्कृति भारत में भी धीरे-धीरे पनप रही है। इसके इतर यहां के बच्चों को अपनी पुरानी भारतीय संस्कृति से परिचित कराने इस कार्यक्रम का आयोजनसामूहिक रूप से किया गया। संस्था का उद्देश्य वैलेंटाइन-डे का विरोध करना नहीं बल्कि अपनी संस्कृति से आज की पीढ़ी को अवगत कराकर अपनी लाइन बढ़ाना है।

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