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आज अंतर्राष्ट्रीय मिर्गी दिवस..मिर्गी बीमारी को लेकर लोगो मे कई तरह की भ्रांतियां ..लेकिन मिर्गी के इलाज को लेकर बालोद जिले के इस डॉक्टर का बड़ा दावा…

 

बालोद/रायपुर-मिर्गी का रोग देखने सुनने में बड़ा अजीब लगता है जब किसी को मिर्गी के झटके आते है तो आसपास में खड़े लोग भी घबरा जाते है कई लोगों का तो यह भी मानना है कि मिर्गी नामक बीमारी का इलाज नही है तो वही मेडिकल रिसर्च में यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि मिर्गी मस्तिष्क संबंधी एक सामान्य बीमारी है तथा दवाओं से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है बावजूद उसके ग्रामीण क्षेत्रों में आज ही इसको लेकर अंधविश्वास बना हुआ है जिसके चलते कई मरीज संकोच के कारण अपनी बीमारी उजागर नहीं करते और चलते उन्हें सही उपचार नहीं मिल पाता उक्त बातें छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सी एस साहू ने विशेष चर्चा के दौरान कहीं डॉ साहू ने बताया कि वर्तमान समय में लगभग डेढ़ करोड़ लोग मिर्गी से प्रभावित हैं तथा 40% लोग ही सही उपचार कराने के उपरांत एक सामान्य जीवन जी रहे हैं तथा अपने सामाजिक दायित्व अथवा परिवारिक जिम्मेदारियों का भी निर्वाह कर रहे हैं देखने को आ रहा है कि ज्यादातर लोग इस बीमारी को छुआ छूत की बीमारी मानते हुए बैगा गुनिया के चक्कर में पड़ कर झटके आने पर मरीज को चमड़ा सुनाते हैं जो कि पूर्णता गलत है इस बीमारी में यदि मरीज को झटका आता है तो 5 से 7 मिनट के लिए वह शून्य अवस्था में आ जाता है ऐसी स्थिति में मरीज मरीज को सीधे लिटा कर उसका मुंह एक और मोड़ देना चाहिए ताकि मुंह से निकलने वाली झाग स्वास्थ्य नली को बाधित ना कर सके डॉक्टर सीए साहू ने बताया कि चिकित्सा जगत इतनी तरक्की कर चुका है कि मिर्गी को 70% तक दवाओं से ही नियंत्रित किया जा सकता है तथा विषम परिस्थिति में सर्जरी के भी प्रावधान हैं लोगों को अज्ञानता छोड़ ऐसे मरीज को तत्काल न्यूरो सर्जन से उपचार करना चाहिए ताकि वह व्यक्ति एक आम आदमी की तरह सामान्य जीवन जी सके

मातृत्व सुख भी भोग सकती है महिलाए

न्यूरो न्यूरोलॉजिस्ट डॉ साहू के अनुसार मिर्गी से पीड़ित महिलाएं भी आम महिलाओं की तरह सांसारिक जीवन जी सकती है तथा मातृत्व सुख भी प्राप्त कर सकती हैं कुछ लोग मिर्गी पीड़ित महिलाओं को विवाह नहीं करते जोकि पूर्णता कानूनन अपराध है कई जगह यह भी देखने को आया है की मिर्गी से पीड़ित बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा जाता है स्कूल तथा बाहर भेजने में प्रतिबंध लगा दिया जाता है उसके पीछे मुख्य कारण लोगों की संकुचित सोच है उन्हें लगता है कि इस बीमारी के पता चलते ही लोग उनके अथवा मरीज से दूरी बना लेंगे ऐसा बिल्कुल नहीं है तमाम मेडिकल रिसर्च में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि मिर्गी एक मस्तिष्क रोग है तथा नियमित इलाज से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है ऐसी स्थिति में मरीज के साथ एक अच्छा व्यवहार करें ताकि मरीज एक आम आदमी की तरह अपने जीवन को सामान्य तरीके से जी सके

बालोद जिले के निवासी हैं न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सीएस साहू

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ साहू बालोद जिले के गुंडरदेही ब्लॉक के निवासी है तथा भूधर सिंह साहू के पोते तथा अरुण साहू के पुत्र है सबसे महत्वपूर्ण बात यह है मध्यप्रदेश के अलावा छत्तीसगढ़ के अनेकों बड़े अस्पतालों में अपनी सेवा प्रदान करने वाले डॉक्टर सी एस साहू बालोद जिले के ही गुंडरदेही के प्राइमरी स्कूल तथा नवोदय विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के बाद राज्य के प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट के रूप में राजधानी में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे है उल्लेखनीय है कि राजधानी के अलावा विदेशों में भी ऑनलाइन के माध्यम से यह मिर्गी से पीड़ित मरीजों को उचित परामर्श भी देते हैं इसके चलते छत्तीसगढ़ का नाम ही विदेशों में भी जाने जाना लगा है

 

 

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