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*कांग्रेस की अंदरखाने की लड़ाई अब सड़कों पर आ गई….खुद के मंत्रालय में असहाय हो गए हैं टीएस सिंहदेव..मंत्री के इस्तीफे पर औऱ क्या लगे आरोप …पढ़े पूरी खबर*

 

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के एक मंत्रालय से त्याग पत्र देने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री अपने मंत्रालय में ही असहज महसूस कर रहे थे। उनके सामने कई कठिन परिस्थितियां निर्मित हो गई थी जिसके कारण वह त्याग पत्र देने को विवश हो गए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे पत्र में टीएस सिंहदेव ने कहा है कि ग्रामीण विकास विभाग में मंत्रालय को लेकर मैं मनमाफिक काम नहीं कर पा रहा था इस कारण मैं त्याग पत्र दे रहा हूं। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि अपने लिखें पत्र में प्रदेश के आठ लाख लोगों को आवास देने के लिए आवश्यक धन राशि की उपलब्धता नहीं होने से आवास नहीं मिल पाया। मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत अंतिम स्वीकृति हेतु रुल्स ऑफ बिजनेस के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षा में सचिवों की एक समिति गठित की गई जो कार्य स्वीकृति हेतु मंत्री के अनुमोदन उपरांत मुख्य सचिव द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाना प्रोटोकाॅल के विपरीत है। इस संबंध में टीएस सिंहदेव ने अपने व्यथा को पत्र के माध्यम से लिखा है। उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था को ना सुधारे जाने के कारण अब भी पांच सौ करोड़ रुपए से अधिक की राशि का उपयोग मंत्री विधायक, जनप्रतिनिधियों के सुझाव के मुताबिक नहीं किया जा सका। जिसके कारण पंचायतों में विकास कार्य प्रारंभ ही नहीं हुआ है। पेसा कानून की तहत आदिवासी समाज के संरक्षण को लेकर कांग्रेस ने जो घोषणा पत्र बनाया था उस प्रारूप को कैबिनेट कमेटी में भेजा गया था जिसमें महत्वपूर्ण बिन्दुओं को बदल दिया गया। जिसके संबंध में भी टीएस सिंहदेव ने पत्र में उल्लेख किया है।

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि इस तरह के कृत्य अपराधिक श्रेणी में आता है। इसके अलावा मनरेगा के तहत कोविड काल में जरूरत मंदों को रोजगार की सबसे ज्यादा जरूरत थी। 20 हजार से अधिक कोविड सेंटरों में रोजगार सहायकों की भूमिका अहम थी उनके मेहनत को देखते हुए वेतन वृध्दि के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था लेकिन आज तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिसके संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से टीएस सिंहदेव ने कई बार चर्चा किया। उन्होंने पत्र में कहा कि एक साजिश के तहत रोजगार सहायकों को हड़ताल करवाकर मनरेगा के कार्य को प्रभावित किया गया। इस हड़ताल के कारण 1250 करोड़ रुपए के मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि रोजगार सहायकों को लेकर कई बिन्दुओं में विसंगतियां थी उसे दूर करने के लिए चर्चा भी किया। कांग्रेस के जन घोषणा पत्र के मुताबिक उन्होंने विचारधारा की बात कहते हुए वर्तमान परिस्थिति में खुद को अक्षम पाया है। इन्हीं कारणों से अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है।

नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच जारी इन 42 महीनों से खीचतान के कारण प्रदेश का विकास प्रभावित हो रहा था। यही कारण है कि अंततः प्रदेश के पंचायत मंत्री ने अपने मंत्रालय से इस्तीफा देना उचित समझा। जिससे यह भी स्पष्ट होता है कि कांग्रेस की अंदरखाने की लड़ाई अब सड़कों पर आ गई है। जिसके कारण एक मंत्री को अपने पद से इस्तीफा देने को विवश होना पड़ रहा है इससे दुर्भाग्यजनक और क्या हो सकता है।

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