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देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से देशभर में शोकलहर.. पीएम मोदी सहित देशभर के नेताओ ने किया शोक व्यक्त,पूर्व पीएम इसलिए हमेशा याद किए जायेंगे

 

 नई दिल्ली – देश के पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधार के नायक डॉ. मनमोहन सिंह  का निधन हो गया है. उन्होंने गुरुवार की रात 92 साल की उम्र में दिल्ली स्थित एम्स में अंतिम सांस ली. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तबीयत बिगड़ने के बाद गुरुवार शाम दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था. 

एम्स दिल्ली ने गुरुवार रात को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है. उन्होंने बताया कि 92 वर्षीय सिंह को आज शाम “अचानक बेहोशी” के बाद गंभीर हालत में आपातकालीन विभाग में लाया गया था. 
देश के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन से देश में शोक की लहर है. लेकिन पूर्व पीएम की ऐसी कई उपलब्धियां और सफलताएं हैं, जिसके लिए वो हमेशा याद किए जाएंगे. विकसित भारत के निर्माण में उनका अहम योगदान रहा है. बात दें, भारत के चौदहवें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह विचारक और विद्वान के रूप में प्रसिद्ध हैं. वह अपनी नम्रता, कर्मठता और कार्य के प्रति प्रतिबद्धता के लिए हमेशा जानें जाएंगे. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के एक गांव में हुआ था. डॉ. सिंह ने वर्ष 1948 में पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की शिक्षा पूरी की. उसके बाद उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा ब्रिटेन के कैंब्रिज विश्वविद्यालय से प्राप्त की. 1957 में उन्होंने अर्थशास्त्र में प्रथम श्रेणी से ऑनर्स की डिग्री अर्जित की. इसके बाद 1962 में उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के नूफिल्ड कॉलेज से अर्थशास्त्र में डी.फिल किया. उन्होंने अपनी पुस्तक “भारत में निर्यात और आत्मनिर्भरता और विकास की संभावनाएं” में भारत में निर्यात आधारित व्यापार नीति की आलोचना की थी.

पूर्व प्रधानमंत्री के निधन की खबर के बाद पूरे देश मे शोक का लहर देखने को मिला X सहित तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर देश के वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह,दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, छग के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित तमाम हस्तियों ने शोक संवेदना प्रकट किए और इसे देश के लिए अपूरणीय क्षति बताए

इन-इन क्षेत्रों में किया खास कार्य

पंजाब विश्वविद्यालय और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में डॉ. सिंह ने शिक्षक के रूप में कार्य किया जो उनकी अकादमिक श्रेष्ठता दिखाता है. इसी बीच में कुछ वर्षों के लिए उन्होंने यूएनसीटीएडी सचिवालय के लिए भी कार्य किया. इसी के आधार पर उन्हें 1987 और 1990 में जिनेवा में दक्षिण आयोग के महासचिव के रूप में नियुक्ति किया गया. 1971 में डॉ. सिंह वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में शामिल हुए. 1972 में उनकी नियुक्ति वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में हुई. डॉ. सिंह ने वित्त मंत्रालय के सचिव; योजना आयोग के उपाध्यक्ष; भारतीय रिजर्व बैंक के अध्यक्ष; प्रधानमंत्री के सलाहकार; विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.

आर्थिक सुधारों में दिया ऐतिहासिक योगदान

डॉ. सिंह ने 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया जो स्वतंत्र भारत के आर्थिक इतिहास में एक निर्णायक समय था. आर्थिक सुधारों के लिए व्यापक नीति के निर्धारण में उनकी भूमिका को सभी ने सराहा है. भारत में इन वर्षों को डॉ. सिंह के व्यक्तित्व के अभिन्न अंग के रूप में जाना जाता है.

खास हैं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को मिले ये सम्मान

भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण(1987); भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार (1995); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी अवार्ड (1993 और 1994); वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी अवार्ड (1993), कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (1956) का एडम स्मिथ पुरस्कार; कैम्ब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955). डॉ. सिंह को जापानी निहोन किजई शिम्बुन एवं अन्य संघो द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. डॉ. सिंह को कैंब्रिज एवं ऑक्सफ़ोर्ड तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों द्वारा मानद उपाधियां प्रदान की गई.

अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सम्मेलनों में किया देश का प्रतिनिधित्व

जब भारत भुगतान संतुलन के गंभीर संकट से जूझ रहा था, सिंह ने 1991 में एक अभूतपूर्व बजट पेश किया, जिसने देश की अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों के लिए खोल दिया. यह भारत की पहले की संकीर्ण आर्थिक नीतियों से एक महत्वपूर्ण बदलाव था और इसने बाद के दशकों में तेज़ आर्थिक विकास की नींव रखी.

डॉ. सिंह ने कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने 1993 में साइप्रस में राष्ट्रमंडल प्रमुखों की बैठक में और वियना में मानवाधिकार पर हुए विश्व सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया.
अपने राजनीतिक जीवन में डॉ. सिंह 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के सदस्य रहे जहां वे 1998 से 2004 तक विपक्ष के नेता थे. डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनाव के बाद 22 मई 2004 को प्रधानमंत्री के रूप के शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरी बार प्रधानमंत्री बने. डॉ. सिंह और उनकी पत्नी श्रीमती गुरशरण कौर की तीन बेटियां हैं.

1971 से शुरू किया था पेशेवर सफ़र

सिंह ने 1971 में वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के रूप में भारत सरकार में अपना पेशेवर सफ़र शुरू किया. इन वर्षों में, उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार, वित्त मंत्रालय के सचिव और भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर सहित कई प्रमुख भूमिकाएं निभाईं. हालांकि, 1991 से 1996 तक वित्त मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल ही था जिसने देश की आर्थिक प्रगति पर एक अमिट छाप छोड़ी. भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक दशक से अधिक समय तक अभूतपूर्व वृद्धि और विकास का नेतृत्व किया. डॉ. सिंह के नेतृत्व में भारत ने अपने इतिहास में सबसे अधिक वृद्धि दर देखी, जो औसतन 7.7% रही और लगभग दो ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन गई थी.

भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाया

डॉ. मनमोहन सिंह को न केवल उनके विजन के लिए जाना जाता है, जिसने भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बनाया, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत और उनके विनम्र, मृदुभाषी व्यवहार के लिए भी जाना जाता है. वह एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें न केवल उन छलांगों और सीमाओं के लिए याद किया जाएगा, जिनसे उन्होंने भारत को आगे बढ़ाया, बल्कि एक विचारशील और ईमानदार व्यक्ति के रूप में भी याद किया जाएगा.

(साभार -NDTV डिजिटल मीडिया)

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