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सुख हो या दुख, धैर्य कभी ना छोड़ें….रुचिता तिवारी…..महादेव भवन में देवी भागवत कथा का तीसरा दिन

बालोद। दुर्गा मंदिर समिति गंजपारा बालोद के तत्वावधान में महादेव भवन गंजपारा बालोद में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास रुचिता तिवारी ने व्यास जन्म, पांडव की कथा, सत्यवती उत्पत्ति, कौरव पांडव की उत्पत्ति, परीक्षित मृत्यु की कथा सहित अनेक प्रसंग सुनाई। पांडव की उत्पत्ति की कथा में उन्होंने कहा कि सुख हो या दुख हो हमें धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए। धैर्य व एकाग्रता छोड़ने का परिणाम बहुत भयंकर होता है।

श्रीमद् देवी भागवत कथा प्रसंग के तीसरे दिन कथा वाचक रुचिता तिवारी ने कहा कि दुख आने पर हमारा साहस कम नहीं होना चाहिए, दुख मां का प्रसाद है। भोजन की याद भूख लगने से होता है। इस प्रकार लोग भगवती की याद दुख में करते हैं, सुख की प्रधानता नहीं दुख की प्रधानता है। जितना हो सके भजन करना चाहिए संसार दुखों का घर है। भगवती की चरणों में भी सुख मिलता है। भजन करने पर भी सुख दुख आएगा। सेवा पुण्य कर रहे हो अपने लिए कर रहे हो किसी दूसरे के लिए नहीं कर रहे हो। भगवती से मुख नहीं मोड़ें, वास्तविक भक्त बनें, चतुराई भगवती मां कभी पसंद नहीं करती। जीवन में कभी दुख मिले या सुख प्रसाद समझ करके ग्रहण कर लें। दीपक की कीमत है क्योंकि अपने आप में जलती है, दूसरों से नहीं जलती। घड़ी की कीमत नहीं समय की कीमत है गाड़ी की कीमत नहीं सफर की कीमत है। वह ज्ञान क्या काम का जो अटारी में रखा हो ज्ञान को बांटें।

 

कथा को वर्तमान जीवन से जोड़ने की अद्भुत क्षमता

 

कथा के दौरान रुचिता तिवारी प्रत्येक प्रसंग को वर्तमान जीवन से जोड़कर बहुत ही सरल तरीके से समझाती हैं। पांडव की उत्पत्ति की कथा में उन्होंने बताया की पांडू महाराज को श्राप की जानकारी थी लेकिन एक समय ऐसा आया जब उन्होंने अपना धैर्य खोया जो उनकी मृत्यु का कारण बना। इसे वर्तमान जीवन से जोड़ते हुए कथावाचक ने कहा कि हमें हर परिस्थिति में धैर्य रखना चाहिए। हम सुख के समय खुशियां मनाने इतने मगन हो जाते हैं कि हम उस भगवान को भी भूल जाते हैं जिन्होंने हमें यह पल दिया। महाराज पांडु की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी महारानी माद्री की सती होने की कथा भी उन्होंने बताई। परीक्षित मृत्यु की कथा में उन्होंने बताया कि किस प्रकार अंत समय में हमें अपने जीवन को सद्मार्ग में लगाना चाहिए। विधि के विधान में जो लिखा है वह होकर ही रहेगा इसलिए हम अपने जीवन को हमेशा अच्छे कार्यों में लगाएं।

 

भजनों में झूम उठते हैं श्रोता

 

कथा के दौरान कथावाचक रुचिता तिवारी द्वारा बीच-बीच में सुमधुर संगीतमय भजनों की प्रस्तुति दी जाती है। इन भजनों में श्रोता झूम उठते हैं। शनिवार को कथा के दौरान हनुमान जी के भजन में एक बालक को हनुमान की झांकी के रूप में निकाला गया था, इस भजन में श्रोता पूरी तरह से रम गए। भजन के दौरान पूरा पंडाल कथा वाचक के शब्दों को दोहराते हुए झूम उठते हैं। तीसरे दिन काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुए थे। श्रद्धालुओं की मांग पर कथा के समय को भी आयोजकों द्वारा बढ़ाया गया है। अब कथा दो की बजाय 1 बजे से 5 बजे तक होगी।

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